Uttarakhand Election: रोचक हुआ यमुनोत्री का रण, निर्दलीय ने बढ़ाई कांग्रेस-बीजेपी की टेंशन

यमुनोत्री विधानसभा की भौगोलिक स्थिति बड़ी अलग है. यहां गंगा और यमुना घाटी का संगम है. यमुनोत्री सीट का महत्व हिमालय के चारधाम में प्रथम यमुनोत्री धाम के चलते काफी बढ़ जाता है. यमुनोत्री में करीब 74000 वोटर अपना विधायक चुनेंगे.

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यमुनोत्री विधानसभा सीट  yamunotri assembly seat यमुनोत्री विधानसभा सीट yamunotri assembly seat

प्रभंजन भदौरिया / ओंकार बहुगुणा

  • देहरादून,
  • 02 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST
  • यमुनोत्री सीट पर 2002 से अब तक चार बार चुनाव हुए
  • यहां चारों बार अलग अलग पार्टियों ने हासिल की जीत

उत्तरकाशी जिले की तीन विधानसभाओ में से एक यमुनोत्री भी है. यमुनोत्री विधानसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है. दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ता के पाला बदलने से ये रण काफी रोचक हो गया है. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी से मौजूदा विधायक केदार सिंह रावत और कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बिजल्वाण के बीच है. लेकिन कांग्रेस के बागी नेता संजय डोभाल के निर्दलीय मैदान में उतरने से दोनों पार्टियों के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं.  

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यमुनोत्री विधानसभा की भौगोलिक स्थिति बड़ी अलग है. यहां  गंगा और यमुना घाटी का संगम है. यमुनोत्री सीट का महत्व हिमालय के चारधाम में प्रथम यमुनोत्री धाम के चलते काफी बढ़ जाता है. यमुनोत्री में करीब 74000 वोटर अपना विधायक चुनेंगे. 

कौन कौन उम्मीदवार हैं मैदान में?

बीजेपी ने यहां से मौजूदा विधायक केदार सिंह रावत को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने एनएसयूआई के कार्यकर्ता रहे और जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार की बात करें, तो कांग्रेस के ओबीसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे  संजय डोभाल मैदान में हैं. वे 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए थे. ऐसे में कांग्रेस ने उन पर विश्वास नहीं जताया, तो संजय डोभाल ने निर्दलीय उम्मीदवारी ठोक दी. 

नाराज नेता बढ़ा रहे मुसीबत

बीजेपी के कुछ नेता नाराज चल रहे हैं, ऐसे में पार्टी की मुसीबतें बढ़ रही हैं. दरअसल, बीजेपी के कुछ नेता टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन टिकट न मिलने पर वे नाराज बताए जा रहे हैं. इनमें एक नाम जगबीर भंडारी का भी है. जगबीर ने हाल ही में कांग्रेस जॉइन कर ली. इसके अलावा कुछ और नेता भी केदार सिंह को उम्मीदवार बनाने का विरोध कर रहे हैं. हालांकि, केदार सिंह रावत को तेज तर्रार नेता माना जाता है. वे पेशे से वकील हैं. उन्होंने क्षेत्र में काम के दम पर अच्छा नाम बनाया है. इसके अलावा छवि के आधार पर जन बल का समर्थन मिलना तय माना जा रहा है. 

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कांग्रेस ने युवा दीपक पर जताया भरोसा

वहीं, कांग्रेस की बात करें, तो दीपक बिजल्वाण को टिकट दिया गया है. वे विधानसभा चुनाव में उतरने वाले युवा नेताओं में शामिल हैं. वे काफी तेज तर्रार नेता माने जाते हैं. दीपक छात्र संघ अध्यक्ष , एनएसयूआई , क्षेत्र पंचायत ,और जिलापंचायत अध्यक्ष तक काफी पदों पर रह चुके हैं. ऐसे में युवाओं में उनकी पहुंच मानी जाती है. 
 
हालांकि, जिलापंचायत अध्यक्ष रहते दीपक पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लग चुका है. इसे हाईकोर्ट में भी चुनौती गई थी. दीपक पर अपनी ही पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.  वहीं, बागी नेता संजय डोभाल ने दोनों पार्टियों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. संजय डोभाल 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और मोदी लहर के बावजूद काफी कम वोटों से हारे थे. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें ओबीसी प्रकोष्ठ का अध्यक्ष भी बनाया था. डोभाल की गंगा घाटी और यमुनाघाटी के मतदाताओ के बीच में अच्छी पकड़ मानी जाती है. इतना ही नहीं कांग्रेस के नाराज नेता भी संजय डोभाल के साथ खड़े हैं. 
 
यमुनोत्री सीट का राजनीति इतिहास

यमुनोत्री सीट पर राज्य बनने के बाद से चार बार चुनाव हुआ है. इस सीट से एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी और एक बार यूकेडी ने जीत हासिल की है. जबकि एक बार निर्दलीय के तौर पर प्रीतम सिंह ने जीत हासिल की थी. केदार सिंह रावत 2007 में एक बार कांग्रेस और 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. 

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