एक्टर-पॉलिटिशियन रवि किशन आज जिस मुकाम पर हैं, इसे पाने के लिए उन्हें 33 साल स्ट्रगल करना पड़ा. उनका बचपन बहुत मुश्किल में बीता, वो अपने पिता श्याम नारायण शुक्ला के डर से घर से भागकर मुंबई आए थे. क्योंकि उनके पिता उनकी हर रोज पिटाई करते थे, उन्हें मारते थे. एक दिन तो इतना ज्या मारा कि उनकी मां ने ही उन्हें 500 रुपये देकर भाग जाने को कहा. इस बारे में खुद रवि किशन ने बताया है.
रवि को नालायक समझते थे पिता?
रवि किशन ने अपने डरावने बचपन के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि- मैं अपने पिता को ये साबित करना चाहता था कि मैं प्यार करने लायक हूं. मेरे पिताजी को लगता था कि मैं नालायक, बेकार हूं, और मैं ये साबित करना चाहता था कि मैं नहीं हूं. वे पंडित थे, बहुत समझदार और ब्राह्मण होने पर गर्व करते थे. रवि ने एक बार पिता से पूछा भी था, “आप इतना पूजा-पाठ क्यों करते हैं? एक फटा हुआ कपड़ा और टूटी साइकिल के सिवा आपके पास क्या है?” इस पर पिता बहुत नाराज हुए और उन्होंने रवि को खूब मारा.
रवि ने राज शमानी को बताया कि पिता का मारना उनके लिए रोज का काम था. वे मारने को ही ‘प्यार’ मानते थे, क्योंकि पिता कभी उनसे प्यार से बात नहीं करते थे, न ही उन्हें दुलारते थे. “मुझे लगता था, पिता का मुझे मारना ही उनका प्यार है और उनसे बात करने का तरीका है.”
...तो पीट-पीटकर मार डालते पिता?
रवि के पिता अपनी इमेज को लेकर बहुत सख्त थे और एक्टिंग में रवि की दिलचस्पी से बिल्कुल खुश नहीं थे. रवि बोले, “मैं गांव के नाटकों में हिस्सा लेता था, सीता माता का किरदार करता था और अपनी मां की साड़ी पहनता था. इससे पिता जी को बहुत गुस्सा आता था. वो कहते, ‘क्या पागल हो गए हो? क्या तुम नचनिया बनना चाहते हो?’ वे चाहते थे कि मैं खेती करूं या दूध बेचूं. एक पिता ने मुझे बहुत मारा. मेरी मां ने मुझे 500 रुपये दिए और कहा, ‘प्लीज चले जाओ, वरना आज वो तुम्हें मार डालेंगे.'”
घर छोड़ने के बाद रवि ने बॉलीवुड में किस्मत आजमाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्हें छोटे-छोटे रोल मिलते थे, पर पैसे नहीं मिलते थे. अगर वो पैसे मांगते तो उनकी स्क्रीनटाइम काट देते. 10 साल संघर्ष के बाद वो भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में आए और वहां सफल हुए. इसके बाद ही उनके पिता ने उन्हें इज्जत देना शुरू किया.
रवि की सक्सेस देख रो पड़े थे पिता, क्यो?
रवि बोले,“पिताजी ने मुझे तब इज्जत देनी शुरू की जब मैंने बहुत पैसा कमाया. जब मैंने उन्हें मुझसे मिलने के लिए हवाई टिकट दिया, अच्छे कपड़े दिए, कार दी, बंगला दिया. एक दिन वो रोने लगे और बोले, ‘मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हें गलत समझा.’ मैं उनके पैरों पर गिर गया और बोला, ‘ऐसा मत करिए. मैंने पिता में भगवान को देखा.' मैं बस उनका प्यार चाहता था. मेरी ख्वाहिश थी कि वो एक बार मुझे गले लगा लें और मुझे बेकार न समझें. जब वे बूढ़े हो गए, तभी मैं उनके करीब आ सका. मेरा डर खत्म हुआ क्योंकि वो कमजोर हो गए थे. जब मैं उनके कंधे पर हाथ रखता था तो बहुत खुशी होती थी. उम्र के साथ वो मेरे बच्चे और मैं उनका पिता बन गया.”
रवि के पिता को था किस बात का डर?
इस दौरान रवि ने एक बार पिता से पूछा था, “आप मुझे इतना क्यों मारते थे?” पिता ने कहा, “मुझे लगता था तुम कुछ गलत कर दोगे.” रवि ने कहा, “वो डर के मारे ज्यादातर मुझे मारते थे कि कहीं मैं गलत काम न कर दूं. वो मेरे मुंह को सूंघते थे और सोचते थे मैंने शराब पी ली है, जबकि सच्चाई ये नहीं थी. उस समय ये चलन नहीं था, लेकिन उन्हें लगता था, ‘क्या पता तुमने कर लिया हो.’ मुझे मार पड़ती थी कि ‘नालायक हो गए तो?’ अक्सर पहले ही मार देते थे, बिना वजह.”
रवि किशन को सफलता मिलने के बाद उनके पिता को उनकी कमी खलने लगी. “वो रोते थे, मेरी याद में मुझसे बात करते थे.” हालांकि रवि ने पिता के ‘प्यार दिखाने के तरीके’ को माफ कर दिया, लेकिन उनकी ख्वाहिश है कि पिता ने उन्हें मारने की बजाय बात करके समझाया होता. “मैं अपने बच्चों को कभी मारना नहीं सिखाऊंगा. उनसे बात करूंगा. यही तरीका मैं आज अपने बच्चों के साथ अपनाता हूं.”
पिता की मौत पर नहीं निकले रवि के आंसू, क्यों?
पिता की मृत्यु के बाद रवि रोए नहीं. वो बोले,“मैं उनकी आखिरी घड़ियों में उनके साथ था. जब पता चला कि उनके पास ज्यादा समय नहीं है, तो मैंने उन्हें प्राइवेट जेट से काशी ले गया. वो वहीं चले गए. मैं रोया नहीं, न ही अब तक महसूस कर पाया हूं. मेरे अंदर की भावनाएं कब बाहर आएंगी, पता नहीं. हर सांस में उनकी याद आती है.”
रवि जल्द ही अजय देवगन की सन ऑफ सरदार 2 में नजर आएंगे. फिल्म 1 अगस्त को रिलीज होगी.
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