बीच चुनाव में राहुल ने बदले गेम के नियम, क्या चुनाव में मिलेगा फायदा?

लोकसभा चुनाव 2019 आखिरी दौर में है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीच चुनाव में ही अपना कलेवर बदला दिया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे और निजी हमले करने के बजाय राहुल उनके दिल में प्यार जगाने की बात कर रहे हैं. देखना है कि राहुल के इस बदले हुए अंदाज का कांग्रेस को क्या राजनीतिक फायदा मिलेगा?

Advertisement
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-फाइल) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो-फाइल)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2019,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 आखिरी दौर में है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीच चुनाव में ही अपना कलेवर बदल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे और निजी हमले करने के बजाय राहुल गांधी उनके दिल में प्यार जगाने की बात कर रहे हैं. यही नहीं सिख दंगों पर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के द्वारा दिए गए बयान के लिए मांफी मांगने की बात कहते हैं. राहुल के इस बदले हुए अंदाज का कांग्रेस को क्या राजनीतिक फायदा मिलेगा?

Advertisement

इस बार के आमचुनाव में एक दो छत्रपों को छोड़ दें तो पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच सियासी संग्राम सिमटा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर राफेल डील में कथित रूप से भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाते रहे हैं. राहुल अपनी हर रैली में चौकीदार चोर है का नारा दोहराते हैं. इस बयान के अलावा उन्होंने पीएम पर कोई और हमला नहीं किया है.

लोकसभा के छठे चरण के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई को राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को निशाने पर लिया. पीएम मोदी ने राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी बताया और कहा कि उनकी जिंदगी का अंत 'भ्रष्टाचारी नंबर एक' के तौर पर हुआ. मोदी ने ये भी कहा कि राजीव गांधी आईएनएस विराट पर छुट्टियां मनाने जाते थे और इसका इस्तेमाल उन्होंने टैक्सी की तरह किया है.

Advertisement

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा गांधी परिवार पर किए गए हमलों जवाब में राहुल गांधी कहते हैं, 'नरेंद्र मोदी जी नफरत से बात करते हैं, मेरे पिता का अपमान करते हैं, दादी, परदादा के बारे में बोलते हैं, मगर मैं कभी भी जिंदगी भर नरेंद्र मोदी के परिवार के बारे में उनके माता-पिता के बारे में कभी नहीं बोलूंगा. मैं मर जाऊंगा मगर नरेंद्र मोदी जी की मां और पिता का अपमान कभी नहीं करूंगा.'

राहुल ने अपने सभी इंटरव्यूह और जनसभाओं में कह रहे हैं, 'मैं आरएसएस का आदमी नहीं हूं, बीजेपी का आदमी नहीं हूं, कांग्रेस पार्टी का आदमी हूं. वह जितनी नफरत और क्रोध मेरी तरफ फेंकेगे, मैं उनको वापस प्यार दूंगा. झप्पी लेकर प्यार करूंगा. प्यार से हम नरेंद्र मोदी जी को हराएंगे.' वह कहते हैं कि नरेंद्र मोदी अपने अंदर के नरेंद्र मोदी से नफरत करते हैं, लेकिन हम उनमें प्यार डालना चाहते हैं.

सिख दंगों को लेकर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने एक विवादित बयान था. पित्रोदा ने न्यूज एजेंसी से कहा था 'मैं इसके बारे में नहीं सोचता, यह भी एक और झूठ है. 1984 की बारे में अब क्या? आपने पिछले 5 साल में क्या किया. 84 में हुआ तो हुआ. पित्रोदा के इस बयान राहुल गांधी ने कहा, 'पित्रोदा ने 1984 के दंगे पर जो कुछ कहा वह गलत था. मैंने फोन कर उनको कहा कि आपको ऐसी टिप्पणी पर शर्म आनी चाहिए. आपको ऐसी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए. राहुल के बयान के बाद पित्रोदा ने सिख समुदाय से माफी मांगते हुए कहा कि हमारे बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है.

Advertisement

दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बात को बाखूबी समझते हैं कि नरेंद्र मोदी पर जब भी कांग्रेस पार्टी हमलावर होती है तो इसका सियासी फायदा उन्हें मिलने के बजाय बीजेपी को मिला है. 2002 गुजरात दंगे के बाद हुए विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' बताया था. मोदी ने इसी बयान पर गुजरात चुनाव की जंग फतह कर ली थी.

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चाय वाला बताया था. इस बयान को लेकर नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी ने देशभर में अभियान चलाया. बीजेपी को इसका जबरदस्त फायदा मिला. इसी तरह से 2017 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही थी, इसी बीच कांग्रेस नेता मणिशंकर ने मोदी के लिए 'नीच' शब्द का इस्तेमाल किया. इसे लेकर मोदी और बीजेपी दोनों कांग्रेस पर हमलावर हो गए. हालांकि कांग्रेस ने इस बयान के लिए मणिशंकर अय्यर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था, लेकिन कांग्रेस को जो नुकसान होना था वो गया था.

दूध से जली कांग्रेस इस बार के चुनाव में फूंक-फूंककर माठा पी रही है. यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने से बच रहे हैं. राहुल गांधी ने पूरे चुनाव के दौरान चौकीदार चोर है के अलावा कोई दूसरा हमला नहीं किया है. जबकि दूसरी ओर नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता लगातार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले कर रहे हैं. इसके बावजूद राहुल गांधी और उनकी पार्टी सेल्फ डिफेंस के मूड में चुनावी अभियान में नजर आई है. ऐसे में देखना होगा कि राहुल गांधी इस बदले हुए गेम का कांग्रेस को सियासी फायदा मिलेगा.

Advertisement

चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement