मलाइका अरोड़ा एक बेहतरीन मॉडल और वीजए हैं. लेकिन इंडस्ट्री में उनकी पहचान एक आइटम गर्ल के तौर पर होती है. वो 50 साल की हो चुकी हैं लेकिन बावजूद इसके आइटम सॉन्ग्स में उनका जलवा आज भी कायम है. मलाइका को इससे कोई परहेज भी नहीं है, वो मानती हैं कि वक्त के साथ इस तरह के स्पेशल गानों का दौर भी बदला है. अब ये सिर्फ ग्लैमर दिखाने या पुरुषों को रिझाने के लिए नहीं होते.
ग्लैमरस नहीं आइटम सॉन्ग अब फिल्म की जरूरत
मलाइका ने हाल ही में एक्शन हीरो फिल्म में आप जैसा कोई आइटम सॉन्ग किया था. उन्होंने करियर के शुरुआती दौर में छैयां-छैया, मुन्नी बदनाम हुई, अनारकली डिस्को चली जैसे कई गानों से पॉपुलैरिटी हासिल की. अब वो थामा फिल्म के पॉइजन बेबी गाने से सुर्खियां बटोर रही हैं. लेकिन मलाइका को ये अटेंशन पसंद है.
टीएतआर इंडिया से बातचीत में मलाइका ने कहा,“पहले ऐसे गाने सिर्फ चमक-दमक और दिखावे तक सीमित थे, जिनका किसी महिला की पहचान या व्यक्तित्व से ज्यादा लेना-देना नहीं होता था. लेकिन अब फिल्ममेकर ज्यादा अलर्ट हैं. अब ऐसे गानों को कहानी से जोड़ा जाता है, ताकि किरदार की मजबूती दिखे. अब ये सिर्फ ग्लैमरस दिखने के लिए नहीं, बल्कि प्रदर्शन और मौजूदगी दिखाने के लिए होता है. मेरे हिसाब से ये बदलाव बहुत अच्छा है, क्योंकि अब महिलाएं अपना स्पेस खुद बना रही हैं.”
लेबल्स में नहीं उलझतीं मलाइका
मलाइका ने आगे बताया कि उन्हें किसी तरह के लेबल्स से कोई फर्क नहीं पड़ता. वो इन गानों को एंजॉय करती हैं. उन्होंने कहा,“आइटम सॉन्ग्स को अक्सर ‘मेल गेज’ यानी पुरुषों की नजर से देखा जाता है, लेकिन मैं हमेशा इसे अलग तरह से देखती हूं. मेरे लिए डांस आत्मविश्वास और खुद को व्यक्त करने का जरिया है. जब मैं डांस करती हूं, तो बस उस पल को एंजॉय करती हूं और अपनी एनर्जी लाती हूं. जब तक मैं सहज और कंट्रोल में हूं, वही मेरे लिए सबसे जरूरी है. ये कला का जश्न मनाने और मजे लेने के बारे में है, ना कि लेबल्स में उलझने के.”
आइटम सॉन्ग्स से नहीं करेंगी तौबा
मलाइका ने ये भी कहा कि वो आगे भी स्पेशल डांस नंबर करती रहेंगी,“इतने सालों बाद फिर से ऐसे गानों में काम करना, मेरे लिए अपनी पहचान के एक हिस्से को अपनाने जैसा है, फर्क सिर्फ इतना है कि अब मेरे अंदर ज्यादा आत्मविश्वास और अनुभव है. प्रोफेशनल तौर पर देखा जाए तो, ये खुद को नए रूप में पेश करने और साबित करने का मौका है कि उम्र कभी आपके टैलेंट या प्रेरणा की सीमा तय नहीं करती.”
aajtak.in