महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी होना बाकी है, लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस पार्टी के लिए राज्य में मुसीबत खड़ी हो गई है. दरअसल, महाराष्ट्र में कांग्रेस से टिकट पाने की इच्छा 1800 से अधिक लोगों ने जाहिर की है, जबकि पार्टी लगभग 100-110 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. टिकट के लिए पूरे राज्य भर से एप्लीकेशन आए हैं, जबकि चुनाव की घोषणा अब तक नहीं हुई है. इस बार विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके से सबसे ज्यादा लोगों ने एप्लीकेशन फाइल किया है.
यह स्थिति कुछ वैसी ही है, जैसी हरियाणा में टिकट बंटवारे से पहले देखने को मिली थी. वहां कांग्रेस को केवल 90 सीटों के लिए 2500 से अधिक एप्लीकेशन मिली थीं. महाराष्ट्र में, आवेदकों को नामांकन के लिए रजिस्टर करना पड़ता है और कुछ पैसे भी जमा कराने होते हैं. एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए 10,000 रुपये और सामान्य उम्मीदवारों के लिए 20,000 रुपये की फी निर्धारित की गई है. कांग्रेस का कहना है कि महाराष्ट्र में एप्लीकेशनों की संख्या हरियाणा से आगे बढ़ सकती है, क्योंकि हर दिन नए एप्लीकेशन आ रहे हैं.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस स्थिति को सकारात्मक बताया है. उनका कहना है कि यह पार्टी को हाल में मिली सफलता का नतीजा है. उन्होंने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का जिक्र किया, जहां महाराष्ट्र में 13 सांसदों के साथ-साथ एक निर्दलीय सांसद का समर्थन पार्टी को मिला है. इस हिसाब से महा विकास अघाड़ी ने 65% विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई है.
पूर्व मंत्री नितिन राउत, जो आवेदकों की स्क्रीनिंग पैनल में शामिल हैं, ने बताया कि अधिकतर एप्लिकेंट विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र से हैं. यहां के दलित, मुस्लिम और मराठा समुदाय कांग्रेस और महा विकास अघाड़ी का समर्थन कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह संख्या दिखाती है कि पार्टी आगामी चुनाव के लिए एक मजबूत विकल्प है. हालांकि, पार्टी नेतृत्व के लिए यह एक चुनौती भी है, क्योंकि उन्हें इतने उम्मीदवारों में से सही प्रत्याशी का चयन करना होगा. यह पार्टी की सफलता में अहम भूमिका निभा सकता है.
हालांकि, हरियाणा में ऐसी ही स्थिति के बाद कांग्रेस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बागी उम्मीदवार निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए हैं, और अधिकांश टिकट भूपिंदर सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले हैं.
राहुल गौतम