क्या आपको कभी ऐसा महसूस होता है कि आपके आसपास हर समय गंदगी रहती है और आप तब तक अपने हाथ धोते रहते हैं, जब तक कि वो बिल्कुल रूखे ना हो जाएं. ये लक्षण कंटैमिनेशन ओसीडी के हैं, जो एक मेंटल हेल्थ प्रोब्लम है.
कंटैमिनेशन ओसीडी होने के मुख्य कारण
1. कई लोगों को कंटैमिनेशन ओसीडी जेनेटिक कारणों से भी होता है, जो उन्हें अपने पूर्वजों से मिलता है.
2. जो लोग लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं, उन्हें भी ये मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी हो जाती है.
3. बचपन से ही ज्यादा साफ-सफाई करने की आदत होने से आगे चलकर ये कंटैमिनेशन ओसीडी में बदल जाती है.
4. गंदगी को लेकर दिमाग में डर बैठ जाना भी इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम का कारण है.
5. जो लोग ज्यादा एंग्जाइटी और स्ट्रेस में रहते हैं, उन्हें भी कंटैमिनेशन ओसीडी हो जाता है.
6. अगर आप चीजों को लेकर ज्यादा सेंसेटिव हैं और भावनात्मक रूप से कमजोर हैं, तो कंटैमिनेशन ओसीडी का शिकार हो सकते हैं.
कंटैमिनेशन ओसीडी के लक्षण
1. आपने किसी चीज को छुआ और फिर तुरंत हाथ धोने लगे. ये कंटैमिनेशन ओसीडी के लक्षण हैं. इस अवस्था में इंसान को लगता है कि उसके हाथ गंदे बने रहते हैं, इसलिए वो उन्हें धोता रहता है.
2. इस मानसिक समस्या से पीड़ित लोग पब्लिक प्लेस यानी सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके चारों तरफ गंदगी है.
3. साफ-सफाई करना अच्छी बात है, लेकिन जरूरत से ज्यादा क्लीनिंग करना कंटैमिनेशन ओसीडी के लक्षण हैं. अगर आप एक ही जगह को बार-बार साफ करते रहते हैं, तो इसका मतलब आप इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम का शिकार हो गए हैं.
4. अगर आप कभी गलती से कचरे को छू दें और आपको पैनिक अटैक आने लगे, तो इसका मतलब आप कंटैमिनेशन ओसीडी से पीड़ित हैं.
5. अगर आप दस्तानों का जरूरत से ज्यादा उपयोग करते हैं तो ये भी कंटैमिनेसन ओसीडी के लक्षण हैं.
6. कंटैमिनेशन ओसीडी से पीड़ित इंसान के सिर पर साफ-सफाई का भूत सवार रहता है. क्योंकि उसे डर लगा रहता है कि कहीं उसके आसपास जर्म्स तो नहीं हैं.
कंटैमिनेशन ओसीडी से बचाव के तरीके
1. अपने ट्रिगर की पहचान करें, जिन चीजों की वजह से आपको कंटैमिनेशन ओसीडी ट्रिगर करता है उनका पता लगाएं.
2. अपने डर को काबू करने के लिए योगा और मेडिटेशन करें. इससे आपका दिमाग शांत होगा और कंटैमिनेसन ओसीडी ट्रिगर नहीं करेगा.
3. कंटैमिनेशन ओसीडी एक मेंटल हेल्थ प्रोब्मल है, इसलिए किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करें. क्योंकि इसका इलाज ना कराने पर आगे चलकर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
aajtak.in