दिल्ली विधानसभा चुनाव: कैसे कांग्रेस के लिए अकेले योद्धा बनकर उभरे संदीप दीक्षित?

आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को तेज कर दिया है. वहीं दिल्ली की दिवंगत सीएम शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित इस बार राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस के सबसे बड़े योद्धा के रूप में उभरे हैं. मीडिया में तीखे बयानों के साथ चुनावी माहौल बनाने से लेकर एलजी वीके सक्सेना से निजी जासूसी की शिकायत करने तक, संदीप हर जगह नजर आ रहे हैं.

Advertisement
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित (फाइल फोटो) कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित (फाइल फोटो)

राहुल गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दल अपने-अपने गढ़ को व्यवस्थित करने में जुट गए हैं. आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने चुनाव प्रचार अभियान को तेज कर दिया है. वहीं दिल्ली की दिवंगत सीएम शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित इस बार राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस के सबसे बड़े योद्धा के रूप में उभरे हैं. मीडिया में तीखे बयानों के साथ चुनावी माहौल बनाने से लेकर एलजी वीके सक्सेना से निजी जासूसी की शिकायत करने तक, संदीप हर जगह नजर आ रहे हैं.

Advertisement

इसका नतीजा यह हुआ है कि पिछले विधानसभा चुनाव में 5 प्रतिशत से भी कम वोट शेयर और शून्य सीटें पाने वाली पार्टी लगातार टीवी पर अपनी मौजूदगी और सार्वजनिक चर्चा में जगह बढ़ा रही है. 

दिलचस्प बात यह है कि संदीप दीक्षित को दिल्ली से लोकसभा टिकट मिलने की उम्मीद थी और उन्होंने अपने समर्थकों को चुनाव की तैयारी के लिए सक्रिय कर दिया था. हालांकि, टिकट से वंचित होने के बाद, उनके समर्थक अब 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए मैदान में हैं, इसलिए एक तरह से उन्हें पहले कदम उठाने का फायदा है.

केजरीवाल से है संदीप दीक्षित का मुकाबला

यह उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक महीने से अधिक समय तक चली दिल्ली न्याय यात्रा में भाग नहीं लिया और उन्होंने अभी तक दिल्ली में अभियान की शुरुआत नहीं की है. दिल्ली कांग्रेस द्वारा अभी तक किसी बड़े जनसंपर्क कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, संदीप दीक्षित पहले से ही अपने नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में डोर-टू-डोर प्रचार कर रहे हैं, जहां उनका मुकाबला आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल से है. 

Advertisement

आजतक से बात करते हुए संदीप दीक्षित ने कहा कि उनका अपने निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहने का कोई इरादा नहीं है और कई पार्टी उम्मीदवारों ने उनसे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भी प्रचार करने के लिए संपर्क किया है. कई लोगों का मानना ​​है कि इससे कांग्रेस को सत्तारूढ़ आप के गढ़ों, खासकर अल्पसंख्यकों और दलितों के इलाकों में पैठ बनाने में भी मदद मिल सकती है. हालांकि, संदीप दीक्षित का कांग्रेस के डेविड के रूप में आप के गोलियत से मुकाबला करना महज परिस्थितियों के कारण हुआ है.

2013 में जब से पार्टी सत्ता से बाहर हुई है, तब से दिल्ली कांग्रेस के कई शक्तिशाली नेता पार्टी से दूर होते जा रहे हैं. उदाहरण के लिए, अरविंदर सिंह लवली, राजकुमार चौहान और परलाद सिंह साहनी जैसे नेता प्रतिद्वंद्वी पार्टियों में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा, शीला दीक्षित के कुछ करीबी सहयोगी जैसे पूर्व मंत्री एके वालिया और पूर्व स्पीकर चौधरी प्रेम सिंह का निधन हो चुका है.

पुराने नेता पार्टी से गायब!

पिछले दशक में इस पुरानी पार्टी ने दिल्ली इकाई को बनाए रखने का प्रयास किया, लेकिन अनिल भारद्वाज, लवली और सुभाष चोपड़ा जैसे राज्य प्रमुखों के नेतृत्व में यह लगातार खिसकती रही. इस शून्यता ने दिल्ली कांग्रेस को दो अखिल दिल्ली के चेहरों - अजय माकन और संदीप दीक्षित पर निर्भर कर दिया. लेकिन माकन भी ज्यादातर समय AICC कोषाध्यक्ष पद पर ही व्यस्त रहते हैं और शायद दिल्ली की राजनीति के प्रति उनका कोई खास झुकाव नहीं है. इन परिस्थितियों ने संदीप दीक्षित को कांग्रेस का चेहरा बना दिया, ऐसे समय में जब AAP नेतृत्व के मुद्दों और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है.

Advertisement

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से अधिक लाभ उठाने के प्रयास में कांग्रेस ने केजरीवाल के निर्वाचन क्षेत्र नई दिल्ली से संदीप दीक्षित के नाम का प्रस्ताव रखा, जहां आप नेता ने 2013 के विधानसभा चुनावों में शीला दीक्षित को हराया था.

शीला दीक्षित, संदीप और दिल्ली के बीच एक रिश्ता

कई लोगों का मानना ​​है कि संदीप दीक्षित दिल्ली के मतदाताओं के बीच ज़्यादा लोकप्रिय हैं, क्योंकि शीला दीक्षित ने 15 साल तक लगातार शासन किया. हाल ही में, संदीप ने बताया कि कैसे उनकी मां को सरकारी सुविधाओं का गलत इस्तेमाल करने के लिए बदनाम किया गया, जबकि वह मुख्यमंत्री थीं, जबकि केजरीवाल ने कथित तौर पर अपने सरकारी आवास पर करोड़ों खर्च किए थे.

पूर्वी दिल्ली से दो बार लोकसभा सांसद होने के कारण संदीप को अपना और अपनी मां के साथ मिलकर काम करने वालों का समर्थन प्राप्त है. दिल्ली चुनाव को अपनी मां की विरासत और शासन से संबंधित एक निजी मामला बनाकर संदीप आप और केजरीवाल पर जोरदार हमला कर रहे हैं. हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन ने संदीप दीक्षित का एक क्लिप साझा करते हुए कहा कि केजरीवाल ने 2013 में राजनीतिक लाभ के लिए शीला दीक्षित पर हमला करते हुए अपनी सीमा लांघी थी. 

Advertisement

मां शीला दीक्षित के विकास कार्यों की मदद ले रहे संदीप

दीक्षित परिवार के करीबी लोगों ने कहा कि शीला दीक्षित शासन का पूरा समर्थन आधार अब उन्हें कांग्रेस अभियान की कमान संभालने और अरविंद केजरीवाल के एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरने में पूरी तरह से समर्थन दे रहा है. भाजपा का आक्रामक अभियान कि केजरीवाल के शासन में कुछ भी ज्यादा नहीं बदला है, संदीप के इस कथन में भी मदद कर रहा है कि शीला के शासन में दिल्ली में विकास की लहर देखी गई.

जब दिल्ली कांग्रेस अभी भी गारंटी का मसौदा तैयार कर रही है और चुनाव कार्यक्रमों को अंतिम रूप दे रही है, वहीं संदीप दीक्षित पहले से ही अपनी भूमिका में हैं. वह पहले से ही चुनावी माहौल तैयार कर रहे हैं क्योंकि वह दिल्ली के चुनावी मुद्दों और जनसांख्यिकी को अपनी पार्टी के कई लोगों से बेहतर जानते हैं, क्योंकि वह दो बार लोकसभा में पूर्वी दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और अपनी मां के 15 साल के शासन और आप के उदय को करीब से देख चुके हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement