दस का दम से बिग बॉस तक, कैसे टीवी ने सलमान खान को बनाया भारत का चहेता स्टार

बड़े पर्दे पर सलमान खान सुपरस्टार हैं, मगर टीवी पर वो हमारे हो गए. आज सलमान खान के 60वें जन्मदिन पर, नजर डालते हैं उनकी टीवी इंडस्ट्री के सफर पर, जिसने उन्हें फैंस के और करीब लाया और उन्हें देश का सबसे प्यारा चहेता बना दिया.

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60 के हुए सलमान खान (Photo: X/@BeingSalmanKhan) 60 के हुए सलमान खान (Photo: X/@BeingSalmanKhan)

सना फरज़ीन

  • मुंबई,
  • 27 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:40 AM IST

सलमान खान को टेलीविजन पर देखने में कुछ ऐसा है जो सिनेमा अकेला कभी हासिल नहीं कर सका. बड़े पर्दे पर वे हमेशा लार्जर देन लाइफ रहे हैं. भले ही वो उदास प्रेमी के रूप में हों, गुस्से वाले पुलिसवाले या फिर कभी न हारने वाले हीरो के रूप में. लेकिन टीवी पर सलमान हमारे हो गए. टीवी पर वो परिचित हैं, पहुंच योग्य हैं और उस बड़े भाई जैसे जिनकी बात सभी सुनते हैं. आज सलमान खान के 60वें जन्मदिन पर, नजर डालते हैं उनकी टीवी इंडस्ट्री के सफर पर, जिसने उन्हें फैंस के और करीब लाया और उन्हें देश का सबसे प्यारा चहेता बना दिया.

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ऐसे शुरू हुआ सलमान का सफर

जब सलमान 2008 में 'दस का दम' के साथ पहली बार भारतीय घरों में घुसे, तो वे खुद को नया रूप देने की कोशिश नहीं कर रहे थे. उनकी खुद की मानें तो वे डरे हुए थे. टेलीविजन में मिथक के पीछे के असली इंसान को बेनकाब करने की ताकत होती है, और सलमान इसे जानते थे. सालों बाद उन्होंने खुलकर कबूला कि बिना किसी किरदार की सुरक्षात्मक ढाल के जज किए जाने का विचार उन्हें परेशान कर रहा था. उनके पिता सलीम खान की सलाह सरल और बिल्कुल बेबाक थी. उन्होंने कहा था- 'अगर लोग आपको स्वीकार कर लें तो अच्छा, नहीं करेंगे तो कम से कम पता तो चलेगा'. किसी ने नहीं सोचा था कि भारत उस कमजोरी को इतनी गर्मजोशी से अपनाएगा.

सलमान ने एक प्यारी-सी कहानी शेयर की थी, जो टीवी ने उनके स्टारडम में लाए बदलाव को बखूबी बयां करती है. शो लॉन्च होने के कुछ महीने बाद सलमान अपनी फिल्म 'वॉन्टेड' की शूटिंग पनवेल में कर रहे थे. वो रोज की तरह सुबह अपनी दौड़ पर निकले. उन्होंने बताया था, 'वह फार्महाउस मैंने प्यार किया के रिलीज से ही वहां है, लेकिन अचानक एक बूढ़ी अम्मा मेरे पास आईं और बोलीं, 'दस का दम हो ना?' और उस आठ किलोमीटर की दौड़ में पूरा कस्बा फोटो खिंचवाने आ गया, कहते हुए 'दस का दम'. उस दिन मुझे सच में बहुत अच्छा लगा, और मुझे एहसास हुआ कि लोग मेरे किरदार प्रेम, राजा, अर्जुन, समीर भूल गए हैं और अब मुझे मेरे असली नाम से जानते हैं.'

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बिग बॉस को मिली नई पहचान

वह स्वीकारिता और प्यार तब और मजबूत हुआ, जब 2010 में वे 'बिग बॉस 4' के होस्ट बनकर आए. पिछले 15 सालों में सलमान ने शो को सिर्फ होस्ट नहीं किया, बल्कि उसे संभाला है. फॉर्मेट बदले, कंटेस्टेंट आए-गए, विवाद उभरे और शांत हुए, लेकिन मेकर्स (और दर्शकों) के लिए एकमात्र अटल चीज रही है सलमान खान. इंडस्ट्री में अक्सर कहा जाता है कि सलमान के बिना बिग बॉस की कल्पना नहीं की जा सकती, और हम इससे पूरी तरह सहमत हैं. उनकी मौजूदगी सिर्फ रेटिंग्स के लिए नहीं है; ये अधिकार, परिचय और विश्वास की है. जब सलमान बोलते हैं, तो लोग सुनता है- कंटेस्टेंट और दर्शक दोनों.

हाल के सीजन्स में उनकी यह मौजूदगी और भी महत्वपूर्ण हो गई है. बढ़ते सुरक्षा खतरों के साथ, सलमान के बिग बॉस शूट कथित तौर पर सुरक्षा की कई परतों में लिपटे हुए हैं. सेट पर कोई दर्शक नहीं, बुलेटप्रूफ गाड़ियां, सीमित मूवमेंट, कम रिहर्सल, फिर भी जब वे 'वीकेंड का वार' के लिए स्टेज पर आते हैं, तो उस तनाव का कोई निशान नहीं दिखता. वे जोक्स क्रैक करते हैं, पाखंड को बेनकाब करते हैं, और कभी-कभी रुककर ऐसे मोनोलॉग देते हैं जो टेलीविजन से कम और जिंदगी के अनुभव जैसे लगते हैं. ऑफस्टेज कमजोरी और ऑनस्टेज कंट्रोल की उस दोहरी स्थिति को जिस आसानी से वे निभाते हैं, यही उन्हें अलग बनाता है.

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सलमान ने बिग बॉस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल असुविधाजनक सच्चाइयों को सीधे संबोधित करने के लिए भी किया है. जब हाल ही में फिल्ममेकर अभिनव कश्यप ने सलमान प्रोफेशनल दखलअंदाजी का आरोप लगाया, तो सलमान ने विषय से भागने की कोशिश नहीं की. उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से सीधे संबोधित किया था. इसी तरह, जब उनकी फिल्म 'सिकंदर' के डायरेक्टर ने इशारा किया कि उनकी देरी से आने की वजह से फिल्म खराब बनी, तो सलमान चुप्पी में नहीं छिपे. उन्होंने अपना पक्ष साफ किया और अपनी करियर की असफलता को भी खास ईमानदारी से स्वीकार किया. उन्होंने असफलताओं को कबूला, सिनेमा की अनिश्चितता को उजागर किया, और दर्शकों को याद दिलाया कि सुपरस्टारडम भी सफलता की गारंटी नहीं देता.

दर्शकों के दिल से जुड़े हैं सलमान खान

टीवी पर उनकी सबसे बड़ी ताकत यही ईमानदारी बन गई है. ज्यादातर स्टार्स जहां दूरी बनाए रखते हैं, सलमान दर्शकों को अपनी खुशी और दुख, दोनों में शामिल करते हैं. वे अनुशासन, अकेलापन, उम्र बढ़ना, प्रोफेशनल अफसोस और यहां तक कि जेल के समय के बारे में बात करते हैं. सिर्फ साउंड बाइट्स के रूप में नहीं, बल्कि विचारों के रूप में. ये पल, एलिमिनेशन और बहसों के बीच बिखरे हुए, बिग बॉस को रियलिटी शो से कम और लाखों लोगों के लिए साप्ताहिक भावनात्मक चेक-इन जैसा बनाते हैं.

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उनकी अपील का सबसे साफ सबूत शायद खुद कंटेस्टेंट्स में दिखता है. कई ने खुलकर कबूला है, कभी मजाक में तो कभी गंभीरता से, कि बिग बॉस हाउस में आना सलमान खान के आसपास होने के बारे में भी है. उनसे बातचीत, डांट या प्रोत्साहन का एक शब्द अक्सर ट्रॉफी से बड़ा इनाम बन जाता है. कुछ के लिए 'वीकेंड का वार' पर वह छोटी-सी बातचीत करियर की वैलिडेशन होती है, दूसरों के लिए सालों तक सुनाने वाली याद.

उस दौर में जहां सेलिब्रिटी अक्सर बनावटी लगती है, सलमान की टेलीविजन यात्रा अलग इसलिए दिखती है क्योंकि वह जिया हुआ लगता है. उन्होंने टीवी में फिट होने के लिए खुद को नरम नहीं किया, टीवी ने खुद को उनके अनुसार ढाला है. चुप्पियां, अजीब हंसी, तीखी फटकार, अप्रत्याशित गर्मजोशी, सब कुछ साथ-साथ मौजूद है, जैसे असल जिंदगी में होता है.

और शायद यही वजह है कि स्पॉटलाइट में दशकों बाद भी सलमान खान टेलीविजन का सबसे भरोसेमंद चेहरा बने हुए हैं. इसलिए नहीं कि वे परफेक्ट हैं, बल्कि इसलिए कि वे मौजूद हैं. उस स्टेज पर, हफ्ते दर हफ्ते, तालियों और जांच के बीच, सलमान स्टारडम का अभिनय नहीं करते, उसे शेयर करते हैं. और यही, किसी फॉर्मेट या फीस से ज्यादा, वजह है कि राष्ट्र आज भी उनके लिए आता है.

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हैप्पी 60वां बर्थडे, सलमान खान.

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