दो फोटो का एक कोलाज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें दावा किया जा रहा है कि “आरएसएस के गुंडों” ने एक हिंदू महिला पर हमला किया क्योंकि उसने एक कश्मीरी मुस्लिम लड़की के लिए रमजान में सहरी का आयोजन किया था. इस कोलाज में एक फोटो में दिख रहा है कि हिजाब में एक लड़की खाना खा रही है और उसके बगल में एक महिला खड़ी है.
दूसरी फोटो में एक महिला जख्मी हालत में रो रही है. महिला की नाक से खून निकल रहा है और नाक के आसपास हल्दी लगी हुई है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इन तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा झूठा है. ये दोनों तस्वीरें एक घटना की नहीं हैं और उनमें दिख रहीं दोनों महिलाएं भी अलग अलग हैं.
पहली फोटो में दिख रही महिला ने पिछले हफ्ते जम्मू में एक कश्मीरी मुस्लिम लड़की के लिए सहरी का आयोजन किया था, लेकिन उस पर कोई हमला नहीं हुआ है. दूसरी फोटो में दिख रही महिला इस साल फरवरी में एक सांप्रदायिक घटना में जख्मी हो गई थी, यह घटना गुजरात के आणंद जिले के खंभात की है.
फेसबुक पेज “Sach News Kashmir ” ने यह कोलाज पोस्ट करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा है, जिसका हिंदी कुछ इस तरह है: “आरएसएस के गुंडों ने एक हिंदू महिला पर हमला किया है जिसने हाल ही में एक मुस्लिम कश्मीरी लड़की के लिए सहरी का प्रयास किया था. भारत पर आरएसएस का कब्जा है. उनका मीडिया, न्यायपालिका, कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर पूरी तरह कब्जा है. क्या यह देश स्थिर रह सकता है अगर यही सब चलता रहा!!!!”
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर वायरल है.
AFWA की पड़ताल
पहली फोटो
रिवर्स इमेज सर्च और कीवर्ड्स की मदद से हमें कश्मीर के कुछ ट्विटर यूजर मिले जिन्होंने इस तस्वीर का अनक्रॉप्ड वर्जन शेयर किया है. इसी तरह के एक यूजर “Rafqat Sonwaire” ने फेसबुक यूजर “Preduman Goja” को क्रेडिट देते हुए यह फोटो ट्वीट की.
इस सूचना की मदद से हमने आगे पड़ताल की और पाया कि जम्मू के फेसबुक यूजर “Preduman Goja” ने ही सबसे पहले यह तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.
हमने इस फोटो के बारे विस्तृत सूचना के लिए कश्मीरी पंडित Preduman Goja से संपर्क किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि वायरल हो रही पोस्ट पूरी तरह फर्जी है. वायरल फोटो में दिख रही महिला उनकी पत्नी हैं, जिनपर कोई हमला नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी बताया कि दूसरी फोटो में दिख रही जख्मी महिला उनकी पत्नी नहीं, बल्कि कोई और है.
गोजा ने हमें बताया कि तस्वीर में दिख रही लड़की कश्मीर के सोपोर की रहने वाली है जो इस समय उनके साथ ही रह रही है. वह लड़की मेडिकल प्रवेश परीक्षा देने के लिए जम्मू आई थी और लॉकडाउन के कारण वहीं फंस गई.
गोजा ने कहा कि वे लोग लड़की को सहरी कराने के लिए सुबह जल्दी उठते हैं क्योंकि यह रमजान का महीना है और वह अपने परिवार के साथ नहीं है. उन्होंने कहा कि दोनों परिवार एक-दूसरे को कई सालों से जानते हैं. इसी तरह की खबरें मीडिया में भी छप चुकी हैं.
दूसरी फोटो
रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमने पाया कि यह तस्वीर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस साल फरवरी में पोस्ट किया है और दावा किया है कि गुजरात के खंभात की यह महिला सांप्रदायिक हिंसा में घायल हो गई है.
एक गुजराती न्यूज चैनल ने अपने यूट्यूब वीडियो में इस तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए बताया है कि खंभात में इस साल फरवरी में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
यह तस्वीर उस दौरान भी वायरल हुई थी. हमने अपने स्थानीय रिपोर्टर की मदद से उस महिला के बेटे से संपर्क किया जो तस्वीर में जख्मी हालत में दिख रही है.
महिला का नाम हर्षाबेन भावेसर है और वे गुजरात के खंभात कस्बे में रहती हैं. उनके बेटे परेश ने AFWA को बताया कि वायरल हो रही पोस्ट गलत है. तस्वीर में दिख रही जख्मी महिला उनकी मां हैं. वह तस्वीर दो महीने पुरानी है. फरवरी के अंत में खंभात में हुई सांप्रदायिक हिंसा में वे घायल हो गई थीं. अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं.
परेश ने हमें अपनी मां की हाल की तस्वीर भी भेजी.
इस तरह पड़ताल में साफ है कि मुस्लिम लड़की के लिए सहरी आयोजित करने पर आरएसएस के गुंडों द्वारा हिंदू महिला की पिटाई का दावा पूरी तरह बकवास है. वायरल पोस्ट की दोनों तस्वीरों का आपस में कोई संबंध नहीं है.
यह भी स्पष्ट है कि जम्मू में जिस महिला ने कश्मीरी मुस्लिम लड़की के लिए सहरी का आयोजन किया, उस पर कोई हमला नहीं हुआ.
(खंभात से नचिकेत मेहता के इनपुट के साथ)
अर्जुन डियोडिया