Ghazipur: मुस्लिम वोट रहता है निर्णायक, इस बार क्या है सियासी हवा का रुख?

Ghazipur District Profile: गाजीपुर लोकसभा में मुस्लिमों की संख्या भी अच्छी खासी है. मुसलमान मतदाता जिसके साथ भी हो जाते हैं, तो वह उम्मीदवार लड़ाई में कांटे की टक्कर देता. पिछली बार 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रहे मनोज सिन्हा से लगभग 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत गए थे, क्योंकि यह लड़ाई सीधी हो गई थी.

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गाजीपुर पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता रहा है. गाजीपुर पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता रहा है.

विनय कुमार सिंह

  • गाजीपुर,
  • 31 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST
  • गाधिपुरी था गाजीपुर का पुराना नाम
  • गाजीपुर को लहुरी काशी भी कहा जाता है
  • गंगा नदी इस जनपद के मध्य से गुजरती है

Ghazipur Assembly Seat:  प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) ने गाज़ीपुर के लिए चां-चू यानि विपासना-क्षेत्र शब्द का प्रयोग किया था जो सातवीं सदी में आए थे. गाजीपुर जनपद उत्तर प्रदेश राज्य के पुराने जिलों में से एक है, जो वर्तमान में वाराणसी मंडल का हिस्सा है. गाजीपुर कृषि प्रधान क्षेत्र है, और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है, ये क्षेत्र प्राचीन काल से ऋषि मुनियों और बौद्धों की तपोस्थली के रूप में भी जानी जाती रही है. गंगा नदी इस जनपद के मध्य से गुजरती है.

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रामायण काल से जुड़े गाजीपुर क्षेत्र में महाहर धाम प्राचीन शिव मंदिर है, जहां से श्रवण कुमार को राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण मारे जाने के बाद ब्रह्म हत्या दोष की कहानी जुड़ी हुई है. ऋषि जमदग्नि और कण्व की तपोस्थली रही गाधिपुरी के लिए कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि 1330 ई में तुगलक वंश के सिपहसालार रहे सैयद मसूद गाज़ी ने इसका नाम बदलकर गाज़ीपुर कर दिया था. लेकिन आज भी यहां इस के पुराने नाम गाधिपुरी किए जाने की मांग उठती रहती है, जो महर्षि विश्वामित्र के पिता महाराज गाधि के नाम पर था. आज भी गाजीपुर को लहुरी काशी कहा जाता है. क्योंकि काशी से गंगा सीधे यहीं से उत्तरायण होकर गुजरती है.

अब्दुल हमीद और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भूमि

वहीं, गाज़ीपुर के सैदपुर भीतरी में प्राचीन हूणों और स्कन्दगुप्त युद्ध के जीत के स्तूप और शिलापट्ट भी हैं. यहां साल 1820 के ब्रिटिश पीरियड में स्थापित एशिया की मशहूर अफीम फैक्ट्री भी है, और ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस के मकबरे के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनकी यहां सन 1805 में मृत्यु हो गई थी. उनका मकबरा शहर के पश्चिमी भाग में स्थित है, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा आज भी संरक्षित है. 1967 भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद अब्दुल हमीद और किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती भी इसी जनपद के लाल थे. यहां के हेडपोस्ट ऑफिस का पिन कोड 233001 है.

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सैेनिकों का जनपद

स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका में रहे बलिया और मऊ कभी इस जिले की तहसील हुआ करते थे. सन 1942 में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन में जिले की मुहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा फहराने में शिवपूजन राय सहित 7 लोग शहीद हो गए थे. शक्ति स्वरूपा मां कामाख्या मंदिर और एशिया का सबसे बड़ा फौजी गांव गहमर भी यहीं है, जहां के सैनिक फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से लेकर अब तक देश की सेवा में आज भी लगे हुए हैं. आंकड़ों के अनुसार, जनपद गाज़ीपुर से लगभग 10 हजार से ज्यादा सैनिक देश की सीमाओं पर डटे हुए हैं. ऐसा कोई युद्ध नहीं है हुआ जिसमें यहां के वीरों ने अपनी जान की बाज़ी न लगाई हो. 

7 विधानसभा वाला संसदीय क्षेत्र 

गाज़ीपुर जनपद की सीमाएं यूपी के 6 जनपदों के अलावा बिहार के बक्सर जनपद से भी लगती हैं, जिसमें पूर्व दिशा में बलिया, बिहार के बक्सर समेत दक्षिण-पश्चिम में यूपी के चंदौली, पश्चिम में वाराणसी, पश्चिम- उत्तर में जौनपर व आजमगढ़ और उत्तर में मऊ जनपद हैं. इस जिले में 7 तहसीलें और 16 ब्लॉक हैं. यहां 7 विधानसभाएं हैं जिनमें सैदपुर, जखनियां ये दोनों सुरक्षित सीटें हैं, जबकि सदर, जंगीपुर, ज़मानियां,  मुहम्मदाबाद और जहूराबाद सामान्य हैं. यहां गाज़ीपुर लोकसभा में 5 विधानसभाएं 'सैदपुर (सु), जखनियाँ (सु), सदर, जंगीपुर और ज़मानियां हैं, जबकि दो विधानसभाएं मुहम्मदाबाद और जहूराबाद, बलिया लोकसभा में आती हैं. 

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इन हस्तियों का है गाजीपुर से ताल्लुक 

गाज़ीपुर जनपद में सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं, यहां 450 साल से ज्यादा समय से रामलीला मंचन की परंपरा है जिसे हिन्दू, मुस्लिम और सिक्ख मिलकर मनाते हैं. यहां का सिद्धपीठ हथियाराम मठ और भुड़कुड़ा मठ के साथ पवहारी बाबा आश्रम और बौड़हिया मठ काफी प्रसिद्ध है. प्रसिद्ध शायर और स्क्रिप्ट राइटर डॉ. राही मासूम रज़ा, भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी और वर्तमान जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी यहीं के निवासी हैं.

गाज़ीपुर की जनसंख्या 

गाज़ीपुर जनपद की अनुमानित जनसंख्या साल 2020 में लगभग 41 लाख 94 हजार 443 आंकी जा रही है, जिसमें लगभग 21 लाख 49 हजार पुरुष और 20 लाख 45 हजार महिलाएं हैं. विधानसभावार यहां सातों विधानसभाओं में इस बार कुल 29 लाख से ज्यादा वोटर्स हो गए हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में गाज़ीपुर लोकसभा की कुल 5 विधानसभाओं में, 18 लाख से ज्यादा वोटर्स थे. जिसमें पुरुष मतदाता  1009105 थे, जबकि महिला वोटर 842685 थीं. 

जाति-धर्म के मुद्दे ज्यादा प्रभावी

जनपद के राजनीतिक समीकरण में स्थानीय मुद्दों के साथ जातिगत मुद्दे ज्यादा प्रभावी रहते हैं. और ज्यादा संख्या यादव और पिछड़ी जाति वर्ग की है, जबकि हरिजन और दलित वर्ग मामूली अंतर से दूसरे पायदान पर हैं, जबकि सवर्णों की संख्या में राजपूत बिरादरी ज्यादा आबादी में है. वहीं, ब्राह्मण और भूमिहारों की संख्या भी यहां काफी है जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाती है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यहां बनिया, लाला और अतिपिछड़ों की संख्या भी चुनाव में महत्वपूर्ण रहती है. इसके साथ मुस्लिमों की संख्या भी अच्छी खासी है. मुसलमान मतदाता जिसके साथ भी हो जाते हैं, तो वह उम्मीदवार लड़ाई में कांटे की टक्कर देता. पिछली बार 2019 लोकसभा चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रहे मनोज सिन्हा से लगभग 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत गए थे, क्योंकि यह लड़ाई सीधी हो गई थी. वहीं, त्रिकोणात्मक लड़ाई में मनोज सिन्हा 2014 का चुनाव तीसरी बार जीते थे.

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कौन कब जीता:-

1952 - हर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
1957 - हर प्रसादसिंह (कांग्रेस)
1962 - विश्वनाथ सिंह, गहमरी (कांग्रेस)
1967 - सरजू पांडेय (सीपीआई)
1971 - सरजू पांडेय (सीपीआई)
1977 - गौरी शंकर राय (जनता पार्टी)
1980 - जैनुल बशर (कांग्रेस-आई)
1984 - जैनुल बशर (कांग्रेस-आई)
1989 - जगदीश कुशवाहा (निर्दलीय)
1991 - विश्वनाथ शास्त्री (सीपीआई)
1996 - मनोज सिन्हा (भाजपा)
1998 - ओमप्रकाश सिंह (सपा)
1999 - मनोज सिन्हा (भाजपा)
2004 - अफजाल अंसारी (सपा)
2009 - राधे मोहन सिंह (सपा)
2014 - मनोज सिन्हा (भाजपा)
2019 - अफजाल अंसारी (बसपा)

विकास काम हुए तेज

गाजीपुर पूर्वांचल के पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता रहा है, लेकिन 2014 में मनोज सिन्हा की तीसरी बार जीत और नरेंद्र मोदी सरकार में उनके रेल राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद गाजीपुर में रेलवे और अन्य क्षेत्रों में कई विकास कार्य हुए. गाजीपुर में रेलवे ऑफिसर ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया, साथ ही गंगा पर रेल कम रोड ब्रिज की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी गई जो निर्माणाधीन है, जिसे सीधे दिल्ली हावड़ा रेल रूट से जोड़ा जाएगा. साथ ही गंगा में वाटर-वे के मद्देनजर जेट्टी का निर्माण तीन स्थानों पर हुआ है. गोरखपुर और वाराणसी भी अब फोर लेन से जुड़ गया है. 

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राजनीतिक दलों में मची श्रेय लेने की होड़

वहीं, गाज़ीपुर में महर्षि विश्वामित्र के नाम से 100 सीट का मेडिकल कॉलेज और गाजीपुर से लखनऊ 341 कि.मी. की पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का भी निर्माण हो चुका है, साथ ही कई विकास परियोजनाएं पूर्वांचल के इस पिछड़े कहे जाने वाले गाजीपुर जिले में चल रही हैं, जिसका श्रेय लेने की होड़ राजनीतिक दलों में मची हुई है.

बेरोजगारी मुख्य समस्या

गाज़ीपुर की मुख्य समस्या बेरोजगारी और गंगा का कटान है जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि तीन से चार दशक पुरानी नंदगंज शिहोरी चीनी मिल और बहादुरगंज कताई मिल आज भी बंद हैं और बदहाली के आंसू रो रही हैं. वैसे तो गाज़ीपुर में 2 हवाई पट्टी भी हैं, जो प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान काम में आई थीं, जिन पर कमर्शियल सेवा शुरू होने की योजना लंबित है.

 

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