Mental Health: जानवर से लगता है डर, कहीं ये Zoophobia तो नहीं? जानें लक्षण और बचने के उपाय

Zoophobia एक प्रकार की मानसिक अवस्था है, जिसमें इंसान को जानवर के सामने जाने से डर लगता है. ऐसे व्यक्ति को जानवर को देखते ही भय लगने लगता है और उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है. आइए जानते हैं जोफोबिया के लक्षण और इससे बचने का तरीका.

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Mental Health News (Image: Freepik) Mental Health News (Image: Freepik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 22 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

कई लोगों को जानवरों से डर लगता है. मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, जानवरों से ज्यादा डरना एक तरह का फोबिया है. मेडिकल की भाषा में इसे जोफोबिया कहा जाता है. जोफोबिया से पीड़ित कई लोग एक खास तरह के जानवर से डरते हैं. जोफोबिया एक तरह का मानसिक विकार है. इस मानसिक विकार में व्यक्ति को विशेष प्रकार या सभी प्रकार के जानवरों से डर लग सकता है. यह समस्या बचपन में हुए किसी हादसे से पीड़ित लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है. 

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जोफोबिया एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के अंदर एक गहरा डर होता है और जब भी वह किसी जानवर के पास जाता है तो उसे चक्कर आने लगते हैं, शरीर कांपने लगता है और घबराहट महसूस होने लगती है. कई लोगों को तो जानवर को देखकर पैनिक अटैक भी आ जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बचपन में शिशु को किसी तरह के जानवर से डर लगता है तो उसे निकालने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि बड़े होने पर उसे किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. 

जोफोबिया के लक्षण क्या हैं?

1. जोफोबिया का प्राथमिक लक्षण जानवरों से बहुत ज्यादा डरना है. जोफोबिया से पीड़ित लोग चिड़ियाघर जाने या पालतू जानवर रखने वाले किसी दोस्त से मिलने से भी बचने की कोशिश करते हैं. 

2. जोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को जानवरों को देखते ही सीने में दर्द या जकड़न होने लगती है. 

3. जो लोग जोफोबिया से पीड़ित होते हैं, जानवर को देखते ही उनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है. 

4. जोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को जानवरों को देखते ही चक्कर आना, मतली या उल्टी जैसा महसूस होने लगता है. 

5. ऐसे लोगों का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है और उनके शरीर से पसीना बहने लगता है. 

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जोफोबिया से ऐसे पाएं निजात

1. जोफोबिया के उपचार में अक्सर कई तरह की थेरेपी शामिल होती हैं. अगर जोफोबिया के लक्षणों का पता कम उम्र में चल जाता है, तो इसे बातों के जरिए ठीक किया जा सकता है. 

2. जोफोबिया के 10 में से 9 मामलों में एक्सपोजर थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक्सपर्ट, पीड़ित लोगों को उनके डर से बाहर निकालने के लिए थेरेपी का सहारा लेते हैं. उदाहरण के लिए, आप जानवरों की तस्वीरें देखने, प्रकृति के वीडियो देखने या जानवरों के बारे में सोचने का अभ्यास कर सकते हैं. 

3. संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) में लक्षणों के बारे में एक्सपर्ट से बात करना शामिल है. एक्सपर्ट के अनुसार, किसी भी फोबिया के इलाज में दवाओं का इस्तेमाल नहीं होता है. 

4. वहीं, जोफोबिया या किसी भी मानसिक विकार को लंबे समय तक छुपाना नहीं चाहिए और इस विषय पर डॉक्टर से बात करके समस्या का समाधान करना चाहिए. 

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