महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को बारामती के लोगों से अपील की कि वे आगामी राज्य चुनावों में उनका समर्थन करें, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में 'साहब' को खुश किया था, वे अपने चाचा शरद पवार का जिक्र कर रहे थे. एनसीपी नेता ने यह भी दावा किया कि उन्होंने बारामती के लोगों को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है.
इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों में एनसीपी (SP) नेता सुप्रिया सुले, जो पार्टी प्रमुख शरद पवार की बेटी हैं, उन्होंने बारामती संसदीय क्षेत्र से एक हाई-प्रोफाइल मुकाबले में जीत हासिल की. उन्होंने चचेरे भाई अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को पारिवारिक क्षेत्र से हराया. पिछले साल जुलाई में अजित पवार और कई अन्य एनसीपी नेता राज्य में एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल हो गए, जिससे शरद पवार द्वारा बनाई पार्टी में विभाजन हो गया.
भतीजे युगेंद्र पवार से है अजित पवार का मुकाबला
एनसीपी प्रमुख अजित पवार 20 नवंबर को पुणे जिले की बारामती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला उनके भतीजे और एनसीपी (एसपी) उम्मीदवार युगेंद्र पवार से है. 28 अक्टूबर को जब युगेंद्र पवार ने सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया था, तब शरद पवार (83) और सुले उनके साथ थे.
जनता विधानसभा चुनाव में मुझे वोट दे: अजित पवार
रविवार को उपमुख्यमंत्री बारामती तहसील के कई गांवों के दौरे पर थे, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की. सावल गांव में स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, 'अगर सुप्रिया लोकसभा चुनाव हार जातीं, तो साहब (शरद पवार) इस उम्र में कैसा महसूस करते, यह सोचकर कि आपने उन्हें वोट दिया, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में मुझे वोट दें.'
साहब अपने तरीके से काम करेंगे, मैं अपने तरीके से: अजित पवार
उन्होंने कहा, 'आपने लोकसभा चुनाव में साहेब को खुश किया, अब विधानसभा चुनाव में मुझे वोट देकर खुश करें. साहब अपने तरीके से काम करेंगे, मैं अपने तरीके से हमारे तालुका के विकास के लिए काम करूंगा.' दूसरे गांव के दौरे के दौरान डिप्टी सीएम ने कहा कि उन्होंने बारामती के लोगों को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नियमों की अनदेखी की है.
उन्होंने दावा किया, 'मैंने कई नियमों को दरकिनार करके बारामती के लोगों को पानी दिया. हमारी तहसील के कई गांवों में पानी की समस्या गंभीर है, क्योंकि कई लोगों को अभी भी इसके लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. हालांकि, मैंने बारामतीकरों को पानी दिया, जबकि यह नियमों के दायरे में नहीं था. साथ ही, अधिकारियों को भी ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया.'
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