मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है शर्माना, जानें इसके पीछे की साइकोलॉजी और बचने के उपाय

शर्माना इंसान की एक भावना है, लेकिन हद से ज्यादा शर्माना व्यक्ति की मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए आज हम आपको बताएंगे शर्माने के पीछे की साइकोलॉजी और इससे बचने के उपाय.

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प्रतीकात्मक फोटो (Image: Freepik) प्रतीकात्मक फोटो (Image: Freepik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि किसी ऐसी जगह पर छिप जाएं जहां आपको कोई ढूंढ ना सके. दरअसल, ऐसा शर्म की वजह से होता है. शर्माना कोई बुरी बात नहीं है क्योंकि यह एक इंसानी भावना है, लेकिन अगर कोई हद से ज्यादा शर्माने लगे तो ये आपकी मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. कई बार इंसान इसलिए भी शर्माता है क्योंकि वो खुद को अयोग्य समझता है. 

जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा शर्माने लगता है तो उसके अंदर नकारात्मकता आती है और वो खुद को दूसरों की अपेक्षा कम आंकने लगता है. उसे हर वक्त रिजेक्शन का डर लगा रहता है, जिसके कारण उसके आत्मसम्मान में भी कमी आती है. साइकोलॉजी के अनुसार, इंसान के शर्माने का कारण सेल्फ जजमेंट भी है क्योंकि वो लोगों के कहने पर खुद को जज करने लगता है और अपने अंदर कमी महसूस करने लगता है.

शर्माने की वजह से अक्सर व्यक्ति दूसरों को टालने की कोशिश करता है. अगर इंसान हद से ज्यादा शर्माने लगता है तो वह खुद को अयोग्य समझने लगता है, जिसके कारण वो समाज से दूरी बना लेता है और अकेलेपन की वजह से वो आगे चलकर एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है. 

शर्माने का इंसान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
1. इमोशनल और साइकोलॉजिकल प्रभाव- शर्माने की वजह से व्यक्ति खुद को अयोग्य समझने लगता है, जिसकी वजह से उसके आत्मसम्मान में कमी आने लगती है. वहीं. आगे चलकर वो मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है. 
2. व्यवहार संबंधी प्रभाव- शर्माने का इंसान के व्यवहार पर भी असर पड़ता है. ऐसा व्यक्ति हर चीज के लिए दूसरों से सलाह लेता है क्योंकि उसका खुद पर से भरोसा कम होने लगता है. 

इन लक्षणों से करें पहचान
1. शर्माने की साइकोलॉजी के मुताबिक, इंसान के अंदर शर्मिंदगी, अपमान, आत्मघृणा, आत्मसम्मान में कमी जैसी नकारात्मक भावनाएं आ जाती हैं, जिसकी वजह से वो दुखी, गुस्सैल और चिंतित रहता है. 
2. शर्माने की वजह से व्यक्ति में शारीरिक बदलाव भी देखने को मिलते हैं जैसे दिल की धड़कने तेज होना और पसीना आना. 
3. ऐसा व्यक्ति समाज से दूरी बना लेता है और सोशल एक्टिविटीज में भी भाग लेने से बचता है. 
4. शर्माने की वजह से इंसान में नेगेटिविटी आ जाती है और वो खुद को दूसरों से कम समझने लगता है. 

कैसे करें बचाव?
1. शर्माने की भावना से बचने के लिए इसके पीछे का कारण पता लगाएं कि आखिर आपके अंदर ये भावनाएं क्यों आ रही हैं. 
2. अपने अंदर से नेगेटिव विचारों को बाहर निकालिए और जितना हो सके उतना पॉजिटिव सोचिए.
3. अपनी तुलना दूसरों से ना करें क्योंकि इससे शर्मिंदगी और नकारात्मकता आती है. इसलिए आप जैसे भी हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करें. 
4. लोगों से अपनी फीलिंग्स शेयर करने की आदत डालें और उनसे मिले-जुलें. क्योंकि अकेलापन आपको मानसिक बीमारियों का रोगी बना सकता है. 

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