Indian Predator: The Diary of a Serial Killer Review: 14 भयानक हत्याओं की कहानी दिमाग के पुर्जे खोल देगी

नेटफ्लिक्स की डाक्यूमेंट्री 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' स्ट्रीम हो गई है. ये एक सीरियल किलर की कहानी है. जिसने 14 भयानक हत्याओं को अंजाम देकर सभी को चौंकाया. 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' सिर्फ राजा कोलंदर के अपराध की कहानी नहीं कहती, बल्कि इस सवाल का जवाब खोजने की भी कोशिश करती है.

Advertisement
इंडियन प्रिडेटर का पोस्टर इंडियन प्रिडेटर का पोस्टर

सुबोध मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

पढ़ने-सुनने में अक्सर एक बात आती है कि रियलिटी, फिक्शन से भी ज्यादा हैरान करने वाली, चौंकाने वाली होती है. आप बॉलीवुड फिल्में देखते हों या साउथ का सिनेमा या फिर हॉलीवुड, अपराध की कहानियां दिमाग को एक अलग ही भूल भुलैया में ले जाती हैं.  कहानी बेहतरीन है तो अंत में सारे पेंच सुलझने होने के बाद दर्शक 'दिमाग ही हिल गया' मोड में पहुंच जाता है. मगर खबरों में अचानक किसी दिन एक ऐसे क्राइम का पता चलता है, जो पक्के से पक्के क्राइम थ्रिलर फैन के दिमाग से धुआं निकाल दे, दिमाग के पुर्जे हिला दे. और फिर वही बात सच हो जाती है कि रियलिटी वो धागा है जो प्रेमिका का दुपट्टा ही नहीं, किसी का गला घोंटने वाला स्कार्फ भी बुन सकता है! नेटफ्लिक्स की डाक्यूमेंट्री 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' में एक ऐसी ही कहानी है. 

Advertisement

क्या है कहानी

राम निरंजन कोल, ये नाम सुनकर शायद किसी को कुछ न याद आए. लेकिन जब आप इस आदमी के दूसरे नाम 'राजा कोलंदर' का जिक्र करेंगे तो बहुत सारे लोगों को, बहुत कुछ याद आएगा, खासकर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में. और उन लोगों को तो और भी ज्यादा, जो साल 2000 के आसपास पूरे होशदार थे. शहर से एक पत्रकार गायब हुआ था. पुलिस ने तलाश शुरू की और खोजते-ढूंढ़ते पता चला कि पत्रकार की हत्या हो गई. किसने बताया? उसी ने, जिसने हत्या की थी, राजा कोलंदर ने. पुलिस ने जब उसके बताए ठिकाने से लाश बरामद की तो एक धड़ मिला, सिर और लिंग कटा हुआ. केस की जांच करने वाले पुलिस ऑफिसर डाक्यूमेंट्री में बताते हैं कि राजा कहता था उसने आदमी का सिर 'कट कर दिया'. पुलिस जांच आगे बढ़ाती है तो एक डायरी मिलती है, 'राजा की डायरी'. जिस पत्रकार की हत्या राजा कोलंदर ने की, उसका नाम इस डायरी में लिखा है, 14वें नंबर पर. उससे पहले 13 और नाम हैं. आगे ये भी पता चलता है कि राजा ने अपने विक्टिम में से दो का दिमाग उबाल के पी लिया था! सवाल तो बहुत सारे उठते हैं, जैसे- राम निरंजन कैसे राजा कोलंदर बना? पिछले 13 लोग कौन थे? उसने बिना पता चले ये सब कैसे किया? और सबसे बड़ा सवाल- क्यों किया? 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' सिर्फ राजा कोलंदर के अपराध की कहानी नहीं कहती, बल्कि इस सवाल का जवाब खोजने की भी कोशिश करती है. यही इस डाक्यूमेंट्री की सबसे बेहतरीन बात है.

Advertisement

पहले पार्ट से है श‍िकायत तो दूसरा जरूर देखें 

'इंडियन प्रिडेटर' का पहला पार्ट 'द बुचर ऑफ दिल्ली' जुलाई में रिलीज हुआ था. इसकी कहानी देश के इतिहास में सबसे भयानक सीरियल किलर्स में से एक चंद्रकांत झा के अपराध पर थी. शो बना तो ठीक था मगर इससे सबसे ज्यादा शिकायत लोगों को यही थी कि ये अपराधी की साइकोलॉजी को सही से एक्सप्लोर नहीं करती. 
'द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' में ये शिकायत दूर हो गई है. शो में 35-40 मिनट लम्बे तीन एपिसोड हैं. शुरुआत पत्रकार के केस से होती है और उसकी पिछली हत्याओं के बारे में डिटेल्स सामने आती हैं. लेकिन उसके अपराध की कहानी के साथ-साथ, एक साइकोलॉजिस्ट और एक एन्थ्रोपोलोजिस्ट, राजा कोलंदर के सामाजिक समीकरण और सोच की परतों को भी उधेड़ते चलते हैं. 

इस डाक्यूमेंट्री का सबसे बड़ा रोंगटे खड़े करने वाला मोमेंट तब आता है, जब राजा कोलंदर खुद कैमरे के सामने आता है. जेल के अंदर हुई इस बातचीत के लिए, राजा जब कोठरी के दरवाजे से चलकर अंदर आ रहा है, तो उसकी चाल और बॉडी लैंग्वेज बहुत दिलचस्प है. उसका अपीयरेंस, आंखें, बात करने का अंदाज और पूरी भाव-भंगिमा में कुछ ऐसा है कि जब वो स्क्रीन पर है आप पूरे ध्यान से उसे सुनना चाहेंगे. ऑलमोस्ट एक सम्मोहित कर देने वाला फील उसकी पूरी पर्सनालिटी में है. 

Advertisement

सीरीज में क्या है खास? 

'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' में लोगों के इंटरव्यूज के साथ, पूरी घटना का स्क्रीन पर जो रीक्रिएशन है वो भी जानदार है. सुदीप निगम की राइटिंग और धीरज जिंदल का डायरेक्शन बहुत एंगेजिंग है. शुरुआत से अंत तक हैरानी और अचंभे का लेवल बढ़ता ही चला जाता है. राजा ने जो हत्याएं कीं, उनकी कहानी के साथ-साथ विक्टिम के सम्बन्धियों के बयान, और एक्सपर्ट्स का एनालिसिस ऐसा माहौल बनाता है जो कई जगह भाव-शून्य कर देती है. 

प्रथम मेहता की बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी लो-लाइट शॉट्स में जान डाल देती है और एक टेंशन बनाए रखती है. इसके साथ ईशान छाबड़ा का स्कोर एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन है और डाक्यूमेंट्री के मूड को बांधे रखता है. एडिटर सौरभ प्रभुदेसाई के काम में कलर्स का खेल भी ध्यान देने लायक है. 

शो देखने से पहले एक जरूरी वार्निंग ये है कि दिल कमजोर है, स्क्रीन पर खून-खराबा और विभत्सता देखकर उबकाई आती है तो अपने रिस्क पर ही शुरू कीजिएगा. वरना तो कुल मिलाकर 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर' नेटफ्लिक्स पर सबसे बेहतरीन इंडियन डाक्यूमेंट्रीज में गिनने लायक है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement