मशहूर कन्नड़ रचनाकार कुवेंपू को गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि

कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को कुवेंपू के नाम से जाना जाता था. उनका जन्म 29 दिसंबर, 1904 को हुआ था.

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Kuppali Venkatappa Puttappa Google Doodle Kuppali Venkatappa Puttappa Google Doodle

अनुज कुमार शुक्ला

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

आज गूगल ने कन्नड़ भाषा के कवि कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को याद किया है. आज उनकी 113वीं जयंती है. इस मौके पर गूगल ने Kuppali Venkatappa Puttappa’s 113th Birthday शीर्षक से अपना डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है.

जानें कौन हैं कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा

- कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को कुवेंपू के नाम से जाना जाता था. उनका जन्म 29 दिसंबर, 1904 को हुआ था.

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- वह कन्नड़ लेखक और कवि थे. जिन्होंने कन्नड़ साहित्य को नई उंचाइयों पर पहुंचाया. उन्हें 20वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी गई थी.

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- गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में अपनी लेखनी का जादू बिखरने वाले कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को साहित्य जगत में बेहद प्रसिद्धि कुवेंपू के नाम से ही मिली.

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- कुवेंपू जो कविताएं लिखते थे उसमें वो अपने आस-पास की चीजों में छिपी हुई गहराई और आश्चर्य को कविता में जगह देना पसंद करते थे.

- उन्हें साल 1958 में राष्ट्रकवि के सम्मान से नवाजा गया. इसके बाद उन्हें 1992 में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न का सम्मान दिया.

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- कुवेंपू को रामायण को नए सिरे से व्याख्यायित करने के लिए खास तौर से जाना जाता है.

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- उन्होंने अपनी किताब ‘श्री रामायण दर्शनम’ में रामायण को आधुनिक नजरिये से पेश किया, जिसे काफी पसंद भी किया गया था.

- उन्हें 1988 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था.

- उन्होंने कर्नाटक राज्य गीत ''जय भारत की" भी रचना की थी.

- 89 साल की उम्र में 11 नवंबर 1994 में कुवेंपू ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

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