बालुरघाट लोकसभा सीटः लंबे समय तक एक पार्टी पर भरोसे का रहा है पैटर्न

Balurghat Constituency 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी  पश्चिम बंगाल की जिन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है उनमें ज्यादातर उत्तरी बंगाल, दक्षिण बंगाल और जंगलमहल के जनजातीय वर्चस्व वाले जिले की हैं. बीजेपी मुख्य रूप से बालुरघाट, कूच बिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, पुरुलिया, झारग्राम, मेदिनीपुर, कृष्णानगर, हावड़ा सीट पर फोकस कर रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो बालुरघाट सीट पर सबकी नजर रहेगी.

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Balurghat Constituency (Reuters) Balurghat Constituency (Reuters)

वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST

आमतौर पर बालुरघाट को अपने अनोखे सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है. खासकर रंगमंच की दुनिया में इस स्थान का नाम बड़े अदब के साथ लिया जाता है. बालुरघाट की धरती नाट्यचार्य मन्मथा रे की जन्मस्थली रही है. 1920 के दशक में जब बंगाली समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा था और देश अंग्रेजों की गुलामी से निकलने की कोशिश कर रहा था उस वक्त मन्मथा रे रंगमंच के जरिये लोगों में देशप्रेम जगाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने हिंदू महाकाव्य, पुराण और भारतीय पौराणिक कथाओं को लेकर नाटक प्रस्तुत किए. उन्होंने सम्राट अशोक और मीर कासिम पर भी बांग्ला में नाटक लिखे. बालुरघाट अपनी स्वच्छता और संस्कृति के लिए जाना जाता है.  

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बहरहाल दक्षिणी और उत्तर दिनाजपुर जिलों में आने वाली बालुरघाट लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1977 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1977 के बाद यह सीट वाम खेमे में चली गई और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का 2009 के आम चुनावों तक इस पर दबदबा रहा. हालांकि 2014 में इस सीट की तस्वीर बदली और तृणमूल कांग्रेस इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पश्चिम बंगाल की जिन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है उनमें ज्यादातर उत्तरी बंगाल, दक्षिण बंगाल और जंगलमहल के जनजातीय वर्चस्व वाले जिले की हैं. बीजेपी मुख्य रूप से बालुरघाट, कूच बिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, पुरुलिया, झारग्राम, मेदिनीपुर, कृष्णानगर, हावड़ा सीट पर फोकस कर रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो बालुरघाट सीट पर सबकी नजर रहेगी.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

बालुरघाट लोकसभा सीट को 1962 तक पश्चिमी दिनाजपुर के नाम से जाना जाता था जिस पर 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सुशील रंजन चट्टोपध्याय सांसद चुने गए थे. 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सेलकु मार्दी चुनाव जीते. वहीं 1962 में पश्चिमी दिनाजपुर सीट का नाम बदलकर बालुरघाट कर दिया गया. उस दौरान हुए आम चुनाव में माकपा के टिकट पर सरकार मुर्मू सांसद चुने गए थे. 1967 के चुनाव में फिर कांग्रेस को विजय मिली और जे.एन. परमानिक सांसद चुने गए. 1971 के चुनाव में कांग्रेस के रसेंद्रनाथ बर्मन चुनाव जीते उसके बाद तो यह सीट रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के खाते में चली गई. 1977 से 1991 तक रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के पलाश बर्मन लगातार चुनाव जीतते रहे. 1996 के चुनाव में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने नए उम्मीदवार रानेन बर्मन को चुनाव मैदान में उतारा और वह 2004 तक यहां से चुनाव जीतते रहे. 2009 के आम चुनावों में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने फिर उम्मीदवार बदला और प्रशांत कुमार मजूमदार मैदान में उतरे और जीते. 2014 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की अर्पिता घोष चुनाव जीतीं. इस सीट के चुनावी पैटर्न को देखा जाए तो यहां के मतदाता कई साल तक एक ही पार्टी और एक उम्मीदवार पर विश्वास जताते रहे हैं.

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सामाजिक ताना बाना

जनगणना 2011 के मुताबकि बुलारघाट लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल आबादी 19,79,954 है जिनमें 87.76% और 12.24% शहरी जनता शामिल है. कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या का अनुपात क्रमशः 28.33 और 15.19 फीसदी है. 2017 की मतदाता सूची के अनुसार बुलारघाट संसदीय क्षेत्र में 1347893 मतदाता हैं जो 1487 बूथों पर वोटिंग करते हैं. 2014 के आम चुनावों में 84.77% जबकि 2009 के लोकसभा चुनावों में 86.65% फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को 38.53%, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 28.47% और बीजेपी को 20.98% वोट मिले. वहीं 2009 के चुनावों में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 44.38 फीसदी, तृणमूल कांग्रेस को 43.79 फीसदी और बीजेपी को 6.82 फीसदी मिले थे. बीजेपी का बढ़ता जनाधार बताता है कि आगामी चुनाव तृणमूल कांग्रेस सहित बाकी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.

2014 के जनादेश का संदेश

पिछले चुनाव में बालुरघाट लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस की अर्पिता घोष चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं. 2014 के चुनावों में अर्पिता घोष को     4,09,641 यानी 38.5 फीसदी मत मिले थे जबकि रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार 3,02,677 यानी    28.47 फीसदी मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वहीं बीजेपी तीसरे स्थान पर रही थी. बीजेपी के उम्मीदवार बिश्वप्रिया राय चौधरी को 2,23,014 मत मिले थे जो कुल वोटिंग का 20.98 फीसदी है.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बालुरघाट की सांसद अर्पिता घोष की गिनती सक्रिय जनप्रतिनिधि के तौर पर की जाती है. वह सदन का कार्यवाही के दौरान 80 फीसदी उपस्थित रहीं और इस दौरान 25 सवाल भी पूछे हैं. संसद की 17 डिबेट (बहस) में शामिल हुईं. अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ की हिंसा, रंगमंच कलाकारों का मानदेय बढ़ाने, दीपा कर्मकार सहित तमाम खिलाड़ियों के सहूलियत, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप बिल को लेकर हुई बहसों में शरीक हुई हैं. बालुरघाट संसदीय क्षेत्र के लिए सांसद निधि के तहत 25 करोड़ रुपये निर्धारित हैं. विकास संबंधित कार्यों के लिए अर्पिता घोष ने 24.73 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

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