एक टीचर ऐसा भी, लॉकडाउन में नेटवर्क आड़े आया तो पेड़ पर चढ़कर ली क्लास

लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम हो या ऑनलाइन क्लास, हर किसी के सामने कुछ न कुछ समस्या है, लेकिन वहीं सुब्रत जैसे टीचर भी हैं जो हर समस्या से लड़ने का हल खोजने में जुट जाते हैं. आइए जानें- कोलकाता के इस हिस्ट्री टीचर की कहानी.

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पेड़ पर मचान बनाकर क्लास लेते हिस्ट्री टीचर सुब्रत पेड़ पर मचान बनाकर क्लास लेते हिस्ट्री टीचर सुब्रत

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

सुब्रत कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के दो शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाते हैं. वो इन संस्थानों में हिस्ट्री यानी इतिहास विषय के टीचर हैं. बीते मार्च से देश भर में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगा दिया गया. लाॅकडाउन की घोषणा के वक्त सुब्रत पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में अपने गांव अहांदा में थे.

सुब्रत आजकल सोशल मीडिया में काफी चर्चा बटोर रहे हैं. इसके पीछे की कहानी ये है कि वो रोज पेड़ पर चढ़कर स्टूडेंट्स की क्लास लेते हैं. 35 साल के सुब्रत पाती ने एक नीम के पेड़ पर मचान बनाकर उसे अपना क्लासरूम बना लिया है.

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बता दें कि लॉकडाउन के दौरान वो गांव में ही थी. अब उन्हें गांव से ऑनलाइन क्लास लेनी थी लेकिन गांव में नेटवर्क की काफी दिक्कत है. वैसे सुब्रत चाहते तो इस समस्या के सामने घुटने टेक देते और क्लास लेने से मना कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि समस्या का हल निकाला.

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पेड़ पर कैसे डाला डेरा

सुब्रत ने पीटीआई को बताया कि जब उन्होंने पेड़ पर चढ़कर देखा तो फोन में नेटवर्क सही आ रहा था. फिर उन्होंने DIY (Do it Yourself) टेक्नीक अपनाई. गांव में अपने दोस्तों की मदद से सुब्रत ने बांस की खपच्चियों और पुआल को रस्सी से बांधकर एक प्लेटफॉर्म बनाया और उसे घर के पास के एक नीम के पेड़ पर उसकी शाखाओं के बीच फंसाकर रख दिया.

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अब सुब्रत रोज क्लास के टाइम पेड़ की शाखाओं के बीच फंसे लकड़ी के उसी प्लेटफॉर्म पर चढ़कर बैठते हैं और स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लास लेते हैं. उन्हें घंटों वहां बैठकर क्लास लेनी होती है. इसिलए सुब्रत खाना-पानी भी अपने साथ पेड़ पर ही ले जाते हैं.

गर्मी बनी परेशानी

सुब्रत कहते हैं कि 'बढ़ती गर्मी से परेशानी होती है. कई बार शौचालय भी नहीं जा पाता. कभी बारिश भी परेशान करती है. पानी, धूप से बांस का बना प्लेटफॉर्म भी खराब हो जाता है लेकिन मैं उसे फिर से ठीक कर एडजस्ट करने की कोशिश करता हूं.

सुब्रत मुस्कुराते हुए कहते हैं 'मेरी क्लास में बच्चों की अटेंडेंस भी अच्छी रहती है, इससे मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ता है. इसलिए मैं नहीं चाहता कि उनकी पढ़ाई में कोई समस्या आए.

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कोरोना वायरस, लॉकडाउन के बीच इंटरनेट की समस्या से जूझते हुए सुब्रत जिस तरह अपने जज्बे से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होने से बचा रहे हैं, उसके लिए सभी उनकी तारीफ करते हैं. बता दें कि अडामास यूनिवर्सिटी के चांसलर समित रे ने भी कहा कि संस्थान को सुब्रत पाती पर गर्व है.

सुब्रत इस बात का उदाहरण हैं कि कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से किसी भी बाधा को दूर किया जा सकता है. सुब्रत जैसे श‍िक्षक ही आने वाली पीढ़ी के सामने मिसाल रखते हैं कि श‍िक्षक बनने का अर्थ है कड़ी परीक्षा से गुजरना और अपने छात्रों के लिए पूरी तरह समर्पित होना.

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