प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर पैरेंट्स का पलटवार, LG और सीएम को ल‍िखा पत्र, रखी ये मांगें

पैरेंट्स का आरोप है कि कई स्कूलों ने एजुकेशन डिपार्टमेंट की मंजूरी के बिना ही 2024-25 और 2025-26 की फीस बढ़ा दी. अब ये एक्स्ट्रा फीस ब्याज समेत वापस ली जाए. इसे लेकर पेरेंट्स ऐसोस‍िएशन ने उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र ल‍िखकर अपनी मांगें रखी हैं.

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आज दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली CM और lg को पत्र लिखकर चार मांगे मांगी (Representational Photo: PTI) आज दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली CM और lg को पत्र लिखकर चार मांगे मांगी (Representational Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 06 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार को प्राइवेट स्कूल फीस में मनमानी बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए बिल की घोषणा पर धन्यवाद दिया है. वहीं फीस बढ़ोत्तरी को लेकर दिल्ली के लाखों पैरेंट्स का गुस्सा अब ज़ुबान पर है. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने मंगलवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद को चिट्ठी लिखकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ चार बड़ी मांगे रखीं हैं. 

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क्या हैं पैरेंट्स की चार बड़ी मांगें?

पेरेंट्स एसोस‍िएशन ने मांग की है कि बिना इजाज़त बढ़ी फीस वापस हो. साथ ही पेरेंट्स का आरोप है कि कई स्कूलों ने एजुकेशन डिपार्टमेंट की मंजूरी के बिना ही 2024-25 और 2025-26 की फीस बढ़ा दी. अब ये एक्स्ट्रा फीस ब्याज समेत वापस ली जाए. 

PTA में पारदर्शिता और शिक्षा बिल का ड्राफ्ट पब्लिक हो

मौजूदा PTA को भंग करके नया, सही तरीके से चुना गया PTA बनाया जाए. आरोप है कि स्कूल गूगल फॉर्म से चुनाव करके मनपसंद लोग बिठा देते हैं. सरकार ने 'Delhi School Education Transparency in Fixation and Regulation of Fees Bill 2025' लाने की बात की थी. पैरेंट्स चाहते हैं कि इसका ड्राफ्ट सार्वजनिक हो ताकि सब अपना पक्ष रख सकें. 

बच्चों के नाम काटने पर रोक लगे 

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द‍िल्ली पेरेंट्स एसोस‍िएशना की अध्यक्ष अपराजिता गौतम का कहना है‍ कि फीस विवाद के कारण बच्चों को क्लास से बाहर निकालने जैसी तानाशाही को लेकर भी हमने सरकार से मांग की है. इन बच्चों को ग्रुप से हटाने या खेलों से रोकने जैसी मानसिक प्रताड़ना बंद हो और सरकार इस पर सख़्त आदेश जारी करे.

कहां अटका मामला?

पैरेंट्स का कहना है कि सरकार ने 29 अप्रैल को जिस फीस बिल की घोषणा की थी, वो अब तक लागू नहीं हुआ और न ही कोई एक्शन दिखा है. ऐसे में स्कूल अपनी मर्ज़ी से फीस बढ़ा रहे हैं और अगर पैरेंट्स विरोध करें तो बच्चों को टारगेट किया जाता है. एसोसिएशन का कहना है कि ये सिर्फ फीस का नहीं, ट्रांसपेरेंसी और बच्चों की मानसिक सेहत का मुद्दा है. विकसित दिल्ली तभी बनेगी जब स्कूलों में जवाबदेही होगी. 

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