कोचिंग सेंटर्स में 10वीं तक के छात्र की एंट्री बंद, कोटा पर क्या होगा असर? कोचिंग और हॉस्टल संचालकों से जानें

कोचिंग सेंटर्स के लिए सरकार की नई गाइडलाइंस जारी होने के बाद कोचिंग हब कोटा पर भी बड़ा असर पड़ेगा. नीट और जेईई मेन्स जैसी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की बड़ी संख्या कोटा में है. कोटा के कोचिंग और हॉस्टल संचालकों ने नई गाइडलाइंस पर अपना पक्ष रखा है.

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केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी की. केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी की.

चेतन गुर्जर

  • कोटा,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं जिसमें 16 साल से कम उम्र के छात्रों का अब कोचिंग संस्थानों में दाखिला नहीं देने और अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे न करने की हिदायत भी दी गई है. कोचिंग सेंटर नियमो में पहले उल्लंघन के लिए 25 हजार रुपये, दूसरी बार 1 लाख रुपये और तीसरी बार अपराध के लिए रजिस्ट्रेशन केंसिल करने के साथ भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी होने के बाद राजस्थान का कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा से भी इसपर रिएक्शन आने लगे हैं. नीट और जेईई मेन्स जैसी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की बड़ी संख्या कोटा में है. कोचिंग सेंटर्स के लिए सरकार की नई गाइडलाइंस जारी होने के बाद कोटा से रिएक्शन आ रहे हैं. ज्यादातर 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग सेंटर्स में दाखिला देने से मना करने पर खुश नहीं हैं.

राजस्थान के कोटा में हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा कि कोचिंग सेंटर के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन आई है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में एडमिशन नहीं दे सकते, इससे मैं सहमत नहीं हूं, 16 वर्ष की उम्र बच्चों की सीखने की उम्र होती है जहां बच्चा कुछ सीखना चाहता है. आईआईटी और मेडिकल का उसको बहुत ज्यादा फायदा मिलता है.

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उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को इस बारे में जरूर एक मंथन करना चाहिए और जितने भी बच्चे 16 वर्ष से कम उम्र के 9वीं और 10वीं में पढ़ रहे हैं, उनके अभिभावकों से भी चर्चा करनी चाहिए, और चर्चा करके ही इस नियम को दोबारा लागू करना चाहिए, नहीं तो जो बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे. उन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से उनकी उम्र के बंधन से जिस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, उसकी तैयारी नहीं कर पाएंगे, इससे उनके दिमाग पर भी प्रेशर रहेगा. नवीन मित्तल ने आगे कहा कि मेरा यही मानना है कि सरकार को इस 16 वर्ष की आयु से कम बच्चों को कोचिंग में प्रवेश नहीं देने के फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए और उसके बाद ही कुछ अगला स्टेप उठाना चाहिए.

 

वहीं कोटा में मोशन एजुकेशन कोचिंग सेंटर के फाउंडर और सीईओ नितिन विजय ने नई गाइडलाइंस पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोचिंग को लेकर राज्य सरकार की गाइडलाइन पहले ही आ चुकी है. हम उसे फॉलो कर रहे हैं, नई गाइडलाइन में ज्यादातर वही बातें हैं और 70 से 80 फीसदी गाइडलाइन का हम पालना कर रहे हैं. जहां तक 16 साल से छोटे बच्चों की कोचिंग पर रोक की बात है, इससे हम सहमत नहीं हैं. जो बच्चे स्कूली शिक्षा में कमजोर पड़ रहे हैं, उनके लिए कोई सपोर्ट सिस्टम तो जरूरी है. वैसे हम पहले भी हर गाइडलाइन का स्वागत करते आ रहे हैं, उसे फॉलो कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि हमारी पहचान अच्छी शिक्षा की वजह से ही है, हमारा अस्तित्व ही बच्चों की वजह से है. हम उनकी और अभिभावकों की जरूरतों को बेहतर समझते हैं. इसलिए ऐसी गाइडलाइन बनाने से पहले हमारी बात भी सुनी जानी चाहिए. 

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