कौन हैं उज्जवल निकम, जिन्हें BJP ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से पूनम महाजन का टिकट काटकर बनाया कैंडिडेट

भारतीय जनता पार्टी ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से सांसद पूनम महाजन का टिकट काट दिया है. पार्टी ने इस सीट से देश के मशहूर वकील उज्जवल निकम को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. उज्जवल निकम मुंबई आतंकी हमले जैसे कई हाई-प्रोफाइल केस में सरकारी वकील के तौर पर अदालत में सरकार का पक्ष रख चुके हैं.

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बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकल. (फाइल फोटो) बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकल. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 28 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:18 AM IST

BJP ने शनिवार को मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा सांसद पूनम महाजन का टिकट काट कर देश के मशहूर वकील  उज्जवल निकम को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर मुंबई प्रमुख वर्षा गायकवाड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है. आइए जानते हैं उज्जवल निकम के बारे में, जिन पर बीजेपी ने दांव लगाया है.
    
उज्जवल निकम का जन्म महाराष्ट्र के जलगांव में रहने वाले एक मराठी परिवार में हुआ था. उनके पिता पेशे से एक जज थे. निकम ने जलगांव के एसएस मनियार लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की है. उन्होंने साइंस से ग्रेजुएशन की है. उन्होंने जलगांव में जिला अभियोजक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और फिर राज्य और राष्ट्रीय केसों से पहचान बनाई. 

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उन्होंने साल 1991 में कल्याण बम विस्फोट के लिए रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी. उनके करियर में 1993 में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब वह मुंबई सिलसिलेवार विस्फोट मामले में सरकारी वकील बने. उन्होंने आतंकवादी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत में 14 वर्षों से अधिक वक्त तक काम किया. निकम ने 26/11 मुंबई हमले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दलीलें दी थीं. मुंबई हमले के आरोपी अजमल कसाब ने जेल में मटन बिरयानी की मांग की थी. हालांकि, बाद उन्होंने खुलासा किया कि झूठ बोला था.

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इन हाई-प्रोफाइल केसों में भी की पैरवी

इसके अलावा उन्होंने 1993 के बॉम्बे बम विस्फोटों, गुलशन कुमार हत्या मामले, प्रमोद महाजन हत्या मामले और 2008 के मुंबई हमलों सहित कई प्रमुख मामलों से जुड़े. वह 2013 के मुंबई सामूहिक बलात्कार मामले, 2016 में कोपर्डी बलात्कार और हत्या के मामले में सरकारी वकील भी थे.

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पद्म श्री से हो चुके हैं सम्मानित

बताया जाता है कि उज्जवल निकम अपने 30 साल के करियर में 628 कैदियों को उम्रकैद की सजा दिला चुके हैं और 
37 दोषियों को फांसी की सजा दिला चुके हैं. उज्जवल निकम को साल 2009 में 26/11 मामले की सुनवाई के दौरान जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी. साथ ही उन्हें कानूनी क्षेत्र में दिए अपने योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से साल 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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'गलती सुधारने की करूंगा कोशिश'

वहीं, बीजेपी से टिकट मिलने बाद उन्होंने इंडिया टुडे से खास बातचीत करते हुए आतंकवाद के खिलाफ और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सराहना की. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि देश के लिए और काम करने का वक्त आ गया है. मैं राजनीति से बहुत दूर था, लेकिन 2014 के बाद देश कैसे बदल गया है, मैंने विश्व स्तर पर भारत की जो छवि बनाई है. उसका बारीकी से अवलोकन करना शुरू कर दिया और इसके लिए पीएम मोदी और भाजपा को श्रेय दिया जाना चाहिए. भारत और इसके लोगों के लिए उनका समर्पण देखा, तब मुझे लगा कि देश के लिए कुछ और करने का यह सही समय है. मैं जानता हूं कि राजनीति में आप पर कई झूठे आरोप लग सकते हैं, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर कोई मेरी गलतियां बताएगा तो मैं उसे सुधारने की कोशिश करूंगा.

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