नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने 15 सितंबर को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए तीन मंत्रियों को शामिल किया. ओमप्रकाश अर्याल, रामेश्वर खनाल और कुलमान घीसिंग ने मंत्री पद की शपथ ली.
इस बीच सफेद कुर्ता और लाल टोपी पहने कुछ लोगों पर पुलिस लाठीचार्ज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में किसी सड़क पर बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस वालों और कुछ लोगों के बीच झड़प देखी जा सकती है. वीडियो किसी प्रदर्शन के दौरान का लग रहा है. लाल टोपी के चलते कई लोग पिट रहे लोगों को समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता समझ रहे हैं.
वायरल वीडियो को हाल-फिलहाल का बताते हुए कुछ लोगों का कहना है कि लाल टोपी पहने हुए ये लोग नेपाल के Gen-Z प्रोटेस्ट की तर्ज पर भारत में विरोध प्रदर्शन करने निकले थे लेकिन पुलिस ने इनकी पिटाई कर इसे नाकाम कर दिया. वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, “लाल टोपी चले थे नेपाल बनाने, क्या हश्र हुआ खुद देख लीजिए.” इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
हालांकि, आजतक फैक्ट ने पाया कि ये वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है. जुलाई 2021 का ये वीडियो प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज का है.
कैसे पता की सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये 2021 के एक एक्स पोस्ट में मिला. इतनी बात तो यहीं साफ हो जाती है कि वीडियो कम से कम 4 साल पुराना है.
समाजवादी पार्टी के एक्स अकाउंट से भी ये वीडियो 3 जुलाई, 2021 को शेयर किया गया था. वीडियो के साथ दी गई जानकारी में इसे प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज से संबंधित बताया गया है.
इस जानकारी के साथ सर्च करने पर हमें नवभारत टाइम्स की 3 जुलाई, 2021 की एक न्यूज रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में भी वायरल वीडियो को देखा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज कर दिया.
दरअसल, समाजवादी पार्टी ने 2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. सपा के मुताबिक चुनाव में गड़बड़ी का विरोध करने पर प्रयागराज, लखनऊ, प्रतापगढ़ और कौशांबी समेत कई जिलों में पुलिस ने उनके कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया था.
साफ है कि सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज के पुराने वीडियो को हाल-फिलहाल में हुए विरोध प्रदर्शन का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
फैक्ट चेक ब्यूरो