ऐसा दावा किया जा रहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में दिल्ली की महाशक्ति की वजह से महायुती को सीटों का बंटवारा करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी, लेकिन यह दावा अब झूठा साबित होता हुआ नजर आ रहा है. इसके पीछे की वजह भी नजर आ रही है क्योंकि माढा और सातारा लोकसभा सीटों पर बड़े-बड़े दिग्गजों द्वारा चुनाव लड़ने का दावा करने के बाद अब नेताओं को शांत करने के लिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.
इसी वजह से सुबह से फडणवीस के सरकारी आवास 'सागर बंगले' पर नेताओं का तांता लगा हुआ है. आज फडणवीस ने रामराजे नाईक निंबालकर और धैर्यशील मोहिते पाटील, दोनों से दो घंटो तक बातचीत की और उन्हें समझाने की कोशिश भी की. इस बैठक के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया से कोई बात नहीं की. इसी वजह से अब सवाल उठ रहा है कि क्या माढा लोकसभा चुनावक्षेत्र में रणजीत सिंह नाईक निंबालकर के लिए मोहिते पाटील और रामराजे निंबालकर काम करेंगे या फिर यहां से बीजेपी के लिए कोई नई चुनौती पेश करेंगे.
दो दिन पहले भी फडणवीस के करीबी नेता गिरीश महाजन ने विजयसिंह मोहिते पाटील के अकलूज स्थित बंगले पर जाकर बातचीत की कोशिश की थी. उस वक्त धैर्यशील मोहिते को टिकट ना देने पर मोहिते पाटील समर्थकों ने गिरीश महाजन का घेराव किया था.
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क्या है माढा का पेंच?
माढा लोकसभा चुनावक्षेत्र में बीजेपी ने फिर एकबार सीटिंग एमपी रणजीत सिंह नाईक निंबालकर को उम्मीदवार घोषित किया है. लेकिन इससे एनसीपी (अजित पवार ) के नेता रामराजे निंबालकर नाराज बताए जा रहे हैं और दूसरी ओर बीजेपी नेता विजयसिंह मोहिते पाटील के घर से भी विरोध के सुर निकलते हुए दिख रहे हैं.
रामराजे निंबालकर अपने चचेरे भाई संजीवराजे निंबालकर को टिकट दिलवाने की कोशिशों में जुटे हुए थे. वहीं दूसरी तरफ मोहिते पाटील घराने से पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटील अपने भाई के बेटे धैर्यशील के लिए टिकट चाह रहे थे.
पिछले पांच सालो में मौजूदा सांसद रणजीत सिंह नाईक निंबालकर ने इन दोनों नेताओं से दूरी बनाकर रखी. दूसरी तरफ विकास के काम करते वक्त पूरा श्रेय भी अपने खाते मे लिया. वह दोनों नेताओं से मधुर संबंध कायम करने में असफल रहे और उसी का नतीजा यह है कि रामराजे निंबालकर और विजयसिंह मोहिते दोनों घराने से लोग रणजीसिंह नाईक निंबालकर के खिलाफ हो गए हैं.
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कौन है धैर्यशील मोहिते?
धैर्यशील मोहिते पाटील पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटील के भाई के बेटे है. वह काफी सालों से राजनीति से जुडे हुए है. अकलूज, मालशिरस और इलाकों में उनकी काफी पकड़ है. युवाओं में भी उन्हें लेकर क्रेज है. लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन पर समर्थकों का काफी दबाव है.
पिछली बार क्या था समीकरण?
2019 मे चुनाव से पहले ही रणजीत सिंह नाईक निंबालकर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. उसी वक्त विजयसिंह मोहिते पाटील और उनके बेटे रणजीत सिंह मोहिते पाटील भी बीजेपी में आए. लेकिन बीजेपी ने उस वक्त रणजीत सिंह मोहिते पाटील की जगह रणजीत सिंह नाईक निंबालकर को टिकट दिया. मोहिते पाटील ने उनका जोरों से प्रचार भी किया और मालशिरस विधानसभा चुनावक्षेत्र से एक लाख से ज्यादा वोटों की लीड दिलाई. उसी की बदौलत रणजीत सिंह निंबालकर ने 85 हजार से ज्यादा वोटों से विजय प्राप्त की थी.
अभिजीत करंडे