Hapur district profile: जानें, कैसी है हापुड़ जिले की सियासी और सामाजिक तस्वीर?

UP election news: हापुड़ को जिला बने बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. मायावती की सरकार में ये जिला अस्तित्व में आया था. यहां कुल तीन विधानसभा सीटें हैं. 2017 के चुनाव में तीन में से दो सीट भाजपा ने जीती थी, जबकि एक सीट बसपा के खाते में गई थी. बसपा के विधायक रहे असलम चौधरी अब सपा में आ गए हैं.

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हापुड़ जिले में 3 विधानसभा सीटें हापुड़ जिले में 3 विधानसभा सीटें

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:44 PM IST
  • 2011 में अस्तित्व में आया था हापुड़ जिला
  • हापुड़ जिले में विधानसभा की तीन सीटें
  • 2017 में दो सीटों पर जीती थी बीजेपी

पश्चिमी यूपी का हापुड़ जिला 2011 में अस्तित्व में आया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सितंबर 2011 में पंचशीलनगर के नाम से ये नया जिला बनाया था. लेकिन जैसे ही 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो जिले का नाम हापुड़ कर दिया गया गया. पहले ये इलाका मेरठ जिले के अंतर्गत आता था. 

अभी हापुड़ NCR में आता है. ये राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 60 किलोमीटर के दायरे में है. इस जिले में स्टील के पाइप और टायर वाले ट्यूब बनाने का बड़ा काम होता है. हापुड़ अपने पापड़ के लिए भी मशहूर है. गढ़मुक्तेश्वर जिले का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है. इसे मिनी हरिद्वार भी कहा जाता है. यहां से गुजरने वाली गंगा में श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ते हैं. 

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गंगा के नजदीक होने के चलते हापुड़ तीर्थ नगरी के नाम से भी मशहूर है क्योंकि यहां पर ब्रजघाट तीर्थ नगरी बस्ती है जो गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा के अंतर्गत आती है जहां हरिद्वार की तर्ज पर गंगा घाट बनाए गए हैं. यहां प्रतिदिन होने वाली गंगा आरती भी भक्तों को आनंदित करती है. साथ ही दूर दूर से लोग गंगा स्नान करने के लिए आते हैं. यहां के खादर क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा मेले का भी आयोजन प्रतिवर्ष होता. 

जनपद हापुड़ के अंतर्गत 3 विधानसभा क्षेत्र हैं. हापुड़ सदर, गढ़मुक्तेश्वर और धौलाना सीट. वर्तमान में 2 सीट बीजेपी के खाते में हैं और एक सीट बसपा के खाते में है. लेकिन बसपा के खाते में गई धौलाना विधानसभा सीट के  विधायक असलम चौधरी बसपा का दामन छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार  हो गए हैं.

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हापुड़ सदर सीट पर बीजेपी के विजयपाल आढ़ती काबिज हैं और गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट पर बीजेपी के कमल सिंह मलिक काबिज हैं. जबकि धौलाना विधानसभा सीट बसपा के खाते में थी लेकिन विधायक असलम चौधरी बसपा छोड़ सपा में शामिल हो गए हैं. 

जिले के जातिगत समीकरण की बात करें तो वर्तमान में धौलाना विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर राजपूत वोट ज्यादा हैं, इनके मुस्लिम वोटरों का नंबर आता है. हापुड़ सदर सीट की बात करें तो यहां दलित वोटर ज्यादा हैं. जबकि गढ़मुक्तेश्वर में मिश्रित आबादी के चलते कोई एक जातिगत वोट बैंक नहीं है.

2017 का जनादेश

हापुड़ सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजय पाल को कुल 84,532 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गजराज सिंह को 69,526 वोट मिले थे. ये चुनाव विजय पाल ने अच्छे अंतर से जीता था.

गढ़मुक्तेश्वर सीट की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी कमल सिंह मलिक को 91,086 वोट मिले थे जबकि सपा प्रत्याशी मदन चौहान को 48,810 वोट मिले थे. मदन सिंह पूर्व विधायक रहे हैं. 

धौलाना विधानसभा की बात करें तो बसपा के असलम चौधरी ने 88,580 वोट पाकर बीजेपी के रमेश चंद तोमर को 3,576 वोटों से हराया था.

जिले की समस्याएं और मुद्दे

जिले की पहली बड़ी समस्या की बात करें तो इस जिले में अपना कोई औद्योगिक क्षेत्र नहीं है जिस कारण यहां के उद्यमियों को मेरठ जनपद के धीरखेड़ा में उद्योग करना पड़ता है. साथ ही जनपद में युवाओं के लिए रोजगार की बड़ी समस्या है क्योंकि यहां पर कोई ऐसी फैक्ट्री या रोजगार संबंधी कोई साधन नहीं है.

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