कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक प्रकार की मेंटल हेल्थ प्रोब्लम है. जब कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी ट्रॉमा से जूझ रहा होता है, तब उसे ये मानिसक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी होती है. अगर किसी के साथ कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसके सदमे से वह बाहर नहीं आ पा रहा है तो ऐसे इंसान को कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर होने का खतरा ज्यादा होता है. जैसे बचपन में शारीरिक शोषण, असफलता या फिर घरेलू हिंसा. इन घटनाओं का व्यक्ति के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है, जिसकी वजह से वह इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम का शिकार हो जाता है.
कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण
1. कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार वो घटनाएं याद आती हैं, जिससे उसे सदमा लगा है. इसके अलावा ऐसे इंसान को सोते समय बुरे सपने भी आते हैं.
2. इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम से जूझने वाला इंसान दूसरों से मिलने में कतराने लगता है. इसके अलावा कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति खुद को दूसरों से कम आंकने लगता है.
3. अगर आप छोटी-छोटी बातों को लेकर चौंक जाते हैं और दूसरों को शक व खतरे की नजर से देखते हैं तो ये कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण हैं. ऐसे लोग हमेशा हैरान-परेशान दिखाई देते हैं.
4. कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का शिकार व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव लेने लगता है. ऐसा इंसान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से वो हर बात पर चिड़चिड़ाने और घबराने लगता है. वहीं इस मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी करता है.
5. कॉम्पलैक्स पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझने वाला व्यक्ति अक्सर अशांत रहता है. उसे लगता है कि वो किसी काम को करने के लायक नहीं है. इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम में इंसान खुद को अंदर से टूटा हुआ महसूस करने लगता है और निराशा में डूब जाता है.
अगर आपको भी लगता है कि आप इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं तो आपको मनोवैज्ञानिक चिक्तिसक को दिखाना चाहिए. काउंसलिंग थैरेपी या दवाएं के साथ इस तरह की परेशानी पर काबू पाया जा सकता है.
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