टीनेज... ये उम्र का वो पड़ाव है, जब बच्चे एक साथ कई भावनाओं से जूझ रहे होते हैं. अपने हार्मोन्स के कारण वो शरीर में होते बदलावों को देखते हैं. उनमें प्रेम के बीज फूटने लगते हैं. इसके साथ ही वो करियर को लेकर भी काफी सजग हो जाते हैं. खासतौर पर तब जब माता-पिता का 'काबिल बनना ही बनना है' वाला दबाव हो. हर तरफ केवल और केवल 'घर की गरीबी मिटाने' की इच्छा नज़र आ रही हो. अब अपनी इन्हीं अलग अलग इच्छाओं को पूरा करने के लिए ये बच्चे घर में झूठ बोलने लगते हैं. घर वालों की डांट से बचने के लिए वो तरीके अपनाते हैं, जो इनकी जान को जोखिम में डालने का काम करते हैं.
बच्चे किस हद तक ये सब करते हैं, इसकी कल्पना शायद ही कभी कोई माता-पिता कर पाएं. इस बीच एक फिल्म आ रही है. नाम है 'फर्रे.' इस शब्द का मतलब नकल के लिए इस्तेमाल होने वाली चिट से है. फिल्म सलमान खान प्रोडक्शन के तहत बनाई गई है. इसकी लीड एक्ट्रेस सलमान खान की भांजी अलीजेह अग्निहोत्री हैं. उनके अलावा अन्य भूमिकाओं में फिल्म में प्रसन्न बिष्ट, जियान शॉ, साहिल मेहता, रोनित रॉय, जूही बब्बर और शिल्पा शुक्ला हैं. फिल्म को सौमेंद्र पाधी ने डायरेक्ट किया है. ये एक थ्रिलर फिल्म है. अगर कहें कि क्राइम ड्रामा में इमोशंस का तड़का है ये फिल्म, तो कुछ गलत नहीं होगा.
अब वापस अपने मुद्दे पर लौटते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले टीनेज बच्चों के सामने तमाम चुनौतियां होती हैं. 10वीं में अच्छे नंबर लाना ताकि 11वीं में साइंस, कॉमर्स जैसी स्ट्रीम मिल सके. उसके बाद और अच्छे नंबर लाना ताकि बढ़िया कॉलेज मिल सके. क्योंकि माता-पिता की चाहत होती है कि बच्चा कुछ बड़ा करे. लेकिन पढ़ाई में दिल नहीं लगता, लाख कोशिशों के बाद भी अच्छे नंबर नहीं आते. घर पर डांट पड़ती है. माथे पर नालायक होने का टैग लग जाता है.
इतना कुछ होने पर यही बच्चे गलत तरीके अपनाने से भी पीछे नहीं हटते. क्योंकि अच्छे नंबर लाने पर परिवार से महंगे तोहफे जो मिलते हैं. डांट से बच जाते हैं और शाबाशी मिलती है. दूसरी तरफ वो बच्चे होते हैं, जो गरीबी के कारण अपनी इच्छाएं पूरी नहीं कर पाते. फिर पैसा कमाने के लिए गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं. कुछ इसी तरह की परतों को बारीकी से फर्रे फिल्म ने खोला है.
फिल्म की कहानी क्या है?
इस कहानी की शुरुआत नियति नाम की एक ऐसी लड़की से होती है, जो बेहद जीनियस और जुगाड़ू है. यानी अलीजेह अग्निहोत्री से. वो अनाथालय में रहती है, जिसे वॉर्डन (रोनित रॉय) और जोया (जूही बब्बर) चलाते हैं. नियति को स्कूल में टॉप करने के बाद दिल्ली के बड़े बड़े स्कूलों से दाखिले के लिए ऑफर आते हैं. ऐसे ही एक स्कूल में उसका दाखिला हो जाता है. यहां उसकी क्लास में अमीरों के बच्चे पढ़ते हैं. ये बच्चे महंगी गाड़ियों में आते हैं, बंगलों में रहते हैं, बड़ी बड़ी पार्टियां करते हैं, इनके पास महंगे फोन होते हैं, पैसों की कोई कमी नहीं होती. अनाथालय की गरीबी में पली बढ़ी नियति बस यही सब देखकर मंत्रमुग्ध हो जाती है.
स्कूल के पहले ही दिन उसके साथ बैठी लड़की फिजिक्स के एक सवाल में फंसती है. जिसे टीचर पूछता है. इसमें नियति उसे जवाब बताकर पूरी क्लास के सामने उसकी इज्जत रख लेती है. इसके बाद वो इन अमीर बच्चों के ग्रुप में शामिल हो जाती है. नियति के साथ ही एक और गरीब लड़के को इस हाई फाई स्कूल में दाखिला मिलता है. जिसका नाम आकाश (साहिल मेहता) है. वो शुरुआत में तो इस ग्रुप से दूर रहता है. नियति को बार बार सतर्क करता है. लेकिन आखिर में पैसों के लालच में आकर खुद भी इसका हिस्सा बन जाता है. आकाश की मां कपड़ों पर इस्त्री कर घर का खर्च निकालती हैं, पिता हैं नहीं और वो पार्टटाइम डिलीवरी बॉय का काम करता है.
अब नियति इन अमीर बच्चों को चीटिंग कराने लगती है. इसके लिए वो ऐसे तरीके अपनाती है, जो कोई सोच भी नहीं सकता. इसके बदले उसे अपने अमीर दोस्तों से पैसे मिलते हैं. हद तब बढ़ जाती है, जब नियति और आकाश दोनों एक इंटरनेशनल एग्जाम में इन बच्चों की मदद करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चले जाते हैं. नियति अपने घर पर बोलकर जाती है कि स्कूल ट्रिप पर जा रही हूं. उसके वॉर्डन इन बातों से अंजान रहते हैं. बस यहीं पर वो और आकाश गहरे दलदल में फंस जाते हैं. आगे जो कुछ होता है, वो सस्पेंस से भरा हुआ है.
Shilpa