पिता की उम्र 63 और बेटा 59 साल का? SIR के वैरिफिकेशन में सामने आया बांग्लादेश कनेक्शन

पूर्व बर्दवान के शीतलग्राम में 2025 की मतदाता सूची के वैरिफिकेशन के दौरान एक चौंकाने वाली लॉजिकल मिस्टेक सामने आई है. बूथ संख्या 175 में एक व्यक्ति की उम्र उनके बेटों से महज पांच साल बड़ी दिखाई गई है, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया. जांच में अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों की परतें खुलीं, जिस पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं.

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पिता की उम्र 63 और बेटा 59 साल का? SIR वैरिफिकेशन में खुला राज (Photo: ITG) पिता की उम्र 63 और बेटा 59 साल का? SIR वैरिफिकेशन में खुला राज (Photo: ITG)

सुजाता मेहरा

  • बर्दवान,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST

पश्चिम बंगाल में पूर्व बर्दवान जिले के शीतलग्राम इलाके में 2025 की मतदाता सूची ने प्रशासन को असहज कर दिया है. बूथ संख्या 175 की आधिकारिक सूची में दर्ज एक प्रविष्टि ऐसी है, जिसने न सिर्फ चुनाव अधिकारियों को चौंकाया बल्कि व्यापक प्रशासनिक जांच का रास्ता भी खोल दिया. सूची के अनुसार सरोज माझी की उम्र 63 वर्ष दर्ज है, जबकि उनके कथित दो बेटों- लक्ष्मी माझी (59) और सागर माझी (58) से उनकी उम्र का अंतर महज पांच साल बताया गया है. यह बायलॉजिकली इंपॉसिबल स्थिति सामने आने के बाद मामले की गहन जांच शुरू की गई.

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यह गड़बड़ी एसआईआर (SIR) एन्यूमरेशन फॉर्म के सत्यापन के दौरान पाई गई, जांच आगे बढ़ी तो एक गंभीर कहानी सामने आई. अधिकारियों के अनुसार लक्ष्मी और सागर सरोज माझी के जैविक पुत्र नहीं हैं. बताया गया कि दोनों भाई करीब 22 वर्ष पहले अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में दाखिल हुए थे. शुरुआत में वे मुर्शिदाबाद में रुके और फिर 2006 में मंगलकॉट पहुंचकर कृषि मजदूर के रूप में काम करने लगे.

लक्ष्मी की पत्नी राजश्री माझी ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि पहचान पत्र हासिल करने के लिए सरोज माझी को उनका पिता दिखाया गया. भावुक अपील में उन्होंने कहा, 'हमें मार दीजिए, लेकिन बांग्लादेश वापस मत भेजिए.'इस बयान ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है.

उधर,फर्जी पिता बताए जा रहे सरोज माझी ने भी दूरी बना ली है. उनका कहना है कि लक्ष्मी और सागर उनके बेटे नहीं हैं और उनके अपने बच्चे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि 2006 में स्थानीय राजनीतिक नेताओं के दबाव में उन्हें ऐसा करने को कहा गया था ताकि दोनों के नाम मतदाता सूची में जुड़ सकें.

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राजनीतिक स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय नेताओं ने पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार पर मतदाता बैंक बढ़ाने के लिए लापरवाही से पंजीकरण कराने का आरोप लगाया. वहीं, सीपीआई(एम) ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उस समय फॉर्म स्थानीय स्तर पर भरे जाते थे और किसी भी गलती की जिम्मेदारी तत्कालीन चुनाव अधिकारियों की थी. भाजपा ने दोनों दलों पर निशाना साधते हुए इसे वर्षों से जारी 'वोट-बैंक राजनीति' का नतीजा बताया.

जिला प्रशासन ने इसे क्लीयर लॉजिकल मिस्टेक करार दिया है. दोनों भाइयों को औपचारिक सुनवाई के लिए तलब किया गया है. अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि वे नागरिकता और वैध वंशावली का प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए, तो उनके वोटर कार्ड रद्द किए जा सकते हैं और चुनाव आयोग के कानूनों के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी.
 

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