क्या कन्नौज में डिंपल यादव इस बार लगा पाएंगी जीत की हैट्रिक

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की राजनीतिक यात्रा में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं. अपना पहला चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपने व्यवहार से लोगों के दिलों में उतर गईं. फिर पति अखिलेश यादव ने खुद जीती हुई कन्नौज लोक सभा सीट उनके लिए खाली कर दी. संसद में महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाती रही हैं.

Advertisement
अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल ( File) अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल ( File)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल की राजनीतिक यात्रा में काफी उतार-चढ़ाव रहे हैं. अपना पहला चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपने व्यवहार से लोगों के दिलों में उतर गईं. फिर पति अखिलेश यादव ने खुद जीती कन्नौज लोक सभा सीट उनके लिए खाली कर दी. संसद में महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाती रही हैं.

Advertisement

डॉ. राम मनोहर लोहिया को अपना आदर्श मानने वाली डिंपल इस बार कन्नौज से चुनाव लड़ रही हैं. यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश ने कन्नौज सीट छोड़ी तो वहां 2012 में लोकसभा उपचुनाव हुआ. इस सीट पर सपा ने डिंपल यादव को मैदान में उतारा. बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारा. डिंपल निर्विरोध सांसद चुन ली गईं. 2014 में यूपी में मोदी लहर के बावजूद वह कन्नौज सीट बचाने में कामयाब रहीं.

व्यक्तिगत जीवन

15 जनवरी 1978 को पुणे में जन्म. महाराष्ट्र, पंजाब, यूपी जैसे राज्यों में शुरुआती पढ़ाई हुई. लखनऊ यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएट. 1999 में 21 साल की उम्र में अखिलेश यादव से शादी. तीन बच्चे हैं.

राजनीतिक जीवन

  • 2009 में पहली बार सियासी समर में कूदीं, उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन राज बब्बर से हारीं.
  • 2012 में कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गईं, यूपी में यह उपलब्धि पाले वाली पहली महिला सांसद बनीं.
  • 2014 के आम चुनाव में कन्नौज सीट बरकरार रखने में सफल रहीं, 2019 में यहां से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की प्रत्याशी.

6 लोकसभा चुनाव से सपा का कब्जा

Advertisement

बता दें कि कन्नौज सीट पर 1996 में बीजेपी चंद्रभूषण सिंह (मुन्नू बाबू) ने पहली बार कमल खिलाकर भगवा ध्वज फहराया, लेकिन दो साल बाद 1998 के चुनाव में प्रदीप यादव ने बीजेपी से यह सीट छीनी और उसके बाद से लगातार हुए 6 चुनाव से यह सीट सपा की झोली में है. 1999 में सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव जीते, लेकिन उन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया.

इसके बाद अखिलेश यादव ने अपनी सियासी पारी का आगाज कन्नौज संसदीय सीट पर 2000 में हुए उपचुनाव से किया. इसके बाद अखिलेश यादव ने 2004, 2009 में लगातार जीत कर उन्होंने पहली बार हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा, लेकिन 2012 में यूपी के सीएम बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उनकी पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध चुनकर लोकसभा पहुंचीं.

2014 के सियासी नतीजे

सपा की डिंपल यादव को 4,89,164 वोट मिले

बीजेपी के सुब्रत पाठक को 4,69,257 वोट मिले

बसपा के निर्मल तिवारी को 1,27,785 वोट मिले

कन्नौज के पांच में से चार बीजेपी विधायक

कन्नौज संसदीय सीट के तीन जिलों की पांच विधानसभा सीटों से बनी है. इनमें कन्नौज जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र कन्नौज, तिरवा और छिबरामऊ शामिल हैं. इसके अलावा कानपुर देहात की रसूलाबाद और औरेया जिले की बिधूना विधानसभा सीट कन्नौज लोकसभा सीट का हिस्सा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन पांच में से चार सीट पर बीजेपी और महज एक पर सपा जीती थी. सपा ने अपनी एकमात्र सीट भी महज 2400 वोटों से जीती. विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज में बीजेपी ने जबर्दस्त सेंधमारी कर दी है. इतना ही नहीं 2014 के ही लोकसभा चुनाव में डिंपल को जीतने के लिए लोहे के चने चबाने पड़े थे. इसके बाद ही कहीं जाकर वो 19 हजार 907 वोट से जीत हासिल कर पाईं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement