मुंबई विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई कर रहे करीब 15000 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. बुधवार को लेबर लॉ एंड इंडस्ट्रियल रिलेशन सब्जेक्ट के एग्जाम का पेपर देखकर हैरान रह गए क्योंकि पेपर में आए सवाल उनके सिलेबस के बाहर से थे. इसके बाद महाराष्ट्र के तीन-वर्षीय पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के कानून के 15,000 से अधिक छात्रों को अब फेल होने का डर सता रहा है.
क्या है मामला?
दरअसल, 17 जनवरी को मुंबई यूनिवर्सिटी में लॉ फर्स्ट ईयर का एग्जाम चल रहा था. छात्रों को जब पेपर दिया गया तो उसमें दिए प्रश्न उनके पढ़े सिलेबस के नहीं थे. बाद में पता चला कि प्रश्न पत्र पिछले सिलेबस के आधार पर बनाया गया है, जबकि छात्रों को अपने लिए नए पाठ्यक्रम से तैयारी करने के लिए कहा गया था. पहले सेमेस्टर में श्रम कानून और औद्योगिक संबंध- I विषय के पेपर के पहले दिन 50% से अधिक प्रश्न उनके नए पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं थे. छात्र आधा पेपर हल नहीं कर पाए.
एक छात्र ने गुमनाम रूप से कहा, "सबसे पहले उनके पास हमें पोर्टून सिखाने के लिए मुश्किल से ही समय था और बाद में हमें छह महीने की स्टडी मैटेरियल की तैयारी के लिए केवल एक महीने का समय दिया गया. किताबें भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. उनकी ओर से बहुत बड़ी गड़बड़ी हुई है क्योंकि जो कुछ भी पूछा गया था वो कुछ ऐसा था जिसके लिए हमने तैयारी नहीं की थी क्योंकि यह सब पुराने सिलेबस से आया था. लॉ ऑफ टॉर्ट्स परीक्षा भी 19 तारीख को निर्धारित की गई थी लेकिन अब मुंबई यूनिवर्सिटी के नए सर्कुलर के अनुसार इसे 22 जनवरी को आयोजित किया जाएगा. स्टूडेंट्स एग्जाम में फेल हो जाएंगे, वे लास्ट मिनट में इस तरह से बदलाव नहीं कर सकते."
परीक्षा से ठीक पहले बदला पेपर का सब्जेक्ट
एक छात्र ने लेबर लॉ परीक्षा से पहले शिक्षक से इसकी पुष्टि भी की थी और उसे नए भाग का अध्ययन करने के लिए कहा गया था, लेकिन 25% तो पूछा ही नहीं गया और शेष 75% पुरानी अध्ययन सामग्री से था. और कल शाम 5 बजे जो सर्कुलर दिया गया कि अगला पेपर लॉ ऑफ टॉर्ट्स नहीं बल्कि कॉन्टैक्ट एक्ट है, उससे भी छात्रों पर अंतिम समय में दबाव बनेगा.
यूनिवर्सिटी ने दिलाया जांच का भरोसा
मुंबई विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "कुछ छात्रों ने हमसे शिकायत की कि उन्हें नए के बजाय पुराना पेपर मिला, जिसमें अद्यतन पाठ्यक्रम है. हम इसकी पूरी जांच करेंगे और इस पर गौर करेंगे. निष्कर्षों के आधार पर, निर्णय छात्रों और कॉलेजों को सूचित किया जाएगा."
देव अमीश कोटक