फैक्ट चेक: रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय में नहीं लगी है बाबा साहब आंबेडकर की फोटो

हमने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो एडिट की हुई है. इसमें बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीर अलग से जोड़ी गई है. असली फोटो में बाबा साहब की जगह रूसी संघ के राजकीय प्रतीक चिह्न की फोटो दिखाई दे रही है.

Advertisement

आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये फोटो रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय की है जहां बाबा भीमराव अंबेडकर की फोटो लगी हुई है.
सच्चाई
ये फोटो फर्जी है. असली फोटो में दीवार पर बाबा अंबेडकर की तस्वीर की जगह रूसी संघ के राजकीय प्रतीक चिह्न की फोटो दिखाई दे रही है.

ज्योति द्विवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 131 वीं जयंती के मौके पर 14 अप्रैल 2022 के दिन देश भर में कई आयोजन हुए. इन सरगर्मियों के बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो गई. इस फोटो में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ लोगों के साथ एक बड़े से कमरे में कोई मीटिंग कर रहे हैं. पीछे दीवार पर बाबा साहब आंबेडकर की फोटो लगी है.

Advertisement

इस तस्वीर को शेयर करते हुए बहुत सारे लोग ऐसा कह रहे हैं कि रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय में ये फोटो इसलिए लगी है क्योंकि पुतिन भी बाबा साहब की ही तरह एक निम्न जाति से हैं.  

एक फेसबुक यूजर ने इस फोटो को पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा, “ये रूस के राष्ट्रपति कार्यालय की तस्वीर है जहां व्लादिमीर पुतिन अपने कैबिनेट के साथ रुस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा कर रहे हैं! मैं आश्चर्य में पड़ गया कि रूसी राष्ट्रपति कार्यालय में भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो क्यों लगी है.

मैंने व्लादिमीर पुतिन की जीवनी ‘पुतिन: द वार अगेंस्ट इनजस्टिस’ पढ़ी तो पता चला कि पुतिन भी रूस के एक निम्न जातीय समुदाय से हैं जिसके अधिकारों का हनन रूस की कुलीन जातियां करती आयी हैं. जब पुतिन ने अपने कॉलेज के दिनों में एक प्रोजेक्ट स्टडी का अध्ययन किया तो उन्हें पता चला कि किस प्रकार निम्न वर्ग अपने अधिकारों और हक के लिए तथाकथित उच्च वर्ग से लड़ सकता है.  

Advertisement

उस प्रोजेक्ट से प्रेरित होकर पुतिन ने रूस में कई जन आंदोलन खड़े किये और रूस के दलितों को राजनैतिक व आर्थिक व समाजिक अधिकार दिलाये! अंततः संघर्ष करके रूस के प्रथम दलित राष्ट्रपति भी बने! क्या आप पुतिन के उस प्रोजेक्ट पुस्तक का नाम नहीं जानना चाहेंगे? जी हां सही समझा आपने यह वह पुस्तक है "भीमचरितमानस" जय भीम जय मूलनिवासी”.  

हमने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो एडिट की हुई है. इसमें बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीर अलग से जोड़ी गई है. असली फोटो में बाबा साहब की जगह रूसी संघ के राजकीय प्रतीक चिह्न की फोटो दिखाई दे रही है.

ये बात भी गलत है कि इस फोटो में पुतिन अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा कर रहे हैं. ये फोटो साल 2007 की है जब पुतिन कुछ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ आर्थिक मसलों पर बातचीत कर रहे थे. जाहिर है, इसका मौजूदा रूस-यूक्रेन युद्ध से कुछ लेना-देना नहीं है.

कैसे पता लगाई सच्चाई?  

सबसे पहले हमने इस फोटो को गूगल और रूसी सर्च इंजन यांडेक्स पर रिवर्स सर्च किया. ऐसा करने से हमें इस तस्वीर के कुछ ऐसे वर्जन मिले, जिनमें दीवार पर आंबेडकर की जगह कुछ दूसरे लोगों की तस्वीरें लगी हुई हैं.

Advertisement

जब हमें गूगल और यांडेक्स सर्च इंजंस पर काफी खोजने पर भी असली फोटो नहीं मिली, तो हमने इसे ‘टिनआई’ रिवर्स इमेज सर्च की मदद से खोजा. ‘टिनआई’ में एक खास फिल्टर होता है, जो स्टॉक इमेजेज को अलग से दिखाता है. इसका इस्तेमाल करने से हमें असली फोटो ‘एलेमी’ नाम की इमेज वेबसाइट पर मिल गई.

यहां बताया गया है कि ये फोटो फरवरी 2007 की है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. इस फोटो में दीवार पर बाबा साहब आंबेडकर की फोटो नहीं बल्कि एक लाल रंग का चिह्न दिखाई दे रहा है.

इस लाल चिह्न की तस्वीर को रिवर्स सर्च करने से हमें पता लगा कि ये रूसी संघ के राजकीय प्रतीक चिह्न की फोटो है.

साफ तौर पर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके मंत्रियों की मीटिंग की पुरानी फोटो को एडिट करके उसके जरिये भ्रम फैलाया जा रहा है.

(इनपुट: यश मित्तल)

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement