उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक विधानसभा सीट है अजगरा. साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद ये सीट अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर पहली बार साल 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. ये सीट गाजीपुर जिले की सैदपुर विधानसभा सीट, वाराणसी के पिंडरा और शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से थोड़ा-थोड़ा हिस्सा लेकर बनाई गई. अजगरा विधानसभा क्षेत्र में तीन ब्लॉक हैं. वाराणसी जिले की अजगरा विधानसभा सीट चंदौली संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें कुल 309 बूथ थे जो अब बढ़कर 334 हो गए हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अजगरा विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद साल 2012 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे त्रिभुवन राम ने समाजवादी पार्टी के लालजी सोनकर को कड़े मुकाबले में शिकस्त दी थी. लालजी को काफी करीबी मुकाबले में 2083 मतों से मात मिली थी. वहीं, त्रिभुवन राम को कुल 60239 वोट मिले थे.
2017 का जनादेश
अजगरा विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने फिर से अपने सिटिंग एमएलए त्रिभुवन राम पर ही भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा लेकिन इसबार वे 2012 का चुनाव परिणाम दोहराने में विफल रहे. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कैलाशनाथ सोनकर ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया और विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. कैलाशनाथ सोनकर को कुल 83778 वोट मिले थे. सिटिंग विधायक त्रिभुवन राम तीसरे स्थान पर खिसक गए थे. सपा के लालजी सोनकर दूसरे नंबर पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो वाराणसी के अजगरा में करीब 5 लाख है. इस सीट पर लगभग हर जाति वर्ग के वोटर हैं. यहां पिछड़ी और दलित मतदाताओं की बहुलता है.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
अजगरा विधायक कैलाशनाथ सोनकर 2017 में पहली बार भारतीय समाज पार्टी से विधायक बने. विकास की बात करें तो यहां के लोग आज तक अपने क्षेत्र में विकास की आस लिए बैठे हैं. लोगों का कहना है कि अजगरा विधानसभा क्षेत्र में न तो विकास नजर आता है ना ही यहां के विधायक. यहां कि जनता को यह आस जगी थी कि भाजपा से गठबंधन और मोदी लहर में यहां से उनके विधायक को जीत मिली और विकास की गंगा बहेगी.
बृजेश यादव