बिहार के 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों की नहीं बढ़ेगी सैलरी, सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने 10 मई के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार करते हुए ये याचिका खारिज की है.

Advertisement
फाइल फोटो: सुप्रीम कोर्ट फाइल फोटो: सुप्रीम कोर्ट

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

  • कोर्ट ने अपने 10 मई के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार करते हुए ये याचिका खारिज की
  • इस फैसले का असर साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा शिक्षकों के भविष्य पर पड़ेगा
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ये पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी

बिहार के तीन लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है. सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने 10 मई के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार करते हुए ये याचिका खारिज की है.

Advertisement

कहा जा रहा है कि इस फैसले का असर साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा शिक्षकों के भविष्य पर पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि फैसले में कोई गलती नहीं है इसलिए इस पर कोई पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि इसी साल 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार किया था. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की वो याचिका मंजूर कर ली थी जिसमें सरकार ने अपना पूरा पक्ष रखा था. इसके अलावा कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया था. इसके बाद ही शिक्षकों की ओर से रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रिव्यू पिटीशन पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पुराने फैसले में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है.

Advertisement

पटना हाई कोर्ट ने कहा था  

इस मामले में 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. फिर राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई गई.

बिहार सरकार की ये थी दलील

इस पूरे मामले में बिहार सरकार की दलील थी कि इस आदेश से बिहार की सरकार पर अतिरिक्त 9500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. केंद्र सरकार ने भी इस मामले में बिहार सरकार का समर्थन किया था. कोर्ट में केंद्र सरकार ने 36 पन्नों के हलफनामे में कहा था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता. सरकार का तर्क था कि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. यदि इन्हें इस कैटेगरी में लाया गया तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. फिर ये भी कहा जा रहा था कि अगर इनकी मांग मानी गई तो दूसरे राज्यों से भी ऐसे मामले आएंगे.

शिक्षक कर रहे थे समान कार्य- समान वेतन की मांग

Advertisement

बिहार में तकरीबन 3.7 लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है. वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20 से 25 हजार रुपए तक वेतन मिलता है. शिक्षक समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग कर रहे थे. अगर ये मांग पूरी होती तो शिक्षकों का वेतन 35 से 44 हजार रुपए हो सकता था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement