बांग्लादेश में ईशनिंदा यानि मजहबी भावना को ठेस पहुंचाने के आरोप में दीपू चंद्र दास नाम के जिस हिंदू व्यक्ति की हत्या कर दी गई, उसके खिलाफ बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) को ईशनिंदा के कोई सबूत नहीं मिले. अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो धड़ल्ले से वायरल हो रहा है जिसमें कुछ बांग्लादेशी पुलिसवाले एक शख्स को कॉलर से पकड़कर घसीटते हुए दिखाई दे रहे हैं.
इस वीडियो को शेयर करते हुए कुछ लोगों का कहना है कि ये दीपू दास के आखिरी पलों का वीडियो है. इसके बाद पुलिस ने उन्हें कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया था.
बीजेपी नेता तजिंदर बग्गा समेत कई लोगों ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “दीपू चंद्र दास का आख़िरी वीडियो सामने आया. जिंदा जलाए जाने से पहले पुलिस ने उन्हें भीड़ के हवाले किया. वह बार-बार कहते रहे-मैंने किसी का अपमान नहीं किया, मुझे माफ़ कर दो.. इसके बाद जो हुआ, दुनिया ने देखा.”
जी न्यूज और टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कुछ न्यूज आउटलेट्स ने भी इस वीडियो को दास की हत्या से तुरंत पहले का बताकर शेयर कर दिया.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो पुराना है और दीपू दास की मौत के पहले से इंटरनेट पर मौजूद है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये ‘भोरेर कागोज’ नाम के एक फेसबुक पेज पर मिला. ये बांग्लादेश का एक न्यूज पोर्टल है. यहां इसे 18 नवंबर को पोस्ट किया गया था. वीडियो के कैप्शन में लिखा था - “इस ढाका कॉलेज के छात्र के साथ क्या हुआ?”
इतनी बात तो यहीं साफ हो जाती है कि ये वीडियो दीपू दास की मौत से संबंधित नहीं हो सकता क्योंकि दास की हत्या 18 दिसंबर को हुई थी. उन्हें मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में पीट-पीटकर मार डाला गया था और बाद में उनका शव जला दिया गया था. लेकिन वायरल हो रहा ये वीडियो दास की हत्या से एक महीने पहले से ही सोशल मीडिया पर मौजूद है.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो यहां देखें.
‘भोरेर कागोज’ के फेसबुक पेज पर मौजूद इस असली वीडियो को गौर से देखने पर कई अहम बातें सामने आती है. करीब 9 सेकंड पर पुलिस शिकंजे में फंसा ये नौजवान बांग्ला में कहता है, “भाई, मैं ढाका कॉलेज का हूं भाई.”
बता दें कि दीपू दास मयमनसिंह शहर के स्क्वायर मास्टरबाड़ी इलाके में स्थित पायनियर निट कॉम्पोजिट फैक्ट्री में काम करता था. बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के मुताबिक फैक्ट्री के फ्लोर मैनेजर आलमगीर हुसैन ने दीपू को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और इसके बाद उसे भीड़ के हवाले कर दिया.
इसके बाद करीब 15 सेकंड पर वो यही बात दोहराता है. 29 सेकंड के आसपास वो फोन पर बात करते हुए किसी से कहता है, “अगर डीसी बीच में नहीं आते, तो वो लोग मुझे मार डालते. उन्होंने मुझे बचाया.”
हमने पाया कि असली वीडियो के कई हिस्सों को काटकर वायरल वीडियो बनाया गया है. मिसाल के तौर पर करीब 32 सेकंड पर एक पुलिस अधिकारी उस नौजवान को छोड़ते हुए कहता है, “तुम अभी जाओ, पहले यहां से जाओ.” इसके बाद कोई दूसरा व्यक्ति उससे पूछता है, “तुम पहले हॉल जाओगे या अस्पताल?” इसपर वो जवाब देता है- “हॉल.” बता दें कि बांग्लादेश में ‘हॉल’ का मतलब कॉलेज या यूनिवर्सिटी का हॉस्टल होता है.
इसके अलावा, उस नौजवान की टी-शर्ट पर बायीं ओर ढाका कॉलेज का लोगो और दायीं ओर ‘सेशन 2022-23’ लिखा हुआ दिखाई देता है.
एक जगह टी-शर्ट के पीछे ‘मोमिन’ नाम भी नजर आता है, इस हिस्से को भी वायरल वीडियो से काट दिया गया था.
ज्यादा जानकारी के लिए हमने ये वीडियो बांग्लादेशी फैक्ट-चेकर्स को भी भेजा. उन्होंने बताया कि इस वीडियो में नजर आ रहे पुलिस अधिकारी का नाम मसूद आलम है, जो ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (रामना डिवीजन) के डिप्टी कमिश्नर हैं. दीपू चंद्र दास की हत्या ढाका से लगभग 90 किलोमीटर दूर मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में हुई थी.
हमें 'दैनिक सकाल' नाम के एक दूसरे फेसबुक पेज पर उसी घटना का एक और वीडियो मिला. इस वीडियो में डिप्टी कमिश्नर मसूद उस छात्र को एक रिक्शे में बैठाकर वापस हॉस्टल भेजते हुए दिखाई दे रहे हैं.
यहां देखें घटना का दूसरा वीडियो.
कुल-मिलाकर बात साफ है कि एक पुराने वीडियो को दीपू दास के आखिरी पलों का बताकर झूठ फैलाया जा रहा है.
ऋद्धीश दत्ता