लोकसभा चुनाव में सातों चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है. अब से कुछ घंटों में मतगणना प्रारंभ होने वाली है. इसी बीच काउंटिंग डे की पूर्व संध्या पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ब्यूरोक्रेट्स को चिट्ठी लिखी है और बिना डरे, बिना किसी पक्षपात के निडर होकर मतगणना प्रक्रिया कराने की अपील की है. कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के नौकरशाहों के नाम ये ओपन लेटर जारी किया है.
'किसी से डरने की जरूरत नहीं'
पत्र में उन्होंने अधिकारियों से संविधान का पालन करने और बिना किसी भय, पक्षपात और किसी दुर्भावना के राष्ट्र की सेवा करने का आग्रह किया. उन्होंने लिखा कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है. आप किसी भी असंवैधानिक तरीके के आगे न झुकें. किसी से न डरें और योग्यता के आधार पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. उन्होंने लिखा, 'हमारे प्रिय सम्मानित सिविल सेवकों और अधिकारियों, मैं आपको विपक्ष के नेता (राज्य सभा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की हैसियत से लिख रहा हूं.
सरदार पटेल ने सिविल सेवकों को कहा था, 'भारत का स्टील फ्रेम'
उन्होंने कहा कि, '18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हो चुके हैं और 4 जून, 2024 को मतगणना होगी. मैं भारत के चुनाव आयोग, केंद्रीय सशस्त्र बलों, विभिन्न राज्यों की पुलिस, सिविल सेवकों, जिला कलेक्टरों, स्वयंसेवकों और आप में से हर एक को बधाई देना चाहता हूं, जो इस विशाल और ऐतिहासिक कार्य के क्रियान्वयन में शामिल थे. हमारे प्रेरणास्रोत और भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सिविल सेवकों को “भारत का स्टील फ्रेम” कहा था.
उन्होंने कहा कि, 'इस तथ्य को रेखांकित करना महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस पार्टी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, सरोजिनी नायडू और हमारे अनगिनत प्रेरणादायी संस्थापक सदस्यों द्वारा तैयार संविधान के माध्यम से न केवल मजबूत शासन का ढांचा तैयार किया, बल्कि ब्यूरोक्रेसी और नागरिक समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को हमारे स्वायत्त संस्थानों में प्रतिनिधित्व देकर सकारात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित की.'
भारत को एक तानाशाही शासन में बदलने की बढ़ी प्रवृत्ति
कांग्रेस अध्यक्ष ने सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए लिखा 'पिछले दशक में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा हमारे स्वायत्त संस्थानों पर हमला करने, उन्हें कमजोर करने और दबाने का एक व्यवस्थित पैटर्न देखा गया है. परिणामस्वरूप भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है. भारत को एक तानाशाही शासन में बदलने की व्यापक प्रवृत्ति है.
कुछ ने पूरी तरह से उनकी संवाद शैली, उनके कामकाज के तरीके और कुछ मामलों में तो उनकी राजनीतिक बयानबाजी को भी अपना लिया है. यह उनकी गलती नहीं है. तानाशाही शक्ति, धमकी, बलपूर्वक तंत्र और एजेंसियों के दुरुपयोग के साथ, सत्ता के आगे झुकने की यह प्रवृत्ति उनके अल्पकालिक अस्तित्व का एक तरीका बन गई है. हालांकि, इस अपमान में भारत का संविधान और लोकतंत्र हताहत हुए हैं.'
ब्यूरोक्रेसी से किया आग्रह, निर्भय होकर राष्ट्र की सेवा करें
उन्होंने कहा कि, ‘जनता की इच्छा’ सर्वोच्च है, और लोग चाहते हैं कि भारतीय ब्यूरोक्रेसी सरदार पटेल द्वारा परिकल्पित उसी ‘भारत के स्टील फ्रेम’ पर वापस लौट आए - जिसे हमारे मजबूत संवैधानिक सिद्धांतों द्वारा टेफ्लॉन-कोट किया गया है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अब समस्त ब्यूरोक्रेसी से आग्रह करती है कि वे संविधान का पालन करें, अपने कर्तव्यों का पालन करें और बिना किसी भय, पक्षपात या द्वेष के राष्ट्र की सेवा करें.
किसी से डरें नहीं. किसी असंवैधानिक तरीके के आगे न झुकें. इस आशा के साथ कि भारत का स्वरूप वास्तव में लोकतांत्रिक बना रहे, मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि संविधान के हमारे शाश्वत आदर्श बेदाग रहेंगे.'
aajtak.in