फैक्ट चेक: अलीगढ़ में मुस्लिम फलवालों ने नहीं किया इस मंदिर की जगह पर कब्जा, ये है पूरी कहानी

सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि अलीगढ़ में मुस्लिम फलवालों ने एक जगह पर अतिक्रमण किया हुआ था. नगर निगम ने जब फल की दुकान को वहां से हटाया तो इसके पीछे सालों से दबा एक मंदिर निकला. आज तक ने इस वीडियो और इसे लेकर किए जा रहे दावे का फैक्ट चेक किया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
अलीगढ़ में मुस्लिम फलवालों के सालों पुराने अतिक्रमण को हटाने पर वहां दबा हुआ एक हिंदू मंदिर निकला.
सच्चाई
अलीगढ़ में हाल ही में इस फल की दुकान को वाकई हटाया गया था लेकिन इसका मालिक एक हिंदू ही है. साथ ही, इस दुकान ने मंदिर की जगह पर कब्जा नहीं किया था.

सूरज उद्दीन मंडल

  • कोलकाता,
  • 30 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का बताकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल है. वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि अलीगढ़ में मुस्लिम फलवालों ने एक जगह पर अतिक्रमण किया हुआ था. लेकिन नगर निगम ने जब फल की दुकान को वहां से हटाया तो इसके पीछे सालों से दबा एक मंदिर निकला. 

वीडियो के साथ ये कहने की कोशिश की जा रही है कि मुसलमानों ने मंदिर की जगह पर कब्जा किया हुआ था. वीडियो किसी सड़क का है जिसकी एक तरफ एक गुंबदनुमा ढांचा दिख रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस ढांचे के बगल में तोड़फोड़ की गई है. 

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वीडियो के साथ एक एक्स यूजर ने कैप्शन में लिखा है, “अब अलीगढ़ में दुकान के पीछे छुपा दिया था मंदिर. आगे मुल्ला लोग बेच रहे थे फल पीछे मंदिर नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ कार्यवाही के दौरान फलों की दुकानों के पीछे सालों से दबा हुआ मंदिर निकला.....हिन्दुओं... आखिर कब नींद से जागोगे ? जब तुम्हारे घर भी ऐसे ही दबा दिए जायेंगे ?”

इस कैप्शन के साथ वीडियो को फेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है. 

लेकिन आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि इस मामले में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है. अलीगढ़ में इस फल की दुकान को वाकई हटाया गया था लेकिन इसका मालिक एक हिंदू ही है. साथ ही, इस दुकान ने मंदिर की एंट्री ब्लॉक नहीं की थी. मंदिर जाने का रास्ता दुकान के बगल से था. 

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कैसे पता की सच्चाई?  

कीवर्ड के जरिए सर्च करने पर हमें न्यूज आउटलेट हिंदुस्तान की 29 अगस्त की एक खबर मिली. खबर में बताया गया है कि 28 अगस्त को अलीगढ़ नगर निगम ने सूतमिल एवं मीनाक्षी पुल के नीचे से गुरूद्वारा रोड तक अतिक्रमण हटाया था. इस दौरान सड़क पर बनी कई दुकानों को भी हटाया गया था. 

इस जानकारी के साथ सर्च करने पर हमें यूट्यूब पर इस अभियान से जुड़ी कई वीडियो रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें अधिकारियों को दुकानें हटाते हुए देखा जा सकता है. इन रिपोर्ट्स में वायरल वीडियो वाली जगह भी देखी जा सकती है.

एक यूट्यूब वीडियो में नीलकंठ स्वीट्स नाम की एक दुकान दिख रही है. सर्च करने पर हमें ये दुकान गूगल स्ट्रीट व्यू पर मिल गई. इस दुकान के बगल में फल की वो दुकान भी नजर आ रही है जिसके बारे में वायरल पोस्ट में बताया गया है. इस फल की दुकान पर एक बैनर लटका है जिसपर ‘डालचंद्र राजपूत फ्रूट शॉप” लिखा है. इससे ऐसा लगता है कि दुकान का मालिक कोई हिंदू है. 

 

पुष्टि करने के लिए हमने इस दुकान के ठीक सामने स्थित लक्ष्मी मिष्ठान भंडार नाम की दुकान चलाने वाले राज कुमार से बात की. उन्होंने हमें बताया कि फल की दुकान के मालिक डालचंद्र राजपूत और उनके बेटे रविंद्र, दोनों हिंदू हैं. 

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राज कुमार ने हमें आगे बताया कि ये दावा भी गलत है कि इस फलवाले ने मंदिर की जगह पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने बताया ये भैरव बाबा का मंदिर है जो काफी समय से इसी जगह पर है. यहां अक्सर पूजा भी होती थी और मंदिर की देखरेख फलवाले ही करते थे. 

राज के अनुसार, फल की दुकान नीम के पेड़ के सामने बनी थी और मंदिर जाने का रास्ता दुकान के बगल से था. राज का कहना था कि  नगर निगम ने फल की दुकान सड़क पर अवैध तौर पर बने होने की वजह से हटाई थी. इसका मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है. 

राज की मदद से हमने फल दुकान के मालिक रविंद्र राजपूत से भी बात की. उन्होंने बताया कि उनके पिता इस दुकान को 40-45 साल से चला रहे थे. ये दावा गलत है कि उन्होंने मंदिर की जगह पर कब्जा किया था. उन्होंने कहा कि ये बात भी बेबुनियाद है कि मंदिर के बारे में तब पता चला जब अतिक्रमण अभियान चलाया गया. रविंद्र ने पुष्टि की कि ये मंदिर सालों से यहां है और सभी को इसके बारे में पता है. वो और उनके पिता मंदिर की देखभाल करते थे. 

आजतक ने इस बारे में अलीगढ़ नगर निगम के पीआरओ अहसान रौब से भी बात की. उन्होंने भी यही बताया कि वायरल दावा गलत है. उनका कहना था कि दुकान इसलिए हटाई गई थी क्योंकि वो अवैध रूप से सड़क पर बनी थी. अहसान ने भी स्पष्ट किया कि फल वाला हिंदू है, न कि मुस्लिम. 

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इस तरह ये बात साबित हो जाती है कि वीडियो के साथ झूठा सांप्रदायिक दावा किया जा रहा है. 

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