Google Doodle Today: पैरालंपिक गेम्‍स के जनक सर लुडविग गुट्टमन का जन्‍मदिन मना रहा है गूगल डूडल

Sir Ludwig Guttmann, Google Doodle Today: नाज़ीवाद के उदय के दौरान जर्मनी में यहूदी होना एक अभिशाप से भी अधिक था. ऐसे में, 1933 में उन्हें देश में मेडिकल की प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अपने जीवन को दांव पर लगाकर, वह देश से भागने में सफल रहे और 1939 में उन्‍होंने इंग्लैंड में सुरक्षित आश्रय पाया.

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Sir Ludwig Guttmann Google Doodle: Sir Ludwig Guttmann Google Doodle:

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 03 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST
  • सर गुट्टमन का जन्‍म 1899 में हुआ था
  • उन्‍होंने जर्मनी से निकलकर इंग्‍लैंड में शरण ली

Sir Ludwig Guttmann, Google Doodle Today: आज, 03 जुलाई के दिन गूगल अपने डूडल के माध्‍यम से सर लुडविग गुट्टमन का जन्‍मदिन मना रहा है. पैरालंपिक खेलों के संस्थापक के रूप में जाने जाने वाले गुट्टमन को उनके 122वें जन्मदिन पर याद करने के लिए खास डूडल बनाया गया है. आज के डूडल को बाल्‍टीमोर में रहने वाले गेस्‍ट आर्टिस्‍ट आशांति फ़ोर्टसन ने डिज़ाइन किया है. डूडल में सर गुट्टमन को ठीक बीच में और उसके चारों ओर खींचे गए पैरालंपिक खेलों के कई शॉट्स को दिखाया गया है.

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लुडविग गुट्टमन उर्फ ​​'पोप्पा' का जन्म 03 जुलाई 1899 को टोस्ट (अब पोलैंड का टोस्ज़ेक) नामक स्थान पर हुआ था. वह आगे चलकर एक प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट बने गए, जिनके रीढ़ की हड्डी की चोटों और न्यूरोसर्जिकल वर्क प्रोसीजर्स पर किए गए रीसर्च ने उन्हें सबसे जर्मनी का सबसे बड़े न्यूरोलॉजिस्ट में से एक बना दिया. 

हालांकि, नाज़ीवाद के उदय के दौरान जर्मनी में यहूदी होना एक अभिशाप से भी अधिक था. ऐसे में, 1933 में उन्हें देश में मेडिकल की प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अपने जीवन को दांव पर लगाकर, वह देश से भागने में सफल रहे और 1939 में उन्‍होंने इंग्लैंड में सुरक्षित आश्रय पाया.

वहां उन्होंने और अधिक रीसर्च कीं, उन्‍होंने मरीजों की पैरापलेजिया नामक स्थिति पर भी रीसर्च की. 1948 में, उन्होंने व्हीलचेयर पर चलने वाले लोगों के लिए एक तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया, जो अब 'पैरालिंपिक खेलों' के रूप में जाना जाता है. उस समय, इसे 'स्टोक मैंडविल गेम्स' के नाम से जाना जाता था, जिसका नाम उस अस्पताल के नाम पर रखा गया था जिसमें वह काम कर रहे थे.

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सर गुट्टमैन ने 1960 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक खेलों की शुरुआत की घोषणा की. दिव्‍यांग समुदाय को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच देने की दिशा में उनका बहुमूल्य योगदान है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. पैरालंपिक खेलों ने कई जंजीरों को तोड़ दिया है और दिव्‍यांग समुदाय और उनके बेहतरीन प्रदर्शन की अनंत संभावनाओं का जश्न मनाने के लिए लोगों को एक साथ लाया है.

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