दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन DUSU ने सरस्वती नदी सभ्यता पर द्वि-दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की. ये राष्ट्रीय संगोष्ठी दो अगस्त को नार्थ कैंपस स्थित कांफ्रेंस सेंटर में संपन्न हुई. संगोष्ठी में सरस्वती नदी और आर्यन थ्योरी पर विशेषज्ञों ने विस्तार से पक्ष रखा. कार्यक्रम में रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने प्राचीन भारतीय इतिहास पर भी अपना पक्ष रखा.
ये संगोष्ठी कुल 5 सत्रों में रही जिसमें अलग-अलग सत्रों में आर्य आक्रमण थ्योरी, इंडो आर्यन थ्योरी, आर्य स्थानांतरण, सेटेलाइट इमेजरी के माध्यम सरस्वती के उद्गम, सरस्वती नदी संबंधी पुरातात्त्विक पक्ष, सरस्वती नदी सभ्यता संबंधी पापुलेशन जेनेटिक्स, लिंग्विस्टिक और स्क्रिप्चरल, भूगर्भशास्त्र आदि के कोणों पर भी विचार हुआ.
प्राचीन इतिहास के तथ्यों के साथ सुधार का व्यापक अभियान शुरू: जीडी बख्शी
कार्यक्रम में रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि हमने अंग्रेजों द्वारा तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए प्राचीन भारतीय इतिहास को तथ्यों के साथ सुधारने का व्यापक अभियान शुरू किया है. दिल्ली विश्वविद्यालय उस अभियान का महत्वपूर्ण पड़ाव है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को आर्य-द्रविड़, उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम से लेकर जाति आदि के आधार पर तोड़ने की बहुत कोशिश की. लेकिन ये कोशिश पूरी तरह झूठ पर आधारित थी.
समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा कि आर्य-द्रविड़ थ्योरी तथा सरस्वती नदी संबंधी कई महत्वपूर्ण तथ्य एवं निष्कर्ष छात्रों को इस संगोष्ठी के माध्यम से प्राप्त हुए. इन विषयों के बारे में छात्रों के मध्य वामपंथियों ने अकादमिक जगत के माध्यम से भ्रम की स्थिति उत्पन्न की, जिसकी वजह से अपनी ही समृद्ध परंपरा और भारतीयता के विचार से कई छात्र दूर हो गए.
किसी भी विवादित पहलू पर छात्रों को सभी पक्षों से परिचित होने का अधिकार है लेकिन उनका ब्रेन वॉश करने के लिए अक्सर एक ही पक्ष से रूबरू कराया गया. अब इस तरह के ट्रेंड को बदलने की जरूरत है जिससे उनका बहुआयामी प्रतिभा विकसित हो सके.
इस कार्यक्रम में वक्ताओं में प्रमुख रूप से डॉ बी के भद्रा, प्रोफेसर वसंत शिंदे, आरएस बिष्ट, डॉ बीके मंजुल, डॉ. ज्ञानेश्वर चौबे, डॉ स्वारकर शर्मा, डॉ कल्याण रमन, मनोगना शास्त्री आदि रहे.
मानसी मिश्रा