UP 69000 Teacher Recruitment: शिक्षक अभ्यर्थियों ने किया CM आवास का घेराव, लगाए नारे

उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अभ्यर्थ‍ियों का कहना है कि छह साल बीत जाने के बाद भी अभी तक 6800 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली है. 

Advertisement
UP 69000 Teachers Recruitment aspirants protest UP 69000 Teachers Recruitment aspirants protest

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ ,
  • 22 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

UP 69000 Teacher Recruitment: 69000 श‍िक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास 5 कालीदास मार्ग पर घेराव कर प्रदर्शन किया. अभ्यर्थी 6800 पदों पर नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. अभ्यर्थ‍ियों ने 'केशव चाचा मस्त हैं, पिछड़े दलित पस्त हैं' के नारों से अपना गुस्सा जाहिर किया. 

मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने अभ्यर्थ‍ियों को समझा-बुझाकर वापस भेजने की कोश‍िश की. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अभ्यर्थ‍ियों का कहना है कि छह साल बीत जाने के बाद भी अभी तक 6800 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली है. 

Advertisement

क्या है UP 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण का बवाल
उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. अभ्यर्थी, भर्ती में आरक्षण को लेकर घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं, जबकि विभाग इसे सही ठहराने के लिए तर्क भी देता रहा है. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि जारी की गई प्रास्तवित सूची में अभ्यर्थियों के वेटेज, कैटेगरी-सब कैटेगी की जानकारी नहीं दी गई थी.

OBC को 27% की जगह 3.86% ही आरक्षण दिया गया था.हालांकि, विभाग से असफल अभ्यर्थियों द्वारा भ्रम फैलाने का मुद्दा कहा गया. बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सहायक शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट फिर बनाने के निर्देश भी दिए थे.

इस मामले को लेकर अभ्यर्थी लगातार बवाल कर रहे हैं. अभ्यर्थी इस मांग को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी मिले थे. उन्होंने इस बारे में ट्वीट करके अपना समर्थन जाहिर करते हुए कहा था कि यूपी का 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाला भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता का सबूत है. 

Advertisement

बेसिक शिक्षा नियमावली, 1981 और आरक्षण नियमावली, 1994 को ताक पर रख कर भाजपा सरकार ने दलितों और पिछड़ों का हक़ उनसे छीन लिया. पीड़ित छात्र मुझसे मिले और बताया कि इस भर्ती में OBC वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला और SC वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला. 

यह अनियमितता लगभग 19 हज़ार पदों से जुड़ी है और मूल सूची न बनाना इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में लाता है. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद जिन 6,800 अभ्यर्थियों की लिस्ट निकाली गई, वह भी दो वर्षों से नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आरक्षण प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ एक गंभीर विषय है. अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे इन युवाओं को मेरा समर्थन है, इस पूरे मामले की जांच हो और इन्हें न्याय मिले. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement