सोशल मीडिया पर एक वीडियो के साथ कहा जा रहा है कि यूपी के बरेली में एक महिला टीचर ने एक मुस्लिम छात्र को इसलिए पीट दिया क्योंकि छात्र ने उनके लिए नींबू तोड़ कर लाने से मना कर दिया था.
वायरल वीडियो में एक जख्मी पीठ की फोटो है और इसके बाद एक महिला की फोटो दिखती है, जिसे आरोपी टीचर बताया गया है. दावे के अनुसार, पीड़ित छात्र का नाम अब्दुल रहमान है जिसे महिला टीचर ने बेरहमी से पीटा.
एक एक्स यूजर ने लिखा, “उत्तर प्रदेश बरेली में शिक्षिका ने कमरे में बंदकर मुस्लिम छात्र को जमकर पीटा, क्योलड़िया के बिहारीपुर में छात्र अब्दुल रहमान को जामुन, नींबू तोड़ने से मना करने पर बेरहमी से पीटा गया। शिक्षिका ने मार-मारकर पीठ की खाल उधेड़ दी। पीड़ित छात्र के परिजनों ने मुकदमा दर्ज कराया.” इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इस पोस्ट को फेसबुक पर भी शेयर किया गया है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि बरेली की इस हालिया घटना में पीड़ित छात्र मुस्लिम नहीं बल्कि दलित है.
कैसे पता चली सच्चाई?
कीवर्ड्स के जरिये सर्च करने पर हमें इस घटना से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, ये मामला बरेली के नवाबगंज क्षेत्र में आने वाले बिहारीपुर अब्दुल रहमान गांव के प्राथमिक विद्यालय का है.
20 जुलाई को कक्षा चार में पढ़ने वाले एक छात्र से अध्यापिका रजनी गंगवार ने जामुन और नींबू लाने को कहा था. लेकिन छात्र ने मना कर दिया और अपने गांव वालों को अध्यापिका की शिकायत कर दी. इस बात से रजनी गंगवार गुस्सा हो गईं और छात्र जब अगले दिन स्कूल आया तो वो उसे एक कमरे में बंद करके डंडे से पीटने लगीं.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि सभी मीडिया रिपोर्ट्स में छात्र को मुस्लिम नहीं, बल्कि दलित समुदाय का बताया गया है.
मीडिया खबरों के अनुसार, टीचर रजनी गंगवार को निलंबित कर दिया गया है और छात्र के परिजनों ने उन पर मुकदमा भी दर्ज करवाया है.
हमने वायरल दावे के बारे में नवाबगंज थाने के सर्कल ऑफिसर हर्ष मोदी से बात की. हर्ष मोदी ने छात्र के मुस्लिम होने के दावे से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने आजतक को बताया कि पीड़ित छात्र दलित है और पुलिस ने आरोपी टीचर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत मुकदमा भी दर्ज किया है.
बरेली पुलिस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से भी छात्र के मुस्लिम होने के दावों को नकारा है.
वायरल दावों में छात्र का नाम अब्दुल रहमान बताया गया है. मगर अब्दुल रहमान छात्र का नाम नहीं है बल्कि उसके गांव का नाम “बिहारीपुर अब्दुल रहमान” है.
हमारी पड़ताल से साफ है कि बरेली में टीचर द्वारा छात्र की बेरहमी से की गई पिटाई की इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
सत्यम तिवारी