जमीयत ओपन स्कूल की फंडिंग पर उठे सवाल, NCPCR ने मांगी रिपोर्ट

एनसीपीसीआर ने NIOS को इस कोलेबरेशन से अलग होकर ऐसे कोर्स बंद करने की सलाह दी है. साथ ही उन छात्रों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ओपन स्कूल (Jamiat Ulama-E-Hind Open school) में औपचारिक स्कूली शिक्षा में दाखिला देने को कहा है. 

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

अमित भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए जमीयत ओपन स्कूल शुरू किया है. इन मदरसा स्कूलों की पढ़ाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) की तर्ज होगी. जमीयत ओपन स्कूलों की शिक्षा NIOS के तहत ही दी जा रही है. अब इसे लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) को पत्र लिखकर संस्थान के साथ साझेदारी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा चलाए जा रहे ओपन स्कूल की डिटेल्स मांगी है

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'शिक्षा का अधिकार एक्ट' का उल्लंघन

एनसीपीसीआर ने NIOS को उन ऐसे कोर्स बंद करने की सलाह दी है और उन छात्रों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ओपन स्कूल (Jamiat Ulama-E-Hind Open school) में औपचारिक स्कूली शिक्षा में दाखिला देने को कहा है. NCPCR ने शिक्षा का अधिकार (Right to Education) अधिनियम का उल्लेख किया और तर्क दिया कि कक्षा 3, 5 और 8 के लिए ओपन स्कूली शिक्षा देना अधिनियम का उल्लंघन है. आयोग ने कहा कि देश में 15 लाख स्कूल हैं और सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए पर्याप्त स्कूल स्थापित किए हैं.

एनसीपीसीआर ने पूछा, “प्रारंभिक स्तर के लिए ओपन स्कूलिंग के माध्यम से शिक्षा की पेशकश की क्या जरूरत है.” इसलिए एनआईओएस को निर्देश दिया है कि एनआईओएस इन पाठ्यक्रमों को तुरंत बंद कर देगा और इन बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा में नामांकित करने के लिए कदम उठाए.'

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NIOS और जमीयत उलेमा-ए-हिंद कोलेबरेशन पर कार्रवाई की मांग

आयोग द्वारा जारी नोटिस में, 'सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा एल 3 (एल) ओ के तहत, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के सहयोग से जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा चलाए जा रहे ओपन स्कूल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करने वाली शिकायत का संज्ञान लिया है. आयोग ने विवरणों की आगे जांच की और पाया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मदरसा छात्रों के लिए एनआईओएस की तर्ज पर जमीयत ओपन स्कूल की स्थापना की है, जो उन्हें 'मुख्यधारा' की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाता है.'

NCPCR ने डिटेल्स पर एक रिपोर्ट मांगी

शिकायत के बाद, NCPCR ने NIOS से और जमीयत उलेमा-ए-हिंद या जमीयत एजुकेशन फाउंडेशन या जमीयत ओपन स्कूल के बीच किसी भी प्रकार के समझौते के डिटेल्स पर एक रिपोर्ट मांगी है. इसने एनआईओएस और जमीयत ओपन स्कूल के बीच प्रति छात्र शुल्क हिस्सेदारी के बारे में भी पूछा.

 फंडिंग पर उठाए सवाल

आयोग ने कहा, 'यह भी देखा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद कथित तौर पर एनआईओएस के सहयोग से स्थापित ओपन स्कूलिंग प्रणाली के आधार पर यूनाइटेड किंगडम में भारी धन जुटा रहा है और पाकिस्तान जैसे देशों में गतिविधियां चला रहा है. एनआईओएस की फीस स्ट्रक्चर के अनुसार, फंडिंग बच्चों की ओपन स्कूलिंग पर होने वाले खर्च से कहीं अधिक है.' बाल अधिकार आयोग ने यह भी पूछा कि इस तरह की फंडिंग में एनआईओएस की हिस्सेदारी क्या है?

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बता दें कि जमीयत उलमा हिंद के महासचिव महमूद मदनी ने जमीयत ओपन स्कूलिंग की घोषणा की थी और प्रशिक्षण के लिए मदरसे के शिक्षकों को पुणे भेजा था. देशभर में पहले चरण में 50 हजार मदरसा छात्रों को इस पहल के जरिये आधुनिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा था. मदरसा छात्रा 10वीं कक्षा की परीक्षा एनआईओएस के माध्यम से दी जा रही है.

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