जीवन में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है, लेकिन कुछ लोग इस दौरान इमोशनल रूप से काफी टूट जाते हैं, जिसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. आज के समय में इंसान हर छोटी-छोटी चीज का तनाव लेता है, जैसे रिश्तों की समस्याएं, पारिवारिक मुद्दे और करियर की टेंशन इन सबकी वजह से व्यक्ति कई बार भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है. इंसान की इस मानसिक अवस्था को इमोशनल ब्रेकडाउन का कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति को तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्याएं हो जाती हैं.
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, इमोशनल ब्रेकडाउन एक मेडिकल समस्या नहीं है, लेकिन इसकी वजह से व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित होने लगता है. इमोशनल ब्रेकडाउन के दौरान व्यक्ति लगातार उदासी या निराशा महसूस करता है, उसे बिना किसी वजह के चिंता और घबराहट होती है, शरीर में कमजोरी, नींद की समस्या, काम पर फोकस ना कर पाना, पसंदीदा काम में दिलचस्पी खत्म हो जाना, जल्दी गुस्सा आना, बेवजह रोना, दोस्तों और परिवार से दूरी बना लेना, अपनी क्षमता पर संदेह करना और आत्म-सम्मान में कमी महसूस करना ये सभी इमोशनल ब्रेकडाउन के लक्षण हैं.
इमोशनल ब्रेकाडाउन के कारण
1. जब कोई व्यक्ति लंबे समय से तनाव में रहता है तो इससे उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे वह भावनात्मक रूप से टूट जाता है. फाइनेंशियल प्रोब्लम भी इमोशनल ब्रेकडाउन का कारण हो सकता है.
2. भावनात्मक आघात के कारण भी इमोशनल ब्रेकडाउन होता है, जैसे किसी गंभीर घटना का सामना करना जो मानसिक या भावनात्मक रूप से व्यक्ति को प्रभावित करता है. किसी गंभीर हादसे में शामिल होना, भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना या फिर अपने किसी प्रियजन को खोना.
3. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं जैसे डिप्रेशन, एंग्जाइटी और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की वजह से भी इमोशनल ब्रेकडाउन होता है.
4. इंसान के जीवन में ऐसी कई समस्याएं होती हैं, जो सुलझ नहीं पाती और दिक्कतें भी इमोशनल ब्रेकडाउन का कारण बन जाती है. जैसे पारिवारिक झगड़े, असहमति, या संवाद की कमी भी इसमें शामिल है.
5. लाइफ में कोई बड़ा बदलाव होना. जैसे नौकरी बदलना, विवाह, या तलाक, व्यक्ति के जीवन में बड़े प्रभाव डाल सकते हैं. कई बार नई जिम्मेदारियां भी इमोशनल ब्रेकडाउन का कारण बन जाती हैं.
6. शारीरिक परेशानियां जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, या कैंसर जैसी लंबे समय से चल रही बीमारियां व्यक्ति को मानसिक तनाव में डाल सकती हैं. इसके अलावा हार्मोनल परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मूड स्विंग, अवसाद या चिंता बढ़ सकती है. वहीं कुछ दवाएं भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.
इमोशनल ब्रेकडाउन से ऐसे पाएं निजात
1. अपने विचारों, भावनाओं और समस्याओं को किसी से साझा करें चाहे वह परिवार का सदस्य हो, दोस्त हो या मनोचिकित्सक. बात करने से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. यह आपको अपने भावनात्मक बोझ को हल्का करने, सही दिशा में जाने, और समस्याओं को समझने में मदद करता है.
2. एक नियमित दिनचर्या तैयार करें, जो आपके दैनिक कार्यों और गतिविधियों को व्यवस्थित करती है. यह आपके जीवन में संतुलन लाता है. इसके लिए दैनिक कार्यों को लिखें और हर काम के लिए समय निर्धारित करें.
3. जीवन में तनाव के कारणों की पहचान करना और उन्हें कम करने के लिए कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि जब आप कारणों की पहचान कर लेते हैं तो उन्हें बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनके प्रभाव को कम कर सकते हैं. समस्याओं को पहचानना, उन्हें समझना और सही उपाय करना तनाव को कंट्रोल करने के लिए बहुत जरूरी है.
4. अपने विचारों और भावनाओं को एक डायरी में लिखने की आदत डालें. दरअसल, लिखने से मन के बोझ को हल्का करने में मदद मिलती है.
5. माइंडफुल एक्टिविटीज करने से मानसिक शांति मिलती है. इसलिए रोजाना मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें.
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