प्रोटीन की वजह से बूढ़ा हो रहा दिमाग? भूलने की बीमारी का बन सकता है कारण

Why Brain Age: यूसीएसएफ के वैज्ञानिकों ने एफटीएल1 नामक एक प्रोटीन की खोज की है जो दिमाग की उम्र बढ़ने और याददाश्त कम होने के प्रॉसेस को तेज करता है.

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रिसर्च में सामने आया है कि एक तरह का प्रोटीन दिमाग को बूढ़ा बना सकता है. (Photo: Pixabay) रिसर्च में सामने आया है कि एक तरह का प्रोटीन दिमाग को बूढ़ा बना सकता है. (Photo: Pixabay)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

हम सभी जानते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ भूलने की बीमारी हो जाती है, रिएक्शंस धीमे हो जाते हैं और इसके साथ ही नई चीजें सीखने में भी मुश्किल आती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उम्र बढ़ने के साथ आपका दिमाग धीमा क्यों पड़ जाता है? वैज्ञानिकों को आखिरकार इसका जवाब मिल गया है. सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की एक टीम ने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है जो दिमाग को बूढ़ा बनाने में अहम भूमिका निभाता है और इससे भी ज्यादा रोमांचक बात ये है कि उन्होंने इसके इफेक्ट्स को उलटने का एक तरीका भी निकाल लिया है. 

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दिमाग क्यों होता है बूढ़ा?
जैसे-जैसे लोग बड़े होते हैं, उन्हें अक्सर भूलने की बीमारी, धीमी स्पीड से सीखने और कमजोर सजगता जैसी समस्याएं महसूस होती हैं. एक नई रिसर्च में पता चला है कि इसकी एक वजह एक ऐसा प्रोटीन है, जो दिमाग पर असर डालता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन फ्रांसिस्को (UCSF) के रिसर्चर्स ने पाया है कि ये प्रोटीन दिमाग की उम्र बढ़ने में अहम भूमिका निभाता है.

उम्र बढ़ने से सबसे ज्यादा असर दिमाग के  हिप्पोकैम्पस नामक हिस्से पर पड़ता है. ये हिस्सा सीखने और याददाश्त को कंट्रोल करता है. इसकी रिसर्च करने के लिए, रिसर्चर्स ने यंग और बूढ़े चूहों के दिमाग की तुलना की. उन्होंने चेक किया कि समय के साथ कौन से जीन और प्रोटीन उनमें बदले. सबसे बड़ा अंतर FTL1 नामक प्रोटीन में आया था. बूढ़े चूहों में यंग चूहों की तुलना में FTL1 का लेवल ज्यादा था. ज्यादा FTL1 होने का मतलब है कि ब्रेन सेल्स आपस में कम जुड़ती हैं और याददाश्त कमजोर हो जाती है.

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यंग चूहों में FTL1 का टेस्ट:
ये टेस्ट करने के लिए कि क्या सच में FTL1 ही दिमाग के बूढ़ा होने का कारण है, रिसर्चर्स ने छोटे/यंग चूहों में इस प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दी. इसके परिणाम स्वरूप उनका दिमाग बूढ़े चूहों जैसे दिखने और काम करने लगे. लैब में किए गए एक्सपेरिमेंट्स में पाया गया कि जिन नर्व सेल्स में FTL1 ज्यादा था, उन्होंने जर्नल ब्रांचेज नहीं बनाई. उनकी जगह सिर्फ नॉर्मल स्ट्रेकचर्स बनीं, जिससे दिमाग के सेल्स का आपस में जुड़ना मुश्किल हो गया.

रिवर्सिंग द इफेक्ट्स:
इसके बाद टीम ने बूढ़े चूहों में FTL1 कम करने की कोशिश की. इस बार नतीजे अच्छे रहे. बूढ़े चूहों के दिमागी सेल्स में ज्यादा कनेक्शन बने और उन्होंने याददाश्त के टेस्ट में अच्छा परफॉर्मेंस किया. रिसर्च के सीनियर लेखक डॉ. सॉल विलेडा ने कहा, 'ये सच में डिसऑर्डर्स को उलटने जैसा है. ये केवल लक्षणों को टालने या रोकने से कहीं बढ़कर है.'

मेटाबॉलिज्म से भी है इसका कनेक्शन:
रिसर्चर्स ने ये भी पाया कि FTL1 और मेटाबॉलिज्म का भी सीधा कनेक्शन है. दरअसल, FTL1 हिप्पोकैम्पस सेल्स में मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है. इससे निपटने के लिए उन्होंने सेल्स का ट्रीटमेंट एक ऐसे कंपाउंड से किया जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है. इससे FTL1 के हानिकारक प्रभावों से बचाव हुआ.

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भविष्य के लिए जगी आशा:
ये रिसर्च उम्मीद देती है कि आने वाले समय में ऐसी दवाइयां या इलाज बनाए जा सकते हैं, जो FTL1 को रोकें और दिमाग को बूढ़ा होने से बचाएं. डॉ. विलेडा के अनुसार, 'हम अब बुढ़ापे के सबसे बुरे असर को कम करने के और मौके देख रहे हैं. ये बुढ़ापे की साइंस पर काम करने का बहुत अच्छा समय है.'
 

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