मेनोपॉज ट्रांजिशन वो वक्त होता है जब महिलाएं पीरियड्स की प्रक्रिया से निवृत्त होकर नये चरण में प्रवेश करती हैं. दुनिया भर में हर साल 1.5 मिलियन महिलाएं इस ट्रांजिशन से गुजरती हैं. ये वो दौर होता है जब महिलाएं कई तरह की परेशानियों का सामना भी करती हैं. इसमें ड्राई वजाइना से लेकर कामेच्छा (libido) में कमी, अनिद्रा, थकान और जोड़ों का दर्द आदि शामिल हैं.
सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज की सीनियर प्रोफेसर स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ निधि गुप्ता बताती हैं कि भारत में महिलाओं में रजोनिवृत्ति की उम्र 45 से 52 साल तक होती है. मेनोपॉज के शुरुआती लक्षणों की बात करें तो जब यह ट्रांजिशन शुरू होता है तो महिलाओं की मेंस्रुअल साइकल लेट होने लगती है. कई बार दो दो महीने का गैप होकर पीरियड्स होता है. इसके अलावा पीरियड्स काफी कम हो जाते हैं, फ्लो भी कम होता है. इसके बाद यदि एक साल तक पीरियड नहीं होता तो इसे मेनो पॉज माना जाता है.
मेनोपॉज के सामान्य लक्षण व स्वास्थ्य पर प्रभाव
पोस्ट मेनोपॉज ब्लीडिंग गंभीर लक्षण
डॉ निधि कहती हैं कि यदि महिलाओं में पोस्ट मेनोपॉज ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो इसे सीरियस लेना चाहिए. ऐसा कोई लक्षण दिखने पर सभी जांचें करानी चाहिए. इसके अलावा मेमोग्राफी और अल्ट्रा साउंड कराना चाहिए.
52 की उम्र तक मेनोपॉज जरूरी
डॉ निधि कहती हैं कि कई अध्ययनों में सामने आया है कि रजोनिवृत्त महिलाओं में कई और लक्षण भी देखे जाते हैं. इनमें जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, शरीर के आकार में बदलाव और त्वचा की झुर्रियों में बढ़ोत्तरी शामिल है. कई अध्ययनों ने इन लक्षणों और रजोनिवृत्ति के बीच संबंधों की जांच की है. इसमें यह पाया गया कि इस तरह के लक्षण सभी महिलाओं में आम नहीं हैं. उम्र बढ़ने का भी इसमें संबंध होता है. मेनोपॉज की उम्र की बात करें तो डॉ निधि कहती हैं कि मेडिकल साइंस में 52 साल की उम्र तक मेनोपॉज की निश्चित उम्र मानी जाती है. यदि इस उम्र के बाद तक ब्लीडिंग होती है. मेनोपॉज नहीं हेाता है तो भी डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है.
मेनोपॉज के लक्षण आने पर क्या करें
मानसी मिश्रा