हाथों में मशाल लिए, भगवा धोती पहने कुछ लोगों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. देखने में ऐसा लगता है कि ये लोग एक-दूसरे पर ही जलती हुई मशालें फेंक रहे हैं.
लोगों की मानें तो इन पंडितों के बीच दान के पैसों के बंटवारे को लेकर अनबन हो गई थी. इसी वजह से उनकी आपस में लड़ाई हो गई.
वीडियो के अंदर टेक्स्ट में लिखा है, “दान पेटी से हिसा नहीं मिला तो आपस में ही भीड़ गए. मंदिर में सारा मामला दान दक्षिणा का है.”
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो मंगलुरु, कर्नाटक के दुर्गा परमेश्वरी मंदिर का है, जहां हर साल ‘अग्नि केली’ उत्सव के दौरान श्रद्धालु एक-दूसरे पर पेड़ की सूखी छालें जला कर फेंकते हैं.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये ‘डेली मेल वीडियो’ के फेसबुक अकाउंट पर मिला. यहां 28 अप्रैल को इसे शेयर करते हुए बताया गया है कि दुर्गा परमेश्वरी देवी के भक्त उनके मंदिर के ठीक सामने ये सदियों पुरानी परंपरा निभाते हैं.
हमें इस बारे में 21 अप्रैल की इंडिया टुडे की एक वीडियो रिपोर्ट भी मिली. वायरल वीडियो के तरह इसमें भी भगवा धोती पहने लोगों को 'अग्नि केली' उत्सव में भाग लेते हुए देखा जा सकता है. साथ ही, इस रिपोर्ट में कुछ पंडित इस परंपरा के बारे में जानकारी देते हुए भी दिख रहे हैं.
ये पंडित बताते हैं कि मंगलुरु और उडुपी के सभी मंदिरों में हर साल ये उत्सव मनाया जाता है. वहीं, कटील गांव में अट्टूर और कोडेटूर गांव के लोग मिलकर कटील श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर के सामने 'थूतेदारा' या 'अग्नि केली' उत्सव मनाते हैं.
खबरों के मुताबिक, हर साल अप्रैल के महीने में मंगलुरु में आठ दिनों के लिए उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान 'अग्नि केली' की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें गांव के लोग करीब 15 मिनट के लिए सूखे पत्तों या कपड़ों और तेल से बनी जलती हुई मशालें एक-दूसरे पर फेंकते हैं. ये परंपरा दुर्गा परमेश्वरी को खुश करने के लिए निभाई जाती है. इस साल 20 अप्रैल को 'अग्नि केली' उत्सव मनाया गया था.
साफ है, कर्नाटक के एक उत्सव के वीडियो को भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है.
संजना सक्सेना