फैक्ट चेक: राइफल लटकाए आदमी की तलाशी वाली ये रोचक तस्वीर अफगानिस्तान एयरपोर्ट की नहीं है

तस्वीर में सिपाही की वर्दी में एक आदमी को एक व्यक्ति की तलाशी लेते हुए देखा जा सकता है. गौर करने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति की तलाशी हो रही है वह अपने कंधे पर खुलेआम एक राइफल लटकाए हुए है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
तस्वीर में देखा जा सकता है कि कैसे अफगानिस्तान एयरपोर्ट पर एक आदमी की तलाशी हो रही है जो कंधे पर खुलेआम एक राइफल लटकाए हुए है.
सच्चाई
यह तस्वीर अफगानिस्तान की नहीं बल्कि यमन की है जो 2015 में खींची गई थी.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 29 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 12:30 AM IST

जब से अफगानिस्तान में तालिबानी आतंक शुरू हुआ है, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर जमकर शेयर की जा रही है. कुछ लोग इस तस्वीर को व्यंग्य करते हुए पोस्ट कर रहे हैं, वहीं कुछ इसके साथ यह दावा कर रहे हैं कि तस्वीर अफगानिस्तान एयरपोर्ट पर हो रही सिक्योरिटी चेकिंग की है. तस्वीर में सिपाही की वर्दी में एक आदमी को एक व्यक्ति की तलाशी लेते हुए देखा जा सकता है. गौर करने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति की तलाशी हो रही है वह अपने कंधे पर खुलेआम एक राइफल लटकाए हुए है.

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इस तस्वीर के साथ सोशल मीडिया यूजर्स अंग्रेजी में कैप्शन में लिख रहे हैं,  "अफगानिस्तान एयरपोर्ट पर होती सुरक्षा जांच". इस कैप्शन के साथ तस्वीर ट्विटर और फेसबुक पर हजारों लोग शेयर कर चुके हैं.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह तस्वीर अफगानिस्तान की नहीं बल्कि 2015 में खींची गई यमन की तस्वीर है.

कैसे पता की सच्चाई?

वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने पर हमें यह तस्वीर एक अरबी न्यूज़ वेबसाइट पर मिली जहां इसे अगस्त 2015 में यमन की बताकर प्रकाशित किया गया था. 2015 में ही यमन के एक मीडिया कमेंटेटर ने भी इस तस्वीर को यमन से जोड़कर ट्वीट किया था.

इसके बाद हमने तस्वीर को कुछ कीवर्ड और गूगल के टाइम टूल की मदद से दोबारा रिवर्स सर्च किया. इससे हमें 1 जुलाई 2015 का एक ट्वीट मिला जिसमें यह तस्वीर मौजूद थी. यह ट्वीट अमेरिकी न्यूज़ मीडिया संस्था CBS NEWS के एक पत्रकार अमजद टैडरोस ने किया था और तस्वीर को यमन में उनकी यादों का बताया था.

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अमजद ने साथ में ये भी लिखा था कि तस्वीर यमन के एक हूथी सिपाही की है जो जनसभा में जा रहे एक आदमी की तलाशी ले रहा है. ट्वीट के अनुसार, जनसभा में काट (चबाने वाली अरेबियन पत्तियां), कटार और मशीन गन ले जाने की अनुमति है. हूथी उत्तरी यमन में जन्मे एक विद्रोही आंदोलन का नाम है.

अमजद के ट्विटर अकाउंट को खंगालने पर हमें पता चला कि उन्होंने 16 जून 2015 को CBS न्यूज़ का एक यूट्यूब वीडियो शेयर किया था जो यमन में चल रहे संघर्ष को लेकर था. इस वीडियो में 1.21 मिनट पर वही जगह और सिपाही देखे जा सकते हैं जैसा कि वायरल तस्वीर में दिख रहे हैं. यमन में यह रिपोर्टिंग अमजद ने प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार क्लेरिस्सा वार्ड के साथ की थी.

यहां इस बात की पुष्टि हो जाती है कि यह रोचक तस्वीर यमन की है और छह साल से ज्यादा पुरानी है. इसका अफगानिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है.

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