सूरज की रोशनी वाला देश, फिर भी हर दूसरे व्यक्ति में विटामिन D की कमी, 22 लाख से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी

धूप से दूरी और एयरकंडिशनर की दुनिया ने हमें 'सन-डेफिशिएंट' बना दिया है. नई रिसर्च बताती है कि देश में हर दूसरा व्यक्त‍ि विटामिन D की भारी कमी से जूझ रहा है. विडंबना ये है कि उन्हें इसका एहसास तक नहीं. ये कमी सिर्फ हड्डियां नहीं कमजोर करती, बल्कि मूड स्विंग, थकान, हार्मोनल इम्बैलेंस और यहां तक कि डिप्रेशन का ट्रिगर भी बन सकती है.

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भारत में 46% लोग झेल रहे हैं विटामिन D की कमी, सबसे ज्यादा असर किशोरों पर भारत में 46% लोग झेल रहे हैं विटामिन D की कमी, सबसे ज्यादा असर किशोरों पर

aajtak.in

  • मुंबई ,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST

भारत में सूरज तो है पर उसकी रोशनी का फायदा शरीर तक नहीं पहुंच पा रहा. देशभर में जांच करवाने वाले करीब 46% लोगों में विटामिन D की कमी पाई गई है. ये खुलासा हुआ है मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड की एक बड़ी नेशनल स्टडी में. इसमें साल 2019 से जनवरी 2025 तक के 22 लाख से ज्यादा टेस्ट का डेटा शामिल किया गया.जानिए- क्या कहती है र‍िपोर्ट. 

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46.5% लोगों में विटामिन D की कमी

रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 46.5% लोगों में विटामिन D की कमी थी और 26% लोगों में इसका स्तर अपर्याप्त (कम लेकिन कमी नहीं) पाया गया. इस तरह देखा जाए तो देश के हर दो में से एक व्यक्ति को इस जरूरी विटामिन की कमी है. अच्छी बात ये है कि पिछले कुछ सालों में थोड़ा-सा सुधार भी द‍िख रहा है. साल 2019 में जहां ये कमी 51% थी, वहीं 2024 में घटकर 43% रह गई.

दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा कमी

अध्ययन में सबसे खराब स्थिति दक्षिण भारत की रही. यहां 51.6% लोगों में कमी मिली, खासकर केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में आधे से ज्यादा लोग प्रभावित पाए गए. वहीं मध्य भारत में ये कमी 48.1% रही, उत्तर भारत में 44.9%, जबकि पश्चिम भारत में (जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है) 42.9% लोग प्रभावित थे.

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सबसे बेहतर स्थिति पूर्वोत्तर भारत की रही जहां सिर्फ 36.9% लोगों में कमी पाई गई. विशेषज्ञों का मानना है कि यहां की विविध खानपान आदतें और ज्यादा आउटडोर लाइफस्टाइल इसके पीछे बड़ी वजह हैं.

सबसे ज्यादा असर टीनेजर्स पर

रिपोर्ट में बताया गया कि 13–18 साल के किशोरों में विटामिन D की कमी सबसे ज्यादा (66.9%) है. देखा जाए तो देश के दो-तिहाई टीनएजर इस कमी से जूझ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ये एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है जो भविष्य में हड्डियों और इम्यूनिटी पर गंभीर असर डाल सकती है. वहीं महिलाओं में कमी 46.9% और पुरुषों में 45.8% पाई गई जो बताता है कि महिलाओं में स्वास्थ्य जांच की पहुंच अब बेहतर हो रही है.

क्या हैं वजहें?

विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी बड़ी वजह अर्बन लाइफस्टाइल है. घंटों तक इनडोर रहना, धूप में कम समय बिताना, असंतुलित खानपान और काम का तनाव ये कमी दे रहा है. विशेषज्ञ कहते हैं कि विटामिन D का सोर्स सिर्फ सूरज की रोशनी नहीं, बल्कि संतुलित डाइट और सही जीवनशैली से भी ये जुड़ा हुआ है.

एक्सपर्ट बोले- हेल्थ चेकअप बहुत जरूरी

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेन्द्रन चेम्मेनकोटिल ने कहा कि विटामिन D की कमी भारत की सबसे अनदेखी की गई स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. ये धीरे-धीरे असर करती है, लेकिन इसके नतीजे लंबे समय तक चलते हैं. हड्डियों की कमजोरी, इम्यूनिटी में गिरावट और थकान व‍िटामिन डी की कमी से होने वाली प्रॉब्लम्स है.

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मेट्रोपोलिस की चीफ साइंटिफिक एंड इनोवेशन ऑफिसर डॉ. कीर्ति चड्ढा ने कहा कि विटामिन D शरीर के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन जब तक थकान, कमजोरी या बार-बार बीमार पड़ने जैसे लक्षण सामने नहीं आते, तब तक लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते. अगर किसी में इसकी कमी मिले तो कैल्शियम और पैराथायरॉयड हार्मोन की जांच भी करवानी चाहिए.

 

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