20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. इसी सिलसिले में एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है. वीडियो किसी कार्यक्रम का है जहां पैनल पर 4 लोग मौजूद हैं. इन लोगों से सबा अहमद नाम की महिला सवाल करती है, “मैं जानती हूं कि इस्लाम और मुसलमानों की एक खराब छवि पेश की जाती है. इस देश में 80 लाख से ज्यादा मुसलमान रहते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्हें ये प्रतिनिधित्व दिया गया. हम विचारधारा के युद्ध को हथियारों के बल पर कैसे लड़ सकते हैं?” इसके बाद एक महिला पैनलिस्ट इन सभी सवालों का विस्तार से जवाब देती हैं. इसे शेयर करने वालों का दावा है कि महिला ने ये सवाल इसलिए पूछा क्योंकि ट्रंप की कैबिनेट में एक भी मुस्लिम शख्स को शामिल नहीं किया गया है.
वीडियो को शेयर करते हुए एक एक्स यूजर ने लिखा, “अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प 20 जनवरी 2025 को शपथ ले रहे हैं, सभी धर्म जातियों देशों को अपनी केबीनेट में जगह दी पर एक भी मुस्लिम मोदी जी की तरह अपनी केवीनेट में नही लिया, अमेरिका में रहने वाली मुस्लिम युवती ने मंच पर बैठे अधिकारीयों से एक सवाल किया कि दुनिया भर में *हम मुस्लिमों की छवि को गलत क्यूँ पेश किया जाता है..* तो वहाँ एक महिला अधिकारी ने जो जवाब दिया वो कान खोलने वाला था... विडीओ में *हिंदी का अनुवाद भी दिखलाई पड़ेगा. जरूर देखें व सुनें.....!!! एक एक प्वाइंट में दम है,, जरुर जरुर सुने”. ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं बल्कि साल 2014 में द हेरिटेज फाउंडेशन के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम का है. उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा थे.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मिला. एक यूट्यूब चैनल पर इसे 2018 में अपलोड किया गया था. वहीं, एक फेसबुक यूजर ने इसी वीडियो को 2019 में अपलोड किया था. यानी एक बात यहीं साफ हो जाती है कि वायरल वीडियो का अमेरिका के वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से कोई लेना देना नहीं है.
वीडियो में हमें “द हेरिटिज फाउंडेशन” लिखा हुआ नजर आया. द हेरिटिज फाउंडेशन अमेरिका का एक थिंकटैंक है. इसके आधार पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें 2014 की कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें इस घटना का जिक्र था. गौरतलब है कि 2014 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे.
खबरों के मुताबिक द हेरिटेज फाउंडेशन ने लीबिया के बेंगाजी में साल 2012 में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले को लेकर 16 जून 2014 को वाशिंगटन में एक कार्यक्रम किया था. इस दौरान सबा अहमद नाम की अमेरिका यूनिवर्सिटी की एक लॉ स्टूडेंट ने ‘मुसलमानों की खराब छवि’ और अमेरिका में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व में कमी को लेकर सवाल किया था जिसके बाद पैनलिस्ट्स के साथ उनकी तीखी बहस हो गई.
चार लोगों के पैनल में क्रिस प्लांटे, क्लेयर लोपेज, ब्रिजिट गेब्रियल और फ्रैंक गैफनी शामिल थे. ब्रिजिट गेब्रियल ने सबा के सवाल का विस्तार से जवाब दिया और कहा था कि “हम यहां मुसलमानों की आलोचना के लिए नहीं आये थे. सभी मुस्लिम कट्टरपंथी नहीं हैं सिर्फ 15 से 25 फीसदी ही ऐसे हैं. लेकिन हमें इन 15 से 25 फीसदी लोगों से भी चिंता करने की जरूरत है क्योंकि यही कट्टरपंथी लोग हत्याएं करते हैं और लोगों का गला काटते हैं.”
हमें द हेरिटेज फाउंडेशन के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर इस बातचीत का पूरा वीडियो भी मिल गया. यहां इसे 17 जून 2014 को अपलोड किया गया था. इस वीडियो में सबा अहमद के सवालों का जवाब पैनल के तीन लोग एक-एक करके देते हैं. यहां भी यही जानकारी दी गई है कि ये कार्यकरम 16 जून 2014 को हुआ था.
दरअसल, 11 सितंबर 2012 को लीबिया स्थित बेंगाजी दूतावास पर हुए एक हमले में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवन समेत 3 कर्मचारी मारे गये थे. ये हमला अमेरिका में बनी एक फिल्म के विरोध में किया गया था. फिल्म में कथित तौर पर पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया गया था.
इस तरह ये साफ हो जाता है कि ये 2014 में हुए एक कार्यक्रम के वीडियो को ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
(रिपोर्ट: अभिषेक पाठक)
फैक्ट चेक ब्यूरो