क्या है मेनोपॉज ट्रांजिशन, 52 की उम्र तक बंद न हों पीरियड्स तो क्या करें?

महिलाओं में मासिक चक्र की एक समय सीमा निर्धारित है. डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं में माहवारी 52 साल की उम्र तक बंद हो जाती है. इसे मेनोपॉज कहा जाता है. यदि 52 साल की उम्र तक माहवारी बंद नहीं हुई है तो इसे क्या माना जाना चाहिए. कैसे मेनोपाॅॅज के लक्षण पहचानते हैं, पढ़‍िए विशेषज्ञ की इस पर क्या राय है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

मेनोपॉज ट्रांजिशन वो वक्त होता है जब महिलाएं पीरियड्स की प्रक्र‍िया से निवृत्त होकर नये चरण में प्रवेश करती हैं. दुनिया भर में हर साल 1.5 मिलियन महिलाएं इस ट्रांज‍िशन से गुजरती हैं. ये वो दौर होता है जब महिलाएं कई तरह की परेशानियों का सामना भी करती हैं. इसमें ड्राई वजाइना से लेकर कामेच्छा (libido) में कमी, अनिद्रा, थकान और जोड़ों का दर्द आदि शामिल हैं. 

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सरोजनी नायडू मेड‍िकल कॉलेज की सीनियर प्रोफेसर स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ निध‍ि गुप्ता बताती हैं कि भारत में महिलाओं में रजोनिवृत्त‍ि की उम्र 45 से 52 साल तक होती है. मेनोपॉज के शुरुआती लक्षणों की बात करें तो जब यह ट्रांजिशन शुरू होता है तो महिलाओं की मेंस्रुअल साइकल लेट होने लगती है. कई बार दो दो महीने का गैप होकर पीरियड्स होता है. इसके अलावा पीरियड्स काफी कम हो जाते हैं, फ्लो भी कम होता है. इसके बाद यदि एक साल तक पीरियड नहीं होता तो इसे मेनो पॉज माना जाता है. 

मेनोपॉज के सामान्य लक्षण व स्वास्थ्य पर प्रभाव 

  • महिलाओं में इस दौरान हॉट फ्लैशेज होते हैं जब उन्हें एकदम से ठंडा पसीना आता है. 
  • इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन कम होता है जिससे वजाइना ड्राई होता है और सेक्स ड्राइव भी कम हो जाता है. 
  • महिलाओं में थकावट, चिड़चिड़ापन, उदासी आदि लक्षण भी इस दौरान देखे जाते हैं. 
  • इस दौरान वजाइनाइटिस और यूटीआई ज्यादा होता है इसके पीछे भी हार्मोनल बदलाव वजह होता है. 
  • एस्ट्रोजन कार्ड‍ियो प्रोटेक्ट‍िव हार्मोन होता है, इसके कम बनने के कारण हार्ट की प्रॉब्लम का खतरा होता है. 
  • महिलाओं में मूड स्विंग और प्रो लैप्स की परेशानी भी हो सकती है 

पोस्ट मेनोपॉज ब्लीडिंग गंभीर लक्षण 

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डॉ निध‍ि कहती हैं कि यदि महिलाओं में पोस्ट मेनोपॉज ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो इसे सीरियस लेना चाहिए. ऐसा कोई लक्षण दिखने पर सभी जांचें करानी चाहिए. इसके अलावा मेमोग्राफी और अल्ट्रा साउंड कराना चाहिए. 

52 की उम्र तक मेनोपॉज जरूरी

डॉ निध‍ि कहती हैं कि कई अध्ययनों में सामने आया है कि रजोनिवृत्त महिलाओं में कई और लक्षण भी देखे जाते हैं. इनमें जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, शरीर के आकार में बदलाव और त्वचा की झुर्रियों में बढ़ोत्तरी शामिल है. कई अध्ययनों ने इन लक्षणों और रजोनिवृत्ति के बीच संबंधों की जांच की है. इसमें यह पाया गया कि इस तरह के लक्षण सभी महिलाओं में आम नहीं हैं. उम्र बढ़ने का भी इसमें संबंध होता है. मेनोपॉज की उम्र की बात करें तो डॉ निध‍ि कहती हैं कि मेडिकल साइंस में 52 साल की उम्र तक मेनोपॉज की निश्च‍ित उम्र मानी जाती है. यदि इस उम्र के बाद तक ब्लीडिंग होती है. मेनोपॉज नहीं हेाता है तो भी डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है. 

मेनोपॉज के लक्षण आने पर क्या करें

  • अपनी डेली रूटीन में एक्सरसाइज जरूर शामिल करें 
  • संतुलित आहार लें, तरल पदार्थों का सेवन करें और मल्टी विटामिन की खुराक लेते रहें. 
  • समय समय पर डॉक्टर से स्वास्थ्य चेकअप कराते रहें. 
  • अपने जननांगों की हाईजीन मेंटेन रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें 
  • 6 से 7 घंटे की नींद जरूर लें, नकारात्मक ख्याल आने पर मनोवैज्ञानिक से काउंसिलिंग कराएं. 
     

 

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