क्या सरकार पूरे देश के बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपए देने की योजना ला रही है? इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए कुछ ऐसा ही दावा किया जा रहा है. वीडियो में कहा जा रहा है कि “पालक माता-पिता योजना” के तहत 18 साल से छोटे बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपए मिलेंगे.
वीडियो के मुताबिक, अगर कोई इस योजना का लाभ उठाना चाहता है तो उसे वीडियो वाले इंस्टाग्राम पोस्ट के कमेंट बॉक्स में अपना नाम लिखना होगा. और “Tricky Host” नाम की एक वेबसाइट पर जाकर एक फॉर्म भरना होगा.
वीडियो में दी गई जानकारी को सही मानते हुए लोग कमेंट बॉक्स में अपना या अपने बच्चों का नाम लिख रहे हैं. वायरल पोस्ट का आर्कइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
लेकिन, आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि “पालक माता-पिता योजना” भारत नहीं बल्कि गुजरात सरकार चलाती है, जिसमें 18 साल से छोटे अनाथ या बेसहारा बच्चों को राज्य सरकार प्रति माह तीन हजार रुपए देती है.
2009 में लाई गई इस योजना के तहत गुजरात सरकार 18 साल तक के उन बच्चों को हर महीने 3000 रुपए देती है, जिनके मां-बाप की मौत हो चुकी हो या बच्चे के पिता की मौत हो गई हो और मां ने दूसरी शादी कर ली हो.
ये राशि बच्चे को पाल रहे करीबी रिश्तेदार या पालक और बच्चे के संयुक्त बैंक खाते में भेजी जाती है. इस योजना का मकसद है कि बच्चे का पालन-पोषण हो सके और वो पढ़-लिख सके. बच्चा जैसी ही 18 साल का होता है, ये सहायता बंद हो जाती है. इस योजना का पात्र होने के लिए और भी कई शर्ते हैं जिन्हें यहां पढ़ा जा सकता है.
जाहिर है कि ये योजना सिर्फ गुजरात के बच्चों के लिए है जो बात वीडियो में नहीं बताई गई है. ये बात भी बेतुकी है कि वीडियो के कमेंट बॉक्स में अपना नाम लिखने से इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है. वीडियो में ऐसा करने के लिए इसलिए कहा गया है जिससे इसकी रीच बढ़े.
वीडियो में 'Tricky Host' नाम की एक वेबसाइट पर 'पालक माता-पिता योजना' का फॉर्म भरने के लिए भी कहा गया है. वेबसाइट पर इस योजना के बारे में बताया तो गया है, लेकिन कहीं भी ये नहीं लिखा है कि ये सिर्फ गुजरात के लोगों के लिए है.
इस वेबसाइट पर एक लिंक क्लिक करने को कहा गया है. ये लिंक लोगों को गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की वेबसाइट पर ले जाता है. यहीं से 'पालक माता-पिता योजना' के लिए आवेदन किया जाता है. और यहीं पर आवेदक को पता चलेगा कि ये योजना सिर्फ गुजरात के बच्चों के लिए है.
हालांकि, कुछ और राज्यों में भी अनाथ और बेसहारा बच्चों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए योजनाएं चलाई जाती हैं. भारत सरकार ने भी 2021 में 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' स्कीम शुरू की थी.
इसका उद्देश्य उन बच्चों को सहयोग देना है जिन्होंने 11 मार्च, 2020 में शुरू हुई कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता को खो दिया हो.
लेकिन, इस तरह की योजनाओं का पात्र बनने के लिए कई मापदंड होते हैं. जो लोग इन्हें पूरा कर पाते हैं सिर्फ उन्हें ही योजनाओं का लाभ मिलता है, ना कि सभी को.
फैक्ट चेक ब्यूरो