कौन थीं AMU की फाउंडर चांसलर की कमान संभालने वाली बेगम सुल्तान, पीएम मोदी ने किया जिक्र

पीएम मोदी ने AMU में कहा कि अगर महिला शिक्षित होती है, तो पूरी पीढ़ी शिक्षित हो जाती है. इस बीच उन्होंने कभी यूनिवर्सिटी की फाउंडर चांसलर की जिम्मेदारी संभालने वाली बेगम सुल्तान का भी जिक्र किया. आइए जानें बेगम सुल्तान के बारे में.

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Begum Sultan who took command of the Founder Chancellor of AMU Begum Sultan who took command of the Founder Chancellor of AMU

aajtak.in

  • अलीगढ़ ,
  • 22 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

अलीगढ़ मुस्ल‍िम यूनिवर्स‍िटी के शताब्दी समारोह को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया. पीएम मोदी ने AMU में कहा कि अगर महिला शिक्षित होती है, तो पूरी पीढ़ी शिक्षित हो जाती है. इस बीच उन्होंने कभी यूनिवर्सिटी की फाउंडर चांसलर की जिम्मेदारी संभालने वाली बेगम सुल्तान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एएमयू में भी अब 35 फीसदी तक मुस्लिम बेटियां पढ़ रही हैं. इसकी फाउंडर चांसलर की जिम्मेदारी बेगम सुल्तान ने संभाली थी. 

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बेगम सुल्तान का पूरा नाम हज्जाह नवाब डेम सुल्तान जहां बेगम था. उन्हें सरकार अम्मन या सुल्तान जहां के नाम से जाना जाता है. वो भोपाल की एक उल्लेखनीय और प्रगतिशील बेगम रहीं जिन्होंने 1901 से 1926 तक शासन किया.  सुल्तान जहां का जन्म भोपाल में हुआ था. 

एक सुधारक के तौर पर सुल्तान जहां ने भोपाल में कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की. उन्होंने साल 1918 में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत की. अपने शासनकाल में उन्होंने सार्वजनिक शिक्षा, विशेष रूप से महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया. उन्होंने कई तकनीकी संस्थानों और स्कूलों का निर्माण किया और योग्य शिक्षकों की संख्या में वृद्धि की. साल 1920 से मृत्यु तक, सुल्तान जहां अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की संस्थापक चांसलर थीं. आज तक वो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए सेवाएं देने वाली एकमात्र महिला चांसलर हैं. 

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सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सेना, पुलिस, न्यायपालिका और जेलों का विस्तार भी नवाब बेगम ने कराया. उन्होंने कृषि का विस्तार और राज्य में व्यापक सिंचाई और सार्वजनिक स्थानों का निर्माण किया. इसके अलावा, उन्होंने 1922 में एक कार्यकारी और विधान परिषद की स्थापना की जहां नगरपालिकाओं के लिए खुले चुनाव शुरू किए गए. 

1914 में, वह ऑल इंडिया मुस्लिम लेडीज़ एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं. हालांकि, सुल्तान जहां की प्राथमिक विरासत सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में थी, क्योंकि उन्होंने व्यापक टीकाकरण और टीकाकरण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया और जल आपूर्ति और स्वच्छता के मानकों में सुधार किया. एक लेखिका के तौर पर उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं. जिनमें हिदायत उज़-ज़ुजान, सबिल उल-जिन, तंदुरुस्ती (स्वास्थ्य), बच्चों-की-परवरिश, हिदायत तिमादारी, महिस्त-ओ-मोहशीरात किताबें शामिल हैं. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार पाए. 

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