दिन में प्रोफेसर, रात में कुली बनता है ये शख्स? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

ये दुनिया अजब गजब रंगों से भरी हुई है. यहां दुखी करने वाले स्याह रंग हैं तो मुस्कुराहटें बिखेरने वाले चटख रंगों की भी कमी नहीं है. ओड‍िशा का ये शख्स अपने प्रयास से कुछ ऐसा ही काम कर रहा है जो तमाम मलीन चेहरों पर चटख रंगों की खुश‍ियां बिखेर सके. जानिए पूरी कहानी.

Advertisement
प्रो. योगेश पात्रा (Image: aajtak.in) प्रो. योगेश पात्रा (Image: aajtak.in)

इंद्रजीत कुंडू

  • ओड़‍िशा ,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

पेशे से निजी कॉलेज में प्रोफेसर योगेश पात्रा रात में लाल यूनिफॉर्म में रेलवे स्टेशन पर लोगों का सामान ढोते हैं. इसके पीछे की वजह अकूत धन कमाना नहीं बल्कि सैकड़ों बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का उनका सपना है. सिर्फ इसीलिए वो रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर यात्रियों की नियमित रूप से सामान उठाते हैं. प्रो पात्रा ने अपने अथक प्रयास और मेहनत से गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारने का बीड़ा उठा रखा है. 

Advertisement

यह कहानी ओडिशा के गंजाम जिले के योगेश पात्रा की है. पात्रा ने अपनी मातृभाषा ओडिया विषय से स्नातकोत्तर किया है. वह जिले के एक निजी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हैं. साथ ही पात्रा अपने स्थानीय इलाके में गरीब बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग चलाते हैं. जहां उन्होंने कई शिक्षकों को नियुक्त किया है. 31 वर्षीय पात्रा दिन में निजी कॉलेज में प्रोफेसर बनकर बच्चों को पढ़ाते हैं तो वहीं रात में वह रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर यात्रियों का सामान उठाते हैं. इसके बाद पात्रा अपनी कमाई के पैसों को कोचिंग में शिक्षकों को मासिक वेतन स्वरूप देते हैं. 
 

 2011 से कर रहे कुली का काम 

aajtak.in से बातचीत में पात्रा ने बताया कि मैं एक पंजीकृत कुली हूं और 2011 से यात्रियों का सामान उठा रहा हूं. लॉकडाउन के समय में ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान ठप होने के बाद हमारी कमाई रुक गई. आर्थिक तंगी के बाद भी मैंने घर बैठने के अलावा गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के बारे में सोचा और शुरु हो गया. मैं सालों से 10वीं कक्षा के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की है. अब मैं एक कोचिंग चलाता हूं जहां कक्षा 8वीं से 12वीं तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है. साथ ही कोचिंग को नियमित रुप से चलाने के लिए मैंने चार शिक्षकों को नियुक्त किया है जो कि बच्चों को अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं. 

Advertisement

गेस्ट लेक्चरर का करते हैं काम 

पात्रा ने विस्तार से बताया कि इन दिनों मैं जिले के एक निजी कॉलेज में गेस्ट के रुप में बतौर प्रोफेसर नियुक्त किया गया हूं. कॉलेज से पर्याप्त पैसा नहीं मिलने के कारण मैं दिन में अपना समय कॉलेज को देता हूं और रात में कुली बनकर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का सामान उठाता हूं. इससे मुझे अपने परिवार और कोचिंग के चलाने में आसानी होती है. 

पात्रा ने बताया कि मैं बतौर कुली महीने में करीब 10 हजार से 12 हजार तक की कमाई करता हूं. जहां मैं अपना अधिकांश कमाई का पैसा शिक्षकों को वेतन स्वरूप देता हूं. मैं अपने कोचिंग के लिए प्रत्येक शिक्षक को 2000-3000 रुपया मासिक वेतन प्रदान करता हूं. पात्रा ने कहा कि कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर के रूप में मुझे प्रत्येक कक्षा के लिए 200 रुपया मिलता है. कॉलेज में मैं सप्ताह में सर्वाधिक सात कक्षा का संचालन कर सकता हूं. 

पात्रा ने कहा कि मैं अपने माता-पिता के साथ रहता हूं और मुझे गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना पसंद है और इसे आगे बरकरार रखूंगा. मैंने अपने अथक प्रयास और मेहनत से गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारने का बीड़ा उठाया है. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement