लोकसभा चुनाव 2019 के समर में गुजरात की खेड़ा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) प्रत्याशी देबूसिंह चौहान ने कांग्रेस प्रत्याशी बिमल शाह को तीन लाख 67 हजार 135 मतों के अंतर से से हराया. पिछली बार भी चौहान इसी सीट से जीते थे.
2019 का जनादेश
भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी देबूसिंह चौहान को 7 लाख 14 हजार 572 वोट मिले, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी बिमल शाह को तीन लाख 47 हजार 427 वोट मिले. नोटा को मिले 18277 वोटों के साथ वोट प्रतिशत 1.66 फीसदी रहा. वहीं बहुजन समाज पार्टी के भाईलाल पांडव को 7461 मिले.
बता दें कि इस सीट पर तीसरे चरण के तहत 23 अप्रैल को मतदान हुआ था. मतदान का प्रतिशत 60.69 रहा है. सामान्य वर्ग वाली खेड़ा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी व कांग्रेस के बीच है. हालांकि, यहां कुल सात प्रत्याशी मैदान में रहे.
2014 का चुनाव
पिछले चुनाव में इस सीट पर 59.8% मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी प्रत्याशी देवूसिंह चौहान को 5,68,235 वोट (59.35%) और कांग्रेस प्रत्याशी दिनशा पटेल को 335334 (35.03%) वोट मिले थे. यानी देवूसिंह चौहान 2 लाख 32 हजार मतों से जीते थे.
सामाजिक ताना-बाना
खेड़ा में जनसंख्या के लिहाज से क्षत्रियों का वर्चस्व है. हालांकि, लेउवा पटेलों का भी यहां खासा असर है. यहां के लेउवा पटेल बड़े किसान के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. यह पूरा इलाका उद्योगों के साथ कृषि पर भी प्रमुखता से आश्रित है.
खेड़ा लोकसभा क्षेत्र खेड़ा और अहमदाबाद जिले के अंतर्गत आता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, क्षेत्र की आबादी 25,03,828 है. इसमें 61.36% ग्रामीण आबादी और 38.64% शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति की संख्या 6.17%, जबकि अनुसूचित जनजाति बहुत ही कम 1.38% है. खेड़ा जिले में करीब 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
खेड़ा सीट का इतिहास
खेड़ा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ और कांग्रेस के भरत सिंह ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1957 में निर्दलीय उम्मीदवार रतन सिंह ने बाजी मारी. 1962 और 1967 का चुनाव स्वतंत्र पार्टी के नाम रहा और पी.एन सोलंकी ने लगातार दो बार जीत दर्ज की. 1971 में नेशनल कांग्रेस(O), 1971 में कांग्रेस, 1980 और 1984 में भी कांग्रेस का ही जादू चला, लेकिन 1989 में जनता दल ने अपना दम दिखाया और पार्टी के उम्मीदवार सीपीएस हाथिसिंह ने चुनाव जीता.
खेड़ा लोकसभा सीट: क्या बीजेपी के देवू सिंह चौहान इस बार फिर मारेंगे बाजी?
1991 में खुला था बीजेपी का खाता
बीजेपी को इस सीट पर 1991 में पहली बार जीत मिली थी. पार्टी के टिकट पर के.डी जेसवानी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद दिनशा पटेल का जादू चला और वह कांग्रेस के टिकट पर लगातार 1996, 1999 और 2004 के आम चुनाव में जीते. 2009 में सीट का नाम बदलकर खेड़ा हो गया, बाजवूद इसके दिनशा पटेल की जीत का कारवां जारी रहा. लेकिन 2014 की मोदी लहर में वह भी सिमट गए और बीजेपी के देवू सिंह ने उन्हें हरा दिया.
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सीटों में दसक्रोई, नाडियाड, कपडवंज, धोलका, मेहमदाबाद, मातरऔर महुधा शामिल हैं. दसक्रोई और धोलका अहमदाबाद जिले में आते हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि खेड़ा जिले की मातर सीट से बीजेपी, नाडियाड से बीजेपी, मेहमदाबाद से बीजेपी, महुधा से कांग्रेस और कपडवंज से कांग्रेस को जीत मिली थी.
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राहुल झारिया